सफाई कर्मचारियों के आंदोलन पर सरकार के कान बंद! स्कूली बच्चों और खिलाड़ियों से उठवा रही कूड़ा

सफाई कर्मचारियों की हड़ताल से प्रदेश के विभिन्न शहरों में कूड़ा-करकट जमा हो गया है. स्थिति दिनों दिन खराब होती जा रही है. ऐसा इसलिए है क्योंकि प्रदेशभर में अपनी मांगों को पूरा करने के लिए सफाई कर्मचारी 19 अक्टूबर से हड़ताल पर हैं. शुक्रवार को हर जिले में शहरी स्थानीय निकाय मंत्री कमल गुप्ता का पुतला फूंका गया. कर्मचारियों ने नगर निगम कार्यालयों से सरकार विरोधी नारेबाजी करते हुए मार्च निकाले.

लगभग हर शहर की सभी सड़कों पर कूड़े के ढेर देखे जा सकते हैं. कूड़े के ढेर से उठ रही दुर्गंध ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है. हरियाणा के शहर दीवाली पर भी कूड़े के ढेरों से अटे रहे.

इस मामले को लेकर सफाई कर्मचारी राजेश ने हमें बताया, “हरियाणा में सरकार ने सफाई के लिए निजी कंपनियों को सफाई का ठेका दे रखा है जो हम सफाई कर्मचारियों का शोषण करती हैं और समय पर पूरे पैसे भी हमें नहीं देती हैं. जब काम हम सरकार का और पब्लिक का कर रहे हैं तो हमारा शोषण निजी ठेकेदार क्यों करे. सरकार हमें पक्का करे.”

नगरपालिका कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष नरेश कुमार शास्त्री ने कहा कि कर्मचारी मजबूती से हड़ताल पर डटे हुए हैं, बीते सोमवार को दीपावली के पर्व पर हड़ताली कर्मचारियो ने काले झंडों व उल्टी झाड़ू के साथ राज्य भर में प्रदर्शन कर काली दिवाली मनाई है. हड़ताल को विफल करने के तमाम प्रयासों के बावजूद 57 नगर पालिकाओं, 22 नगर परिषदों व 11 नगर निगमों के सफाई, सीवर फायर व तृतीय व चतुर्थ श्रणी के लगभग चालीस हजार कच्चे व पक्के कर्मचारी हड़ताल पर डटे हुए हैं.

सीटू हरियाणा की प्रधान सुरेखा ने कहा कि सरकार हड़ताली कर्मचारियों की मांगों का तुरंत समाधान करें वरना आंदोलनकारियों के समर्थन में सीटू से जुड़ी तमाम यूनियनें 31 अक्टूबर को सभी जिलों में प्रदर्शन करेंगी.

शहरी स्थानीय निकाय मंत्री कमल गुप्ता और सफाई कर्मचारी संघ के एक प्रतिनिधिमंडल के बीच 28 अक्टूबर को हिसार में बैठक बेनतीजा रही. कर्मचारियों के प्रतिनिधिमंडल ने कथित तौर पर बैठक को बीच में ही छोड़ दिया. हिसार में सफाई कर्मचारी संघ के प्रमुख राजेश ने कहा कि उन्होंने मंत्री के साथ कुछ बिंदुओं पर चर्चा की, लेकिन एक समझौते पर पहुंचने में विफल रहे. उन्होंने अधिकारियों को कल (29 अक्टूबर) तक का अल्टीमेटम दिया था, जिसके बाद वे अपनी भविष्य की कार्रवाई का खाका तैयार करेंगे.

मंत्री ने बाद में कहा कि कुछ कर्मचारी बातचीत नहीं करना चाहते हैं और इस मुद्दे पर कोई फैसला नहीं हो सका है. मंत्री ने कर्मचारियों को डराते हुए पत्रकारों को बताया कि “कानून को अपने हाथ में लेने की कोशिश करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी. हम अभी भी बातचीत के लिए तैयार हैं.”

19 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल कर रहे सफाई कर्मियों की आवाज सरकार सुनने को तैयार नहीं है, बल्कि सफाई के वैकल्पिक उपाय कर रही है, जिससे गुस्साए कर्मचारियों ने अब नगर निगम गुरुग्राम (एमसीजी) की सड़कों पर सफाई करने वाली मशीनों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है ताकि शहरों में जमा हजारों टन कचरे को साफ करने से रोका जा सके.

प्रदर्शनकारियों को दूर रखने के लिए पुलिस कंट्रोल रूम (पीसीआर) वाहनों को सभी स्वीपिंग मशीन के साथ तैनात किया गया है. गुड़गांव के एमसीजी के संयुक्त आयुक्त नरेश कुमार ने कहा कि अधिकारियों ने 500 टन से अधिक कचरा साफ कर दिया है, लेकिन नगर निकाय की टीमें लगातार खतरे में हैं.

नरेश कुमार ने बताया, “प्रदर्शनकारी न केवल श्रमिकों को बल्कि मशीनों को भी निशाना बना रहे हैं. वे इन्हें नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि हम कचरा साफ न कर सकें. अब हमें रोड स्वीपिंग मशीनों की सुरक्षा के लिए पीसीआर वाहन मिल गए हैं. प्रदर्शनकारी दिन-ब-दिन के साथ आक्रामक होते जा रहे हैं.”

बड़े अफसर सफाई करवाने की अलग अलग तरह की कोशिशें कर रहे हैं. इन्हीं कोशिशों में सीएम सिटी करनाल के अफसरों ने तो स्कूली बच्चों को सफाई करने में लगा दिया. शहर के विभिन्न स्कूलों के एनएसएस वॉलेंटियर्स ने अपने स्कूलों के आसपास सफाई की, जबकि खेल विभाग के खिलाड़ियों और कर्मचारियों ने कोर्ट कॉम्पलेक्स की सफाई के लिए झाड़ू लगाई.

केएमसी आयुक्त अजय सिंह तोमर के आदेश के बाद, सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल फॉर बॉयज़, श्री राम चरित मानस सीनियर सेकेंडरी स्कूल, टैगोर बाल निकेतन और वीयूएमएम जैन पब्लिक स्कूल के एनएसएस वॉलेंटियरों के अलावा खेल विभाग के खिलाड़ियों, कर्मचारियों और कोचों ने इसमें भाग लिया.

टैगोर बाल निकेतन के प्रधानाचार्य राजन लांबा ने कहा, “हमारे छात्रों ने स्कूल के पास की सड़कों की सफाई की और हम आने वाले दिनों में भी इसी भावना के साथ जारी रखेंगे.”

हड़ताल से सीएम सीटी में सफाई कार्य प्रभावित हुआ है. हालांकि केएमसी ने सड़कों की सफाई और कचरा उठाने के लिए लगभग 100 निजी कर्मचारियों को तैनात किया है, लेकिन विरोध करने वाले कर्मचारी बाधा उत्पन्न कर रहे हैं. केएमसी को पुलिस की मदद लेनी पड़ी और तीन दिन पहले निजी कर्मचारियों को अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने से रोकने के लिए 24 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया.

