किसानों ने अम्बाला में नारायणगढ़ शुगर मिल के बाहर धरना दिया. सोनीपत के गोहाना में आहुलाना शुगर मिल पर ताला जड़कर किसानों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की तो वहीं किसानों का शाहबाद शुगर मिल और
हनुमानगढ़ जिले के एक गांव के रायसिंह जाखड़ बंसरीवाला ने दुख व्यक्त किया कि ठंड और पाले के कारण उनकी सरसों की लगभग 40 प्रतिशत फसल नष्ट हो गई. शीत लहर और बारिश फसल के लिए विनाशकारी साबित हुई है.
फर्जी गेट पास पर धान की खरीद और दूसरे राज्यों से धान आने की खबर के बाद टीम का गठन किया गया. रिपोर्ट में सामने आया कि स्टॉक में 2,630.82 क्विंटल धान और14.61 क्विंटल चावल कम मिला
ग्रामीण अर्थव्यवस्था काफी जटिल है. इसमें कृषि के साथ उद्योग और सेवाएं भी हैं. लेकिन वहां ज्यादातर गतिविधियां असंगठित क्षेत्र में होती हैं. इनमें शहरी इलाकों की तुलना में आमदनी कम होती है. यही
इस दौरान किसान, मुख्यमंत्री मनोहर लाल का पुतला भी फूकेंगें. बता दें कि विधानसभा में विपक्ष की मांग को नकारते हुए सरकार ने गन्ने के पुराने दाम 362 रुपए प्रति क्विंटल के आधार पर ही गन्ना खरीदने की
ऐसे कर्मचारी जो किसी भी प्रकार की सामाजिक सुरक्षा के लाभ के योग्य नहीं हैं, का अनुपात निरंतर बढ़ रहा है। पीएलएफएस 2017–18 में 49.6 फीसदी था जोकि बढ़कर 2020–21 में 53.8 फीसदी हो जाता
आढ़ती 19 सितंबर को मंडी स्तर पर और 20 सितंबर को विधायकों के आवास पर विरोध प्रदर्शन करेंगे. वहीं 21 सितंबर को करनाल में राज्य स्तरीय विरोध मार्च निकाला जाएगा, जिसमें आढ़ती मुख्यमंत्री कार्यालय का
अगस्त में रिटेल महंगाई दर बढ़कर 7 फीसदी हो गई है. वहीं जुलाई में रिटेल महंगाई दर 6.7% थी. रिटेल महंगाई दर लगातार 8 महीनों से RBI की 6% की ऊपरी लिमिट के पार
जिस सेब के लिए किसानों को 60 रुपये किलो का भाव दिया जा रहा है उसी क्वालिटी का सेब देश की राजधानी में प्राइवेट कंपनियां 500 रुपए प्रतिकिलो तक बेच रही
भारत में जहां इन दिनों ‘रेवड़ी संस्कृति’ को लेकर बहुत चर्चा चली हुई है और अधिकांश अखबारों में किसान सहित गरीब तबके को मुफ्त की सुविधाओं या वस्तुएं देने के खिलाफ लेख आ रहे हैं वहीं
किसान आदमपुर के तहसील कार्यालय में पिछले तीन महीने से कपास की फसल के नुकसान के मुआवजे की मांग को लकेर धरना दे रहे हैं.
सर्वे में पाया गया कि 20 फीसदी उपभोक्ताओं ने दूध की मात्रा कम करने की बात स्वीकार की है जिसका मुख्य कारण लगातार दूध की कीमतों में हो रही बढ़ोतरी को माना गया
लंपी बीमारी से हरियाणा के 4286 गांव प्रभावित हैं. प्रदेश में संक्रमित पशुओं की संख्या 84766 पहुंच गई है. इनमें से 75080 गायें संक्रमित हैं और 145 भैसें भी इस बीमारी से ग्रस्त हो गई
देविंदर शर्मा कहते हैं कि सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी राज्यों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर मोटे अनाज की खरीद हो, ताकि मोटा अनाज उगाने वाले किसान को उचित दाम मिल
किसानों का कहना है कि टमाटर के दाम गिरने से खेती पर किया गया खर्च भी पूरा नहीं हो रहा है. दाम घटने की वजह से टमाटर की खेती अब किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रही है.
