हरियाणा सरकार द्वारा BPL परिवारों को मिलने वाले सरसों के तेल को बन्द करने के पीछे का खेल!

 

30 मई, 2021 को राष्ट्र के नाम अपने मन की बात संबोधन में, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इस तथ्य की सराहना की कि किसानों को रबी उत्पादन से संबंधित “सरसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से अधिक” प्राप्त हुआ. पीएम के इस बयान से आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि हरियाणा (और अन्य जगहों) में सरसों उत्पादकों ने बेहतर कीमत पाने के लिए एपीएमसी मंडियों (राज्य एजेंसियों द्वारा खरीद के लिए) के बजाय खुले बाजार में अपनी उपज निजी व्यापारियों को बेचना पसंद किया. यह गौरतलब है कि कृषि उपज में निजी व्यापार को बढ़ावा देने वाले कानून “कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020” के तहत  निजी कंपनियों द्वारा किसानों से सीधे खरीदे जाने वाले तिलहन के निर्यात का भारत सरकार द्वारा कोई अलग डेटा नहीं रखा जाता है.

रबी सीजन (आरएमएस) 2021-22 के लिए सरसों की फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 4,650 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया था, वही इस साल फरवरी के दौरान हरियाणा के उत्तरी जिलों में स्थित मंडियों में निजी व्यापारियों ने लगभग 6,000-6,500 रुपये प्रति क्विंटल सरसों की खरीद की है. राज्य की एजेंसियों को अप्रैल 2021-22 में अपनी खरीद शुरू करनी थी. हालांकि, खाद्य नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामलों के निदेशक, हरियाणा के एक हालिया नोटिस से पता चलता है कि हैफेड के पास सरसों की अनुपलब्धता के कारण, विभाग इस स्थिति में नहीं होगा कि वह राज्य में स्थित सरकारी राशन की दुकानों पर सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) लाभार्थियों (अंत्योदय अन्न योजना-एएवाई और गरीबी रेखा से नीचे-बीपीएल कार्ड वाले) को सरसों का तेल वितरित कर पाए.

खाद्य नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामलों के निदेशक, हरियाणा सरकार ने अपने नये फैसले में पीडीएस (सार्वजनिक वितरण प्रणाली) के तहत बीपीएल परिवारों को मिलने वाला सरसों का तेल बन्द कर दिया है. पीडीएस के तहत बीपीएल और अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) के अंतर्गत आने वाले परिवारों को हर महीने 20 रुपये प्रतिलीटर के हिसाब से 2 लीटर सरसों का तेल मिलता था, जो इस महीने से बंद कर दिया गया है. हरियाणा के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने प्रदेश के सभी राशन डिपो को अगले आदेश तक बीपीएल और अंत्योदय अन्न योजना के अंतर्गत आने वाले परिवारों को सरसों का तेल नहीं देने के आदेश जारी किये हैं.

बाजार में सरसों के तेल की कीमत अब तक की सबसे तेजी पर है. बाजार में सरसों का तेल 180 से 200 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है, ऐसे में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों के लिये सरसों के तेल का खर्च वहन करना मुश्किल होगा. लॉकडाउन में काम न मिलने के कारण अधिकतर बीपीएल परिवार पहले से ही महंगाई की मार झेल रहे हैं ऐसे में इस आर्थिक संकट के बीच अब सरकार भी इन परिवारों की मदद से हाथ पीछे खींच रही है.

हरियाणा में खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मंत्रालय खुद उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के पास है इसके बाद भी सरकार गरीबों को मिलने वाली सार्वजनिक वितरण प्रणाली में कटौती कर रही है.

हरियाणा में सरकार के इस फैसले का करीबन 11 लाख गरीब परिवारों पर सीधा असर पड़ेगा. हरियाणा में पीला राशन कार्ड धारकों (बीपीएल परिवार) की संख्या करीब 8 लाख 93 हजार तथा गुलाबी राशन कार्ड धारकों की संख्या करीब 2.5 लाख है. इन सभी परिवारों को रियायती दरों पर हर महीने 2 लीटर सरसों का तेल दिया जाता था. फिलहाल इन 11 लाख गरीब परिवारों को केवल एक किलो दाल, एक किलो चीनी और परिवार में प्रत्येक सदस्य के हिसाब से 5 किलो आटा दिया जाता है.

सरसों के तेल की आपूर्ति बन्द करने का कारण-

इस बार सरसों के ऊंचे दाम के चलते सरकार ने मंडियों में सरसों की खरीद नहीं की. सरसों की खरीद नहीं होने के कारण हरियाणा राज्य सहकारी आपूर्ति और विपणन महासंघ लिमिटेड (हैफेड) के पास सरसों की आवक नहीं हुई. 

प्रदेश सरकार ने इस बार सरसों की खरीद के लिए 4,650 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी तय किया था, जबकि किसानों को खुले बाजार में 6000 से 6500 रुपये प्रति क्विंटल तक का दाम मिला यानी इस बार किसानों को खुले बाजार में सरसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य से करीब दो हजार रुपये प्रति क्विंटल तक ज्यादा रेट मिला.