सफाई कर्मचारियों की इस हड़ताल का समर्थन पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने भी किया है. उन्होंने कहा, “कांग्रेस सरकार के दौरान उन्होंने 11 हजार सफाई कर्मियों की भर्ती की थी. भविष्य में फिर से सरकार बनने पर इन तमाम कर्मचारियों को पक्का किया जाएगा.”

CM खट्टर के गांव के सरकारी स्कूल में अंग्रेजी पढ़ा रहा चपरासी, छात्रों ने स्कूल को ताला जड़ा

मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के पैतृक गांव निंदाना के राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में शिक्षकों की कमी के चलते एक चपरासी अंग्रेजी पढ़ा रहा है.

यह आरोप स्कूल के छात्रों ने लगाया, जिन्होंने कल यानी 27 सितंबर को स्कूल में ताला लगाकर शिक्षकों की कमी के खिलाफ धरना दिया. स्कूल के प्रिंसीपल सुरेंद्र कुमार ने कहा कि चपरासी को छात्रों को पढ़ाने के लिए इसलिए नियुक्त किया गया था क्योंकि उसके पास योग्यता थी. प्रिंसीपल ने बताया, “उस चपरासी के पास बीए और बीएड की डिग्री है, और उसने एचटीईटी परीक्षा पास की है. इसलिए, वह शिक्षकों की कमी के कारण वैकल्पिक उपाय के रूप में छठी कक्षा के छात्रों को अंग्रेजी पढ़ा रहा है.”

खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) बिजेंद्र हुड्डा ने हालांकि, स्कूल में छात्रों को पढ़ाने के लिए एक चपरासी की तैनाती से इनकार किया. हुड्डा ने कहा कि “स्कूल में टीचिंग स्टाफ की कमी है, लेकिन कोई चपरासी छात्रों को पढ़ा नहीं रहा है. स्कूल में शिक्षकों की कमी जल्दी ही पूरी की जाएगी. ”

हरियाणा में अध्यापकों की कमी के चलते आए दिन सरकारी स्कूलों के सामने ग्रामीणों और छात्रों के प्रदर्शन देखने को मिल रहे हैं. सीएम सिटी करनाल के गांव पिचौलिया में भी ग्रामीण, बच्चों के साथ गांव के सरकारी स्कूल के सामने शिक्षकों की कमी के विरोध में प्रदर्शन करने के लिए इकट्ठा हुए थे और ग्रामीणों ने अपनी मांग को लेकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए स्कूल के मुख्य गेट पर ताला जड़ दिया था.

हरियाणा सरकार एक ओर सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारने का दावा कर रही है लेकिन वहीं दूसरी ओर बच्चे सरकारी स्कूलों में दाखिला लेने से ही कतरा रहे हैं. देश के सरकारी स्कूलों में ग्यारहवीं कक्षा में दाखिलों में भारी गिरावट सामने आई है. स्कूल शिक्षा विभाग के आंकड़ो के अनुसार पिछले साल की तुलना में इस साल 38,976 दाखिले कम हुए हैं. वहीं दसवीं कक्षा के मामले में भी लगभग यही स्थिति रही है.

आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, पिछले सत्र में प्रदेश के सरकारी स्कूलों में ग्यारहवीं कक्षा में कुल 2,00,946 छात्रों का नाम दर्ज था लेकिन इस सत्र में यह संख्या घटकर 1,61,970 रह गई है. इसी तरह, सरकारी स्कूलों में पिछले साल दसवीं कक्षा में 2,01,962 छात्रों का प्रवेश हुआ था जबकि इस सत्र में यह आंकड़ा 1,84,106 है.

‘अग्निपथ’- योजना के विरोध में आन्दोलनकारी युवाओं ने हरियाणा को किया टोल मुफ्त, किसान संगठनों का भी मिला साथ

बीते कुछ दिन पहले केंद्र सरकार द्वारा अग्निपथ योजना की घोषणा के बाद देश भर के युवाओं में योजना के विरोध में रोष देखा गया. युवाओं का यह आन्दोलन कहीं पर उग्र रहा तो कहीं पर शांतिपूर्ण. अग्निपथ योजना के खिलाफ़ 20 जून सोमवार को हरियाणा में युवाओं ने प्रदेश में सभी टोल को फ्री करवा कर अपना विरोध दर्ज किया.

योजना के खिलाफ प्रदेश में युवाओं और ग्रामीणों के साथ साथ किसान संगठन भी टोल फ्री करने के इस आन्दोलन में सड़कों पर उतर गए. युवाओं को किसान नेताओं का साथ भी मिला. सोमवार को भारत बंद के दौरान किसान संगठनों ने हरियाणा के कई जिलों में टोल मुफ्त कराया.

हरियाणा में युवाओं, ग्रामीणों और किसान संगठनों का यह प्रदर्शन पूरी तरह से शांतिपूर्ण रहा. संयुक्त छात्र बेरोज़गार संघर्ष मोर्चा के आवाह्न पर टोल मुफ्त कराने के इस आन्दोलन की योजना 18 जून को हरियाणा के महम में एक जनसभा में हुई थी, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया था.

संयुक्त छात्र बेरोज़गार संघर्ष मोर्चा के संयोजक और जमींदारा स्टूडेंट आर्गेनाईजेशन के जनरल सेक्रेटरी मीत मान ने गांव सवेरा को बताया कि हरियाणा में खटकड़ टोल प्लाज़ा और कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेस वे को छोड़ कर पूरे प्रदेश में युवाओं और ग्रामीणों ने अग्निपथ योजना के विरोध में टोल मुफ्त करवाया. मीत मान ने कहा, “अग्निपथ के विरोध में प्रदेश के युवाओं ने बढ़ चढ़ कर बिना किसी हिंसा के आन्दोलन किया. 18 जून को धनकड़ खाप अध्यक्ष ओमप्रकाश धनकड़ की अध्यक्षता में हरियाणा महम में हुई मीटिंग में यह तय किया गया था कि इस योजना के विरोध में सांकेतिक प्रदर्शन के तौर पर 20 जून को दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक 3 घंटे के लिए प्रदेश में सभी टोल को मुफ्त कराया जाएगा. युवाओं का यह सांकेतिक प्रदर्शन सफल रहा.”

मीत मान ने बताया कि हरियाणा के हर टोल प्लाज़ा पर आन्दोलन के लिए हर समय 100 लोग मौजूद थे. “जहां कहीं पुलिस और प्रशासन ने जबरदस्ती करने की कोशिश की, वहां पर बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों ने और आस पास के शहरों के कॉलेज में पढ़ाई कर रहे युवाओं ने आन्दोलन में हिस्सा लिया और इस शांतिपूर्ण प्रदर्शन को सफल बनाया. यह प्रदर्शन इतना शांतिप्रिय रहा कि पूरे प्रदेश में कहीं से भी कोई बुरी खबर नहीं मिली.”