एक ओर सेब किसान और बागवान सेब की कम कीमत मिलने के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. वहीं इस बीच अडानी की कंपनी एग्रोफ्रेस ने एक बार फिर सेब के दाम घटा दिए हैं. इस बार सेब के दाम में 2 रुपए प्रतिकिलो की कमी
दूध के दाम बढ़ने के बाद भी दूध उत्पादन करने वाले किसानों को लाभ नहीं मिल रहा है. सारा मुनाफा जनता की जेब से सीधा दूध कंपनी की तिजोरियों में जा रहा है.
युवा किसान संगठन के रविंद्र चौधरी बताते हैं कि भारत सरकार की एक्सपोर्ट पॉलिसी में लहसुन पर कोई प्रावधान नहीं होने से इसे खुले बाजार में ही छोड़ दिया गया है, यह न्यूनतम समर्थन मूल्य के दायरे
विशेषज्ञ कमजोर मानसून को लेकर चिंता जाहिर कर रहे हैं. धान के बड़े रकबे वाले राज्यों में कमजोर मानसून भविष्य में अनाज के दामों में उछाल का बड़ा कारण हो सकता
लैब की रिपोर्ट के अनुसार पतंजलि के देसी घी में मिलावट पाई गई है. पतंजलि का देसी घी मानकों के अनुरूप नहीं है. पतंजलि के घी को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बताया
सेब उत्पादकों ने अपना एक संयुक्त ब्यान जारी करते हुए कहा है, “सरकार सोच रही है कि समय के साथ अपने आप विरोध कम हो जाएगा, तो वह बहुत बड़ी गलती कर रही है. जब तक सरकार हमारी मांगें नहीं मानती तब तक
चालू खरीफ सीजन (2022-23) में 12 अगस्त,2022 तक धान का कुल क्षेत्रफल 309.79 लाख हैक्टेयर रहा है जबकि पिछले साल इसी समय तक धान का कुल क्षेत्रफल 353.62 लाख हैक्टेयर रहा
पैकेट बंद ब्रांडेड खाद्य वस्तुओं जैसे आटा, चावल, मैदा, सूजी, दाल, गेहूं, आदि पर 5% GST पहले से लागू था लेकिन सरकार ने अब इसमें बदलाव करते हुए नॉन ब्रांडेड प्रोडक्ट्स पर भी 5% GST लगा दिया
देश में अग्निपथ स्कीम का विरोध, महाराष्ट्र में सियासी उठापटक और असम में बाढ़ की खबर के बीच देश का सबसे बड़ा बैंक घोटाला सामने आया है. बताया जा रहा है कि यह घोटाला 34 हजार करोड़ रुपए से अधिक का है.
नवउदारवादी निजाम में भारतीय अर्थव्यवस्था का सरल पुनरुत्पादन की ओर खिसकने की प्रवृत्ति प्रदर्शित करना, इसी तथ्य की ओर इशारा करता है कि नवउदारवाद, अंधी गली में पहुंच गया है और यह भारत के लिए ही
एक तरफ सरकार यह दावा कर रही है कि उन्होंने किसानों की फसल में लागत से ज्यादा एमएसपी तय किया है, तो वहीं दुसरी ओर रिज़र्व बैंक ने साल 2022-23 तक महंगाई दर 6.7 फीसदी होने का अनुमान लगाया है. इसका अर्थ यह
आरबीआई का विश्लेषण बताता है कि खुदरा महंगाई पर अंतरराष्ट्रीय बाजार की तुलना में थोक महंगाई का असर अधिक होता है. यानी सप्लाई की दिक्कतें, टैक्स तथा अन्य स्थानीय कारण खुदरा बाजार में दाम
पिछले सीजन के पहले तक सरकार चीनी निर्यात पर सब्सिडी दे रही थी ताकि चीनी मिलें गन्ना किसानों को बकाया का भुगतान कर सकें. उस समय घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमतें काफी नीचे थीं.