बाजार में सरसों का एमएसपी से ज्यादा दाम मिलने पर किसानों ने सरकारी एजेंसियों को सरसों नहीं बेची. जिसके चलते सरकारी तेल मिलों के सामने सरसों की कमी का संकट खड़ा हो गया और अब सरकारी गोदामों में सरसों की कमी का सीधा नुकसान पीडीएस प्रणाली से लाभ प्राप्त करने वाले 11 लाख गरीब परिवारों को होगा.

वहीं 1 जून को नारनौल स्थित हैफेड तेल मिल में आग लगने से गोदाम में रखी दो लीटर की 28 हजार सरसों के तेल की बोतलें और 7 हजार सरसों के भरे कट्टे जलकर नष्ट हो गए, दमकल विभाग की रिपोर्ट में गोदाम में आग की घटना के पीछे हैफेड की लापरवाही सामने आई है.

हरियाणा में जींद के पाजू कला गांव में रहने वालीं BPL परिवार की महिला सदस्य प्रवीन ने हमें बताया, “जब हमें इस बारे में पता चला कि इस महीने से 2 लीटर सरसों का तेल नहीं मिलेगा तो सुन कर बहुत बुरा लगा.  इस वक्त बाजार में पहले से ही सरसों का तेल इतना मंहगा चल रहा है. हमारे लिए इतना खर्च उठाना बहुत मुश्किल होगा. प्रवीन ने बताया कि कोरोना और लॉकडाउन के कारण आमदनी का कोई साधन नहीं है ऐसे में घर की रसोई, डिपो से मिलने वाले राशन से ही चल रही है. लेकिन अब अगर सरसों का तेल नहीं मिलेगा तो सब्जी में तड़का कैसे लगाएंगे समझ नहीं आ रहा.”

प्रवीन और उनके पति मेहर सिंह पैर से अपाहिज हैं. मेहर सिंह अपने घर से 100 मीटर दूर सड़क पर अंडे की रेहड़ी लगाते हैं लेकिन कोरोना और लॉकडाउन के कारण उनका काम बन्द पड़ा है प्रवीन के दो लड़के हैं जो अभी सरकारी स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं.

वहीं मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के विधानसभा क्षेत्र करनाल से 15 किलोमीटर दूर जानी गांव के बीपीएल परिवार के सदस्य प्रदीप कुमार ने हमें बताया, “सरकार लगातार हमारे अधिकारों में कटौती कर रही है. लॉकडाउन और महामारी की मार के बीच डिपो पर मिलने वाले सरसों का तेल बंद करना हमारे लिए एक झटका है.”

सरकार द्वारा सरसों के तेल के एवज में 250 रुपये सीधे खाते में डालने के फैसले पर नाराजगी जताते हुए प्रदीप ने कहा कि इससे पहले बीपीएल परिवारों को मिलने वाली गैस सिलेंडर सब्सिडी भी खत्म कर दी गई है. इसी तरह कुछ महीनों के बाद सरसों के तेल पर 250 रुपये भी बंद कर दिए जांएगे.

सरकार के सरसों के तेल की आपूर्ति बन्द करने के फैसले पर विपक्षी पार्टियों ने सरकार पर निशाना साधा जिसके बाद हरियाणा सरकार ने 11 लाख परिवारों के खातों में सरसों के तेल की एवज में 250 रुपये प्रतिमाह डीबीटी से ट्रांसफर किये जाने का फैसला लिया है।

किसान नेता इंदरजीत सांगवान ने सरकार के इस फैसले को पीडीएस प्रणाली को बंद करने का संकेत बताते हुए कहा कि “अब जिन ऊंचे दामों पर सरसों की खरीद हुई है उसका तेल अभी बाजार में नहीं आया है, बाजार में पहले से सस्ते भाव में खरीदी गई पुरानी सरसों का तेल महंगे दामों पर बेचा जा रहा हैं। सरकार ने इस बार जान-बूझ कर सरसों पर एमएसपी कम रखा है ताकि किसान खुले बाजार में महंगे भाव पर बेच दें। लेकिन खुले बाजार के बड़े व्यापारी किसानों से फसल केवल तब तक ऊंचे दामों पर खरीदेंगे जब तक मंडियां खत्म नहीं हो जाती और मंडियां बंद होने के बाद बड़े व्यापारी अपनी मनमर्जी करेंगे।“

किसान नेता इंद्रजीत सांगवान ने तेल के खेल की क्रॉनोलॉजी बताते हुए कहा, “पहले सरसों का एमएसपी कम तय करो, फिर एमएसपी से ऊपर मंडी से बाहर प्राइवेट व्यापारियों द्वारा खरीदने की छूट दो. जमाखोरी करके तेल के रेट दोगुना करो. फिर राशन वितरण प्रणाली से तेल देना बंद करो. गरीब को मजबूर करो कि वह बाजार से 180 रुपये प्रतिलीटर खरीदे और अपने परिवार का पेट काटकर उनकी तिजोरी भरे. ये है तेल का खेल.’’