अग्निपथ योजना के विरोध में उतरी भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के नेता गुरनाम सिंह चढूनी के आह्वान पर सोनीपत में नेशनल हाईवे 44 पर स्थित भिगान टोल को मुफ्त करा दिया गया.

गुरनाम सिंह चढूनी ने गांव सवेरा को बताया कि आज की शांतिपूर्ण सांकेतिक प्रदर्शन की सफलता के बाद 22 जून 2022, बुधवार को रोहतक जिले के संपला गांव में सर छोटू राम के स्मृति स्थल पर एक बड़ी सभा का आयोजन किया गया है जिसमें हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान में अग्निपथ योजना के खिलाफ़ सभी संगठनों के प्रतिनिधियों को बुलाया जाएगा और इस बैठक में आन्दोलन की आगामी रणनीति पर फैसला लिया जाएगा.

गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा, “फौजी भर्ती की जो योजना केंद्र सरकार ने बनाई है, वह देश की सुरक्षा और युवाओं दोनों के साथ एक बहुत बड़ा षड़यंत्र और धोखा है. 18 साल के युवा जो इस योजना के तहत 22 साल में रिटायर हो जाएंगे उससे तो 4 साल बाद देश में बेरोज़गारों की फ़ौज खड़ी हो जाएगी. ये ‘अग्निपथ योजना’ नहीं बल्कि ‘अग्निकुंड योजना’ है जिसमें देश की सुरक्षा और युवाओं दोनों को ही झोंका जा रहा है.”

उन्होंने कहा कि इस योजना के खिलाफ हरियाणा और देश के युवा तब तक आन्दोलन करेंगे जब तक इसे कृषि कानूनों की तरह वापस नहीं कर लिया जाता.

हरियाणा के हांसी से बांस गांव के युवा संगठन के प्रधान मंजीत मोर ने गांव सवेरा से कहा, “सरकार को उन सैनिकों के बारे में सोचना चाहिए जो माइनस 30 डिग्री तापमान में सरहद की रखवाली करते हैं लेकिन उन्होंने तो देश के सैनिकों को ठेके पर रख लिया है. इस योजना को लागू कर के सरकार उन लोगों का मनोबल तोड़ रही है जिनका बचपन से आर्मी में भर्ती हो कर देश की हिफाज़त करना सपना होता है.”

हरियाणा में चल रहे आंदोलनों की आवाज !

अगर सड़कें खामोश हो जाएंगी तो संसद आवारा हो जाएगी. यह कथन राम मनोहर लोहिया का है, जिनका मानना था कि जनता की बगावत ही संसद को अनुशासन में रख सकती है. लोकतंत्र, सिर्फ पांच साल में वोट डालने का नाम नहीं है. नागरिक के तौर पर हमारे जागरूक रहने और सत्ता से सवाल पूछते रहने से ही लोकतंत्र मजबूत होता है. इसी ज़िम्मेदारी को आगे बढ़ाते हुए गांव सवेरा ने शुरू किया है एक खास कार्यक्रम- आंदोलन डायरी. आंदोलन डायरी कार्यक्रम के जरिये हम लेकर आए हैं हरियाणा के अलग-अलग हिस्सों में उठ रही जनता की आवाज़ों का ब्यौरा.

हरियाणा में गहराता बिजली संकट, सरकार कर रही 24 घंटे बिजली सप्लाई का दावा, लग रहे 6-6 घंटे के लंबे कट

हरियाणा सरकार के पास लगभग 15 दिन का ही कोयला स्टॉक ही बचा हुआ है. अगर आने वाले कुछ समय में कोयले की आपूर्ति नहीं बढ़ती है, तो बिजली संकट और गहरा सकता है. अभी तक बिजली की कमी का असर केवल घरेलू उपभोक्ताओं पर ही था, लेकिन अब उद्योगाें के लिए भी कट तय कर दिए हैं. अभी के लिए डेढ़ घंटे का कट तय किया गया है. अगर जल्द ही आपूर्ति में सुधार नहीं होता है, तो उद्योगों में उत्पादन प्रक्रिया पर बुरा असर पड़ेगा.

आम तौर पर शहरों में 24 घंटे बिजली सप्लाई होती है, और गांवों में मौसम के हिसाब से आपूर्ति की जाती है. जो गांव “जगमग योजना” से जुड़े हैं, उनमें तो विभाग की ओर से काेई कट तय नहीं किया जाता, लेकिन जो गांव इस योजना से नहीं जुड़े हैं, उनमें गर्मियों में 16 घंटे सप्लाई का शेड्यूल होता है. दिक्कत यह है कि गांवों में इस दौरान रात के समय भी ज्यादा कट लग रहे हैं, उसी से ज्यादा परेशानी हो रही है. शहरी क्षेत्र भी बिजली संकट की चपेट में है, लेकिन अब उद्योगाें के लिए भी समस्या होने लगी है.

इस समय प्रदेश में रोजाना लगभग 8 हजार मेगावाट बिजली की जरूरत है, जिसे पूरा करने के लिए प्रदेश सरकार पानीपत की तीनों इकाई, यमुनानगर की दोनों और खेदड़ की एक यूनिट को चालू कर लिया गया है.

इन प्लांटों को सुचारू रूप से चलाने के लिए रोजाना 15 रैक कोयले की जरूरत है. लेकिन हरियाणा को 10 रैक ही मिल रहा है. ऐसे में पहले स्टॉक कोयले का इस्तेमाल किया जा रहा है. अगर ऐसा ही चलता रहा तो प्रदेश में मात्र 15 दिन का स्टॉक ही बचा है. स्थिति को देखते हुए हरियाणा सरकार ने केंद्रीय बिजली मंत्री को कोयला आपूर्ति बढ़ाने के लिए पत्र लिखा है. हालांकि हम अपनी जरूरत का 75 फीसदी कोयला खुद ही निकालते हैं, भारत में दुनिया का चौथा सबसे बड़ा कोयले का भंडार है. और कोल इंडिया सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की सबसे बड़ी कोयला खनन कंपनी है.

अडानी की कंपनी गुजरात की ही तरह हरियाणा से भी नई बिजली दरें चाह रही है. कंपनी ने सरकार को 3.40 रुपये की बजाए 6.25 रुपये प्रति यूनिट की नई दरों का प्रस्ताव दिया है. हालांकि, पावर परचेज एग्रीमेंट के तहत यह संभव नहीं है. कंपनी का कहना है कि विदेशी कोयला महंगा होने के चलते उनको हजारों करोड़ का घाटा हो चुका है, इसलिए वह अब प्लांट चलाने की हालत में नहीं है.

कंपनी विदेशी कोयले की बढ़ी दरों के हिसाब से सरकार से मूल्य चाह रही है. अडानी ग्रुप पिछले साल अगस्त 2021 से ही बिजली सप्लाई की आपूर्ति नहीं कर रहा है. अगर सरकार अडानी की शर्तें मानती है तो यह दर बढ़ने की वजह से बिजली और भी महंगी हो जाएगी. फिलहाल हरियाणा सरकार कंपनी के साथ कम से कम रेट के लिए मोल भाव कर रही है. अडानी से 1424 मेगावाट और टाटा की कंपनी से 500 मेगावाट बिजली का समझौता सरकार ने कर रखा है.