रिपोर्ट के मुताबिक अरबपतियों की जितनी दौलत पिछले 23 साल में बढ़ी थी उतनी दौलत अरबपतियों ने पिछले सिर्फ 2 साल में बढ़ा ली
गेहूं के उत्पादन में कमी और निजी क्षेत्र द्वारा निर्यात के लिए खरीद करने के चलते लंबे समय के बाद इस साल गेहूं की कीमतों में तेजी आना लगभग तय है। सरकार गेहूं उत्पादन का अनुमान भी कम कर सकती है
पिछले तीन वर्षों में गेहूं और धान की सरकारी खरीद करीब डेढ़ गुना बढ़ी है। इसी के बूते करोड़ों लोगों को पीडीएस का अतिरिक्त अनाज मिल सका। क्योंकि भारत में कृषि उत्पादों के दाम अंतरराष्ट्रीय बाजार
कोरोना की सबसे ज्यादा मार एमएसएमई सेक्टर पर पड़ी है। मार्च 2020 में केंद्र सरकार द्वारा देशव्यापी लॉकडाउन लागू करने के बाद, हजारों एमएसएमई या तो बंद हो गए या उनकी हालत बिगड़
कृषि और संबद्ध गतिविधियों का कुल बजट पिछले साल के 4.26% से घटकर अब 3.84% हो गया
साक्षात्कार में आए करीब 62 फीसदी किसानों को एमएसपी के बारे में जानकारी नहीं थी, जबकि सिर्फ 38 फीसदी ने एमएसपी के बारे में सुना था. जिन लोगों ने एमएसपी के बारे में सुना था, उनमें से अधिकांश (64
हरियाणा में एलपीजी सिलेंडर की कीमत 15 रुपये की बढ़ोतरी के साथ 916 रुपये हो गई है. पिछले तीन महीनों से लगातार रसोई गैस की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही
किसान अभी तक सरकारी खरीद के इंतजार में थे, इसलिए उन्होंने बाजरे को मंडी में ले जाना शुरू नहीं किया था. लेकिन इस योजना के ऐलान के बाद सरकारी खरीद का तो रास्ता ही बंद हो गया.
राज्य सरकारों को एक पोर्टल बनाने के लिए भी कहा गया है जहां कारोबारी, उत्पादक और रिफाइनर्स स्टॉक की जानकारी दे सकेंगे। जिसे राज्य सरकारें सत्यापित कर सकेंगी। सभी राज्य सरकारों को इसके लिए
"केंद्र सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 40 रुपये प्रति कुंतल बढ़ाकर 2,015 रुपये करने का ऐलान किया है. कुल 40 पैसे प्रति किलोग्राम की बढ़ोतरी है. प्रतिशत में देखें तो महज 2 फीसदी का इजाफा. फिर
चार्ट के माध्यम से ये साफ़ देखा जा सकता है कि केंद्र सरकार का टैक्स से आने वाला राजस्व जीडीपी के अनुपात में लगातार कम होता जा रहा है. 2007-08 के बीच ये जीडीपी का 12.11 % था जो कि इसकी अब तक की सर्वाधिक दर
किसान आंदोलन के बावजूद कृषि के लिए नहीं हुआ कोई बड़ा ऐलान, कई योजनाओं का बजट घटाया
एक झटके में टेक्सटाइल से जुड़े 5 बोर्डों को समाप्त करने के फैसले से कला और शिल्प जगत स्तब्ध
हम विश्व के सबसे बड़े प्याज निर्यातक थे। तो ऐसा क्या हुआ कि अब उसी प्याज को देश मंहगे दामों पर आयात करने के लिए मजबूर है।
देश में यूरिया की खपत के मुकाबले नीम तेल का उत्पादन मुश्किल से 15 फीसदी, फिर कैसे हो रही है 100 फीसदी नीम
किसानों को सीधी आर्थिक सहायता देने वाली पीएम-किसान योजना का क्रियान्वयन आसान नहीं होने जा रहा
अपने महत्वाकांक्षी सौनी प्रोजेक्ट के जरिये गुजरात की सियासी इंजीनियरिंग को साधने में जुटे हैं नरेंद्र
पिछले 20 साल के दौरान हर रोज औसतन 2035 किसान मुख्य खेतीहर का दर्जा खो रहे
योजना के व्यापक प्रचार-प्रसार के बावजूद अभी भी बहुत-से किसानों को जानकारी नहीं है कि फसल बीमा कैसे कराएं और क्लेम कैसे
हरियाणा में किसानों को मक्का के बीज मुफ्त दिए जाएंगे। हरियाणा सरकार प्रति एकड़ 2,000 रुपये के हिसाब से अधिकतम 4 एकड़ के लिए मक्का के बीज मुफ्त उपलब्ध
केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू होने के बाद अब इसे ज्यादा से ज्यादा किसानों तक पहुंचाने की कोशिशें तेज हो गई हैं। इसके लिए राज्य सरकारों और कृषि से जुड़ी