विदेशी कोयला खरीदने की तैयारी में सरकार
कोयले की कमी को लेकर हरियाणा सरकार इस बार कुल खपत का 10 प्रतिशत तक विदेशी कोयला खरीदने की तैयारी में है. पहले विदेशी कोयले की खरीद सिर्फ चार प्रतिशत थी, केंद्रीय मंत्रालय के निर्देशों के बाद इसे अधिक किया गया है. यह घरेलू कोयले से महंगा होता है, लेकिन बताया जा रहा है कि इसकी गुणवत्ता अच्छी होती है. इसके लिए प्रदेश सरकार टेंडर निकालने जा रही है ताकि गर्मी के पीक सीजन में प्रदेश को कोयले की कमी का सामना न करना पड़े.

इस समय ये चल रहीं यूनिटों से बिजली उत्पादन

पानीपत थर्मल प्लांट
यूनिट 6 -210 मेगावाट
यूनिट 7- 250
यूनिट 8 -250

दीनबंधु छोटूराम यमुनानगर प्लांट
यूनिट 1-300
यूनिट 2- 300

राजीव गांधी थर्मल प्लांट खेदड़ हिसार
यूनिट 1- 600
डब्ल्यूवाईसी हाईडल 62.4 मेगावाट
सोलर पावर प्लांट पानीपत : 10 मेगावाट
शेष बिजली केंद्रीय पुल से 12 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से खरीदी जा रही है.

बिजली मंत्री रणजीत चौटाला का कहना है कि इस समय प्रदेश में करीब 6000 मेगावाट बिजली उपलब्ध है. जिससे प्रदेश की बिजली की जरूरत सही तरीके से पूरी हो रही है. प्रदेश में कोयले की कमी पर उनका कहना है कि प्रदेश में कोयले की कोई कमी नहीं है और अगले 1 महीने के लिए प्रदेश में पर्याप्त कोयला है. अडानी से विवाद को लेकर उन्होंने कहा कि अडानी कंपनी द्वारा हरियाणा को 1400 मेगावाट बिजली दी जानी थी, लेकिन बिजली के रेट को लेकर कुछ विवाद जारी है जिसे जल्द ही सुलझा लिया जाएगा और अडानी की ओर से भी बिजली की सप्लाई जल्द शुरू हो जाएगी.

कांग्रेस नेत्री कुमारी शैलजा का कहना है कि सरकार द्वारा बिजली उत्पादन के प्रति ध्यान न देने के परिणामस्वरुप आज प्रदेश में बिजली संकट लगातार गहराता जा रहा है. प्रदेश सरकार हर मोर्चे पर विफल साबित हो रही है, जिसका खमियाज़ा प्रदेश की जनता को लगातार भुगतना पड़ रहा है.

हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने अपने एक ब्यान में कहा है, “भाजपा सरकार की नीति और नीयत के अभाव में प्रदेश की जनता बिजली संकट से त्रस्त है. मित्र अपने हित साधने में लगे हैं. गुजरात की तर्ज़ पर हरियाणा में भी नई दरें चाह रही है मित्रों की कंपनी. विपक्ष ने इसे आपदा में अवसर बताया है.”

बिजली फ्लक्चुएशन से घरेलू उपकरण भी खराब हो रहे हैं. नवभारत टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक ग्रेटर फरीदाबाद की सोसायटियों में स्थिति ज्य़ादा खराब है. यहां दिन में 50 से ज्यादा कट लग रहे हैं. कटौती की वजह से लोगों के फ्रिज, एसी, वॉशिग मशीन खराब हो रहे हैं. एनआईटी, ग्रेटर फरीदाबाद, ओल्ड फरीदाबाद डिविजन में आने वाले एनआईटी नंबर-3, शिवदुर्गा बिहार, सराय ख्वाजा, संतोष नगर, जवाहर कॉलोनी, सारन चौक, एयरफोर्स रोड, आईपी-एक्सटेंशन-2, आईपी कॉलोनी, तिलपत, नंगला एन्क्लेव, सेक्टर-29, जादूनाथ एन्क्लेव, एसजीएम नगर, डबुआ कॉलोनी, सैनिक कॉलोनी, भारत कॉलोनी, इंद्रा कॉम्प्लेक्स, हनुमान नगर, सेक्टर-21 डी, फ्रेंड्स कॉलोनी, संत नगर, सेक्टर-21 ए, बी, सी, डी, सेक्टर-46 व संजय कॉलोनी इलाकों के लोग भी परेशान हैं.

बिजली की अनियमित आपूर्ति के कारण लोगों को पानी की किल्लत से जूझना पड़ रहा है. लोगों का कहना है कि रात को पानी के लिए मोटर चलाते हैं तो बिजली चली जाती है. बार-बार कटौती होने से मोटर भी खराब हो जाती है. बच्चे परीक्षा की तैयारी नहीं कर पा रहे हैं. गुरुवार को पानी व बिजली की किल्लत को लेकर सेक्टर-3, संजय कॉलोनी, जवाहर कॉलोनी, बड़खल एक्सटेंशन के लोगों ने हंगामा किया था. पिछले माह सेक्टर-86 की एडोर हैप्पी होम्स सोसायटी के लोगों ने भी बिजली कटौती के विरोध में हंगामा किया था.

दैनिक जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक शेड्यूल के अनुसार बिजली नहीं मिलने के विरोध में ग्रामीणों ने रामराय में जींद-हांसी मार्ग पर जाम लगा दिया. वहीं शनिवार रात को कंडेला और शाहपुर गांव में जींद-चंडीगढ़ मार्ग को ग्रामीणों ने जाम कर दिया. बीबीपुर गांव में भी लोगों ने जींद-भिवानी मार्ग पर रात को जाम लगाया. कंडेला गांव में शाम को ग्रामीणों ने जाम लगाया था और सुबह प्रशासन ने खुलवाया. शाहपुर व बीबीपुर में रात को ही जाम खुल गया. वहीं रामराय में रविवार सुबह जाम लगाया गया. ग्रामीणों का कहना है कि दिनभर तो फसली सीजन के कारण निगम ने गांवों में बिजली सप्लाई बंद की हुई है.

महंगाई की दोहरी मार: पेट्रोल-डीजल के बाद टोल और बिजली भी हुई महंगी!

1 अप्रैल से हरियाणा में सफर करना और महंगा हो जाएगा जिसका असर निजी साधनों के साथ-साथ रोडवेज पर भी पड़ने जा रहा है। अब तक (कुंडली-मानेसर-पलवल) केएमपी एक्सप्रेस-वे पर हल्के वाहनों से 1.46 रुपये प्रति किलोमीटर के हिसाब से टोल लिया जा रहा था, जिसे अब बढ़ाकर 1.61 रुपये प्रति किलोमीटर कर दिया गया है। वहीं जींद में खटकड़ टोल प्लाजा पर हल्के वाहनों पर लगने वाला टोल 10 रुपये बढ़ाकर 100 से 110 रुपये हो गया है।

इसी तरह हिसार के चारों तरफ के टोल पर वाहनों की श्रेणियों के अनुसार सात से 30 रुपये तक की बढ़ोत्तरी हुई है। वहीं सोनीपत में गांव झरोठी के पास लगे टोल प्लाजा पर वाहन चालकों को 10 रुपये से लेकर 55 रुपये ज्यादा चुकाने होंगे।

कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेसवे (केएमपी) और खेरकी दौला टोल प्लाजा और सोहना रोड पर गमदोज के पास नवनिर्मित टोल प्लाजा से गुजरना भी महंगा हो जाएगा। खेरकी दौला टोल प्लाजा प्रबंधन के मुताबिक, 1 अप्रैल से बड़े व्यावसायिक वाहनों (ट्रकों, बसों और इसी तरह के वाहनों) से पहले 205 रुपये के बजाय 235 रुपये प्रति ट्रिप चार्ज किया जाएगा।

कारों और जीपों के लिए नियमित टोल शुल्क 10 रुपये बढ़ाकर 70 रुपये से 80 रुपये कर दिया गया है। मिनीबस प्रकार के वाहनों के लिए, 100 रुपये के बजाय 115 रुपये शुल्क लिया जाएगा। खेड़की दौला टोल प्लाजा से प्रतिदिन औसतन 80,000 से अधिक वाहन गुजरते हैं।

टोल प्लाजा की मासिक दरों में भी बढ़ोतरी की गई है. संशोधित दरों ने स्थानीय निवासियों को भी चपेट में ले लिया है. स्थानीय निवासी यशेश यादव ने बताया, “हम टोल प्लाजा को हटाने की मांग कर रहे हैं, इसके बजाय साल दर साल टोल दरों में वृद्धि की जा रही है।”

वहीं घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली भी महंगी की गई है। 50 लाख घरेलू उपभोक्ताओं को 100 यूनिट से ज्यादा बिजली खर्च पर ज्यादा बिल देना होगा। 0 से 150 यूनिट पर बिजली 25 पैसे प्रति यूनिट महंगी हो गई है। इस स्लैब में पहले 2.50 रूपए प्रति यूनिट देने होते थे जो अब बढ़ाकर 2.75 रूपए कर दी गई है।

इस तरह होगा चार्ज

0 से पचास यूनिट पर : दो रुपये प्रति यूनिट

51 से 100 यूनिट पर : 2.50 रुपये प्रति यूनिट

0 से 150 यूनिट पर : 2.75 रुपये प्रति यूनिट। पहले ये 2.50 रुपये प्रति यूनिट था।

151 से 250 यूनिट पर : 5.25 रुपये प्रति यूनिट

251 से 500 यूनिट पर : 6.30 रुपये प्रति यूनिट

501 से अधिक यूनिट पर : 7.10 रुपये प्रति यूनिट

गौशाला से दो रुपये प्रति यूनिट शुल्क लिया जाएगा। गौशाला का पंजीयन कराना अनिवार्य है। राज्य सरकार गौशाला को सब्सिडी देती है। सब्सिडी नहीं मिलने पर गौशाला वालों से भी घरेलू कनेक्शन की तरह शुल्क लिया जाएगा।

हरियाणा बिजली नियामक आयोग ने 1 अप्रैल यानी शुक्रवार से नई दरें लागू कर दी हैं। हर साल बिजली के रेट तय किए जाते हैं। खेती के लिए शुल्क में कोई बदलाव नहीं किया गया है। दस पैसे प्रति यूनिट शुल्क लिया जाएगा। हरियाणा में विद्युत निगम के 72.73 लाख उपभोक्ता हैं। आधे घरेलू उपभोक्ता हैं। अगर आप 150 यूनिट तक बिजली की खपत करते हैं, तो अब 37.50 रुपये अतिरिक्त बिल में जुड़ जाएंगे।

पहले से महंगाई की मार झेल रही जनता पर टोल टैक्स और बिजली में बढ़ातरी से और परेशानी होगी।

कांग्रेस नेत्री कुमार शैलजा इसकी ट्वीट करके निन्दा करते हुए लिखा है, “रिकॉर्ड तोड़ महंगाई से पिस रहे प्रदेशवासियों को कोई राहत देने की बजाय बिजली के दामों में बढ़ोतरी किया जाना घोर निंदनीय है। कमरतोड़ महंगाई के बीच BJP-JJP सरकार का प्रदेश की जनता पर यह क्रूर प्रहार है। इस वृद्धि को तुरंत प्रभाव से वापस लिया जाए।”

आंदोलनरत खिलाड़ियों के आगे झुकी सरकार, ग्रुप सी की नौकरियों में खेल कोटा जारी रहेगा

हरियाणा सरकार ने गुरुवार को ग्रुप सी भर्ती में खिलाड़ियों के लिए 3 प्रतिशत आरक्षण की अपनी नीति को जारी रखने का फैसला लिया है. इस मुद्दे को लेकर राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी लगातार सरकार के खिलाफ आंदोलनरत थे.

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने गुरुवार को आंदोलित खिलाड़ियों के आगे झुकते हुए कहा कि राज्य सरकार ने हरियाणा में ग्रुप सी की सरकारी नौकरियों में खिलाड़ियों के लिए 3% कोटा बहाल करने का फैसला किया है. खट्टर ने कहा कि ग्रुप डी की नौकरियों में खिलाड़ियों के लिए पहले से ही 10% आरक्षण दिया जाता है.

उन्होंने कहा कि ग्रेडेशन प्रमाणपत्रों में अनियमितता के संबंध में कई शिकायतें मिली हैं और ऐसी शिकायतों के निवारण के लिए राज्य सरकार द्वारा एक विशेष पोर्टल विकसित किया गया है.

सरकार ने यह भी निर्णय लिया है कि हर जिले में जिला खेल प्रबंधक के लिए एक ग्रुप ए पद सृजित किया जाएगा. खट्टर ने कहा कि उनकी ‘पदक लाओ, पद पाओ’ की नीति के तहत पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को ग्रुप ए, बी, सी और डी कैटेगरी की नौकरियां पहले की तरह जारी मिलती रहेंगी. खेल विभाग से संबद्ध खेल संगठनों द्वारा आयोजित खेल आयोजनों में भाग लेने वाले पदक विजेता खिलाड़ियों और खिलाड़ियों की जानकारी अपलोड की जाएगी और सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध कराई जाएगी. इस डेटा के सत्यापन के बाद, एक ग्रेडेशन सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा.

सीएम खट्टर ने पिछले सप्ताह कहा था कि राज्य सरकार की खेल नीति के अनुसार केवल पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को ही सरकारी नौकरी मिलेगी और केवल खेल टूर्नामेंट में भाग लेने के लिए बने ग्रेडेशन सर्टिफिकेट के आधार पर कोई नौकरी नहीं दी जाएगी.

बीते एक महीने से कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों ने हरियाणा के अनेकों जिलों में खेल आरक्षण नीति की बहाली के साथ-साथ उपरोक्त श्रेणियों के अनुसार खिलाड़ियों की सीधी भर्ती की मांग को लेकर कई प्रदर्शन किए थे. ओलंपिक पदक विजेता मुक्केबाज विजेंदर सिंह ने इन आंदोलनों का नेतृत्व किया. विजेंदर सिंह ने हमें दिए गए एक इंटरव्यू में बताया, “हमें विरोध का रास्ता अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि हरियाणा सरकार ने युवा खिलाड़ियों के बड़ी श्रेणी वाली सरकारी नौकरियों में प्रवेश की गुंजाइश खत्म कर दी थी. हरियाणा में पूर्ववर्ती हुड्डा सरकार द्वारा लागू सरकारी नौकरियों में भर्ती के लिए तीन प्रतिशत खेल कोटा समाप्त कर दिया गया था. यह तीन प्रतिशत खेल कोटा हरियाणा के खिलाड़ियों के लिए ओलंपिक और अन्य अंतराष्ट्रीय स्तर के खेलों में उनके सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए प्रेरणा जैसा काम करता था. हरियाणा देश में खिलाड़ियों की नर्सरी के तौर पर जाना जाता है और खट्टर-चौटाला सरकार ने खिलाड़ियों का भविष्य दांव पर लगा दिया था.”

इस मामले को लेकर हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने विधानसभा में खेलमंत्री संदीप सिंह पर तंज कसते हुए कहा था, “आपको जिस कोटा की मदद से नौकरी मिली थी. आपने वही खत्म कर दिया.”

बैकफुट पर आई सरकार ने फैसला लिया है कि राज्य सरकार प्रत्येक जिले में श्रेणी-ए रिक्ति ‘जिला खेल प्रबंधक’ भी बनाएगी. सरकारी सर्कुलर में कहा गया है कि इन पदों पर केवल योग्य खिलाड़ियों की सीधी भर्ती की जाएगी. इसके साथ ही सरकार ग्रुप सी की नौकरियों में भर्ती करने से पहले खिलाड़ियों को उनकी रुचि के विभाग को चुनने का मौका भी देगी.

वाल्मीकि जयंती की छुट्टी पर भी सफाईकर्मियों से करवाया जा रहा काम!

आज देश भर में महर्षि वाल्मीकि जयंती मनाई जा रही है. वहीं दूसपी ओर इस अवसर पर भी महर्षि वाल्मीकि को मानने वाले और वाल्मीकि समुदाय से आने वाले सफाईकर्मियों से सफाई का काम करवाया जा रहा है. वाल्मीकि जयंती पर पूरे देश में केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से छुट्टी घोेषित है. केंद्र और राज्य सरकार के सभी कर्मचारी आज छुट्टी मना रहे हैं लेकिन हरियाणा के कैथल में सफाईकर्मियों से काम करवाया जा रहा है.

ये तस्वीरें हरियाणा के कैथल शहर की हैं जहां पर सफाई कर्मचारी वाल्मीकि जयंती पर भी सफाई करते दिखाई दिये. दरअसल सफाई विभाग में अधिकतर सफाईकर्मियों से ठेकेदारी प्रथा के तहत काम लिया जाता है. नियमित सफाईकर्मी न होने के चलते इन लोगों को छुट्टी के दिन भी काम करने के लिए मजबूर किया जाता हैं.

सामाजिक कार्यकर्ता कीर्ति ने गांव-सवेरा को फोन पर बताया, “इन लोगों से कैथल में न्यू 14 रोड से जींद रोड तक सफाई करवाई जा रही है. ये लोग सुबह 8 बजे से सफाई करने में लगे हैं और दस बजे तक सफाई करेंगे इसके बाद शाम को भी इन लोगों को सफाई करने के लिए बुलाया गया है.”

वाल्मीकि जयंती की छुट्टी के दिन काम करते सफाईकर्मी

सफाई कर्मचारी संघ कैथल के अध्यक्ष शिव चरण ने बताया,”ये सफाईकर्मी पे-रोल पर काम करते हैं जो सीधे सफाई विभाग के अंतर्गत आते हैं. विभाग ने इन कर्मियों के लिए केवल 20 छुट्टियां तय कर रखी हैं जिसमें दस मेडिकल और दस सामान्य छुट्टियां दी गई हैं. ठेकेदारी प्रथा खत्म हो, सफाईकर्मियों का शोषण बंद हो और सबको समान वेतन मिले इसके लिए हम लोग लगातर संघर्ष कर रहे हैं.”

वहीं सफाई विभाग में पे-रोल पर घर-घर जाकर कूड़ा उठाने का काम करने वाली वालीं एक महिला सफाईकर्मी ने बताया, “हमें छुट्टी की कोई जानकारी नहीं दी गई. आज केवल पक्के सफाईकर्मियों की छुट्टी है. मैंने आज भी घर-घर जाकर कूड़ा उठाने का काम किया है.”

वहीं जब इस मामले में पे-रोल पर काम करने वाले सफाईकर्मियों के निरीक्षक प्रदीप शर्मा से बात की तो उसने कहा, “ये लोग अपनी मर्जी से काम कर रहे हैं”. जब सवाल किया गया कि छुट्टी के दिन अपनी मर्जी से काम कौन करता है तो प्रदीप शर्मा ने फोन काट दिया.

एक और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, महर्षि वाल्मीकि जयंती की बधाई दे रहे हैं वहीं दूसरी ओर उसी समाज से आने वाले सफाईकर्मियों को इतनी भी रहात नहीं दी जा रही है कि कम-से-कम छुट्टी के दिन इन लोगों से काम न लिया जाए.

हरियाणा सरकार द्वारा BPL परिवारों को मिलने वाले सरसों के तेल को बन्द करने के पीछे का खेल!

30 मई, 2021 को राष्ट्र के नाम अपने मन की बात संबोधन में, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इस तथ्य की सराहना की कि किसानों को रबी उत्पादन से संबंधित “सरसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से अधिक” प्राप्त हुआ. पीएम के इस बयान से आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि हरियाणा (और अन्य जगहों) में सरसों उत्पादकों ने बेहतर कीमत पाने के लिए एपीएमसी मंडियों (राज्य एजेंसियों द्वारा खरीद के लिए) के बजाय खुले बाजार में अपनी उपज निजी व्यापारियों को बेचना पसंद किया. यह गौरतलब है कि कृषि उपज में निजी व्यापार को बढ़ावा देने वाले कानून “कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020” के तहत  निजी कंपनियों द्वारा किसानों से सीधे खरीदे जाने वाले तिलहन के निर्यात का भारत सरकार द्वारा कोई अलग डेटा नहीं रखा जाता है.

रबी सीजन (आरएमएस) 2021-22 के लिए सरसों की फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 4,650 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया था, वही इस साल फरवरी के दौरान हरियाणा के उत्तरी जिलों में स्थित मंडियों में निजी व्यापारियों ने लगभग 6,000-6,500 रुपये प्रति क्विंटल सरसों की खरीद की है. राज्य की एजेंसियों को अप्रैल 2021-22 में अपनी खरीद शुरू करनी थी. हालांकि, खाद्य नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामलों के निदेशक, हरियाणा के एक हालिया नोटिस से पता चलता है कि हैफेड के पास सरसों की अनुपलब्धता के कारण, विभाग इस स्थिति में नहीं होगा कि वह राज्य में स्थित सरकारी राशन की दुकानों पर सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) लाभार्थियों (अंत्योदय अन्न योजना-एएवाई और गरीबी रेखा से नीचे-बीपीएल कार्ड वाले) को सरसों का तेल वितरित कर पाए.

खाद्य नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामलों के निदेशक, हरियाणा सरकार ने अपने नये फैसले में पीडीएस (सार्वजनिक वितरण प्रणाली) के तहत बीपीएल परिवारों को मिलने वाला सरसों का तेल बन्द कर दिया है. पीडीएस के तहत बीपीएल और अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) के अंतर्गत आने वाले परिवारों को हर महीने 20 रुपये प्रतिलीटर के हिसाब से 2 लीटर सरसों का तेल मिलता था, जो इस महीने से बंद कर दिया गया है. हरियाणा के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने प्रदेश के सभी राशन डिपो को अगले आदेश तक बीपीएल और अंत्योदय अन्न योजना के अंतर्गत आने वाले परिवारों को सरसों का तेल नहीं देने के आदेश जारी किये हैं.

बाजार में सरसों के तेल की कीमत अब तक की सबसे तेजी पर है. बाजार में सरसों का तेल 180 से 200 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है, ऐसे में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों के लिये सरसों के तेल का खर्च वहन करना मुश्किल होगा. लॉकडाउन में काम न मिलने के कारण अधिकतर बीपीएल परिवार पहले से ही महंगाई की मार झेल रहे हैं ऐसे में इस आर्थिक संकट के बीच अब सरकार भी इन परिवारों की मदद से हाथ पीछे खींच रही है.

हरियाणा में खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मंत्रालय खुद उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के पास है इसके बाद भी सरकार गरीबों को मिलने वाली सार्वजनिक वितरण प्रणाली में कटौती कर रही है.

हरियाणा में सरकार के इस फैसले का करीबन 11 लाख गरीब परिवारों पर सीधा असर पड़ेगा. हरियाणा में पीला राशन कार्ड धारकों (बीपीएल परिवार) की संख्या करीब 8 लाख 93 हजार तथा गुलाबी राशन कार्ड धारकों की संख्या करीब 2.5 लाख है. इन सभी परिवारों को रियायती दरों पर हर महीने 2 लीटर सरसों का तेल दिया जाता था. फिलहाल इन 11 लाख गरीब परिवारों को केवल एक किलो दाल, एक किलो चीनी और परिवार में प्रत्येक सदस्य के हिसाब से 5 किलो आटा दिया जाता है.

सरसों के तेल की आपूर्ति बन्द करने का कारण-

इस बार सरसों के ऊंचे दाम के चलते सरकार ने मंडियों में सरसों की खरीद नहीं की. सरसों की खरीद नहीं होने के कारण हरियाणा राज्य सहकारी आपूर्ति और विपणन महासंघ लिमिटेड (हैफेड) के पास सरसों की आवक नहीं हुई. 

प्रदेश सरकार ने इस बार सरसों की खरीद के लिए 4,650 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी तय किया था, जबकि किसानों को खुले बाजार में 6000 से 6500 रुपये प्रति क्विंटल तक का दाम मिला यानी इस बार किसानों को खुले बाजार में सरसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य से करीब दो हजार रुपये प्रति क्विंटल तक ज्यादा रेट मिला.

बाजार में सरसों का एमएसपी से ज्यादा दाम मिलने पर किसानों ने सरकारी एजेंसियों को सरसों नहीं बेची. जिसके चलते सरकारी तेल मिलों के सामने सरसों की कमी का संकट खड़ा हो गया और अब सरकारी गोदामों में सरसों की कमी का सीधा नुकसान पीडीएस प्रणाली से लाभ प्राप्त करने वाले 11 लाख गरीब परिवारों को होगा.

वहीं 1 जून को नारनौल स्थित हैफेड तेल मिल में आग लगने से गोदाम में रखी दो लीटर की 28 हजार सरसों के तेल की बोतलें और 7 हजार सरसों के भरे कट्टे जलकर नष्ट हो गए, दमकल विभाग की रिपोर्ट में गोदाम में आग की घटना के पीछे हैफेड की लापरवाही सामने आई है.

हरियाणा में जींद के पाजू कला गांव में रहने वालीं BPL परिवार की महिला सदस्य प्रवीन ने हमें बताया, “जब हमें इस बारे में पता चला कि इस महीने से 2 लीटर सरसों का तेल नहीं मिलेगा तो सुन कर बहुत बुरा लगा.  इस वक्त बाजार में पहले से ही सरसों का तेल इतना मंहगा चल रहा है. हमारे लिए इतना खर्च उठाना बहुत मुश्किल होगा. प्रवीन ने बताया कि कोरोना और लॉकडाउन के कारण आमदनी का कोई साधन नहीं है ऐसे में घर की रसोई, डिपो से मिलने वाले राशन से ही चल रही है. लेकिन अब अगर सरसों का तेल नहीं मिलेगा तो सब्जी में तड़का कैसे लगाएंगे समझ नहीं आ रहा.”

प्रवीन और उनके पति मेहर सिंह पैर से अपाहिज हैं. मेहर सिंह अपने घर से 100 मीटर दूर सड़क पर अंडे की रेहड़ी लगाते हैं लेकिन कोरोना और लॉकडाउन के कारण उनका काम बन्द पड़ा है प्रवीन के दो लड़के हैं जो अभी सरकारी स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं.

वहीं मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के विधानसभा क्षेत्र करनाल से 15 किलोमीटर दूर जानी गांव के बीपीएल परिवार के सदस्य प्रदीप कुमार ने हमें बताया, “सरकार लगातार हमारे अधिकारों में कटौती कर रही है. लॉकडाउन और महामारी की मार के बीच डिपो पर मिलने वाले सरसों का तेल बंद करना हमारे लिए एक झटका है.”

सरकार द्वारा सरसों के तेल के एवज में 250 रुपये सीधे खाते में डालने के फैसले पर नाराजगी जताते हुए प्रदीप ने कहा कि इससे पहले बीपीएल परिवारों को मिलने वाली गैस सिलेंडर सब्सिडी भी खत्म कर दी गई है. इसी तरह कुछ महीनों के बाद सरसों के तेल पर 250 रुपये भी बंद कर दिए जांएगे.

सरकार के सरसों के तेल की आपूर्ति बन्द करने के फैसले पर विपक्षी पार्टियों ने सरकार पर निशाना साधा जिसके बाद हरियाणा सरकार ने 11 लाख परिवारों के खातों में सरसों के तेल की एवज में 250 रुपये प्रतिमाह डीबीटी से ट्रांसफर किये जाने का फैसला लिया है।

किसान नेता इंदरजीत सांगवान ने सरकार के इस फैसले को पीडीएस प्रणाली को बंद करने का संकेत बताते हुए कहा कि “अब जिन ऊंचे दामों पर सरसों की खरीद हुई है उसका तेल अभी बाजार में नहीं आया है, बाजार में पहले से सस्ते भाव में खरीदी गई पुरानी सरसों का तेल महंगे दामों पर बेचा जा रहा हैं। सरकार ने इस बार जान-बूझ कर सरसों पर एमएसपी कम रखा है ताकि किसान खुले बाजार में महंगे भाव पर बेच दें। लेकिन खुले बाजार के बड़े व्यापारी किसानों से फसल केवल तब तक ऊंचे दामों पर खरीदेंगे जब तक मंडियां खत्म नहीं हो जाती और मंडियां बंद होने के बाद बड़े व्यापारी अपनी मनमर्जी करेंगे।“

किसान नेता इंद्रजीत सांगवान ने तेल के खेल की क्रॉनोलॉजी बताते हुए कहा, “पहले सरसों का एमएसपी कम तय करो, फिर एमएसपी से ऊपर मंडी से बाहर प्राइवेट व्यापारियों द्वारा खरीदने की छूट दो. जमाखोरी करके तेल के रेट दोगुना करो. फिर राशन वितरण प्रणाली से तेल देना बंद करो. गरीब को मजबूर करो कि वह बाजार से 180 रुपये प्रतिलीटर खरीदे और अपने परिवार का पेट काटकर उनकी तिजोरी भरे. ये है तेल का खेल.’’

हरियाणा में पत्रकार ने दंगों की साजिश से आगाह किया तो उल्टा उसी पर केस दर्ज

हरियाणा के हिसार जिले में मीडिया पोर्टल ‘द इंक’ के पत्रकार राजेश कुंडू पर धारा 66f, 153-A और 153-B के तहत मुकदमा दर्ज किया है। यह मुकदमा हिसार पुलिस के जनसंपर्क अधिकारी विकास लोहचब ने दर्ज करवाया है।

कुंडू शुरु से ही किसान आंदोलन कवर कर रहे हैं और उन्होंने कुछ समय पहले ही आंदोलन से ध्यान भटकाने के लिए तैयार की गई जातीय दंगों की कथित साजिश का भंडाफोड़ करने के लिए एक रिपोर्ट की थी और लोगों को आगाह करते हुए एक फेसबुक पोस्ट भी लिखी थी। लेकिन हरियाणा पुलिस ने उल्टे उनके ऊपर ही मुकदमा दर्ज किया गया है।

पत्रकार राजेश कुंडू ने बताया, “मैंने हाल ही में एक रिपोर्ट की थी, जिसमें मैंने बताया था कि कैसे सत्तापक्ष किसान आंदोलन के दौरान गुरू जम्भेश्वर यूनिवर्सिटी में मूर्ति स्थापना करवाने के पीछे जातीय दंगे करवाना चाहता है। ताकि किसान आंदोलन को तोड़ा जा सके और उससे ध्यान हटाया जा सके। उसी से संबंधित मैंने फेसबुक पर पोस्ट लिखकर लोगों को यह जानकारी दी थी। अब आप बताइए कि जातीय दंगों को लेकर आगाह करते हुए रिपोर्ट करना और फेसबुक पोस्ट लिखना गुनाह कैसे हो गया।”

इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर लोगों ने आपत्ति जतानी शुरू कर दी है। पत्रकारों ने सोशल मीडिया पर राजेश कुंडू के समर्थन में लिखना शुरू कर दिया है और पत्रकारों की संस्थाएं थी उनके समर्थन में आई हैं। “हरियाणा यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट” ने बयान जारी करते हुए कहा है, “राजेश कुंडू पर पुलिस द्वारा किया गया झूठा आपराधिक मामला दर्ज करने की हरियाणा के सारे पत्रकार कड़े शब्दों में निंदा करते हैं और सरकार से मांग करते हैं कि दर्ज मुकदमा वापस लिया जाए, नहीं तो पूरे प्रदेश में पत्रकार आंदोलन करेंगे।”

यूनियन के प्रधान अजय मल्होत्रा ने इस बारे में यूनियन की बैठक भी बुलाई है। यूनियन के प्रदेश वरिष्ठ उपप्रधान अनिल शर्मा ने बताया कि इस मामले को लेकर रोहतक के पत्रकार संकेतिक धरना देंगे और जब तक मामला वापस नहीं हो जाता, आंदोलन जारी रहेगा। हरियाणा के जिला प्रेस क्लबों ने भी राजेश कुंडू पर दर्ज मुकदमे को लेकर निष्पक्ष जांच कर मामला वापस लेने की मांग की है। रोहतक जिला प्रेस क्लब ने कहा है कि अगर इस मामले में जरुरत पड़ी तो पत्रकार मुख्यमंत्री से भी मुलाकात करने जाएंगे।

पत्रकार राजेश कुंडू के खिलाफ दर्ज एफआईआर के अंश

राजेश कुंडु पर लगाई गई धाराओं पर पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के वकील रविन्द्र सिंह ढुल्ल ने बताया, “उन पर आईपीसी की धारा 66F, 153 A, 153 B के तहत केस दर्ज किया है। उनके मामले में सबसे खतरनाक धारा जो लगाई है वो है 66F यानी साइबर टेररिज्म। हरियाणा पुलिस के अनुसार राजेश आतंकवादी है और इस पोस्ट के लिए राजेश को उम्र कैद मिलनी चाहिए। हम भी इस धारा को देखकर हैरान हैं।”

कुंडू के समर्थन में किसान यूनियनों ने भी बयान जारी किये हैं। भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) ने बयान जारी कर कहा है, “किसानों की आवाज को बुलंद करने वाले जाबांज पत्रकार राजेश कुण्डू पर मुकदमा दर्ज करना बीजेपी सरकार की घिनौनी हरकत है। सरकार न्याय के लिए उठती हर आवाज को दबाना चाहती है। भारतीय किसान यूनियन राजेश कुण्डू के साथ खड़ी है और तानाशाही हरकतों पर रोष प्रकट करती है। जातीय दंगों की स्क्रिप्ट का भंडाफोड़ कर राजेश कुंडू ने समाज का भला किया है। सारे किसान और समाज उनके साथ खड़ा है।”

इस मामले में शिकायतकर्ता हिसार पुलिस के जनसंपर्क अधिकारी विकास लोहचब हैं। उन्होंने बताया, “हमने उनपर शिकायत उनकी फेसबुक पोस्ट की वजह से की है। उनके फेसबुक पेज पर जाकर देखिए उन्होंने क्या लिखा है।” इतना बताकर लोहचब ने फोन काट दिया।