Budget 2024: खेतीबाड़ी के बजट में मामूली बढ़ोतरी, पर किसानों की कई योजनाओं के बजट में कटौती
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केन्द्र की भाजपा सरकार ने साल 2024-25 के लिए लगातार दसवां बजट पेश किया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को चुनावी साल होने की वजह से अंतरिम बजट पेश किया है. इस अंतरिम बजट में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के लिए वर्ष 2024-25 में 1.27 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है जबकि पिछले बजट में कृषि मंत्रालय के लिए 1.25 लाख करोड़ रुपये का बजट तय किया गया था. इसी तरह कृषि और संबद्ध क्षेत्रों का कुल बजट 1.47 लाख करोड़ रुपये है जो 2023-24 के लिए 1.44 लाख करोड़ रुपये था. बजट दस्तावेज़ के अनुसार, कृषि मंत्रालय को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 1,27,469.88 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जिसमें से कृषि विभाग को 1,17,528.79 करोड़ रुपये मिलेंगे जबकि कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग (डीएआरई) को 9,941.09 करोड़ रुपये मिलेंगे.
बार-बार मौसम की मार और घरेलू खाद्य कीमतों पर नियंत्रण के लिए निर्यात प्रतिबंधों के कारण किसानों की कमाई पर असर पड़ने के बावजूद, 1 फरवरी को पेश किए गए अंतरिम बजट में कुछ प्रमुख योजनाओं के लिए धनराशि में कटौती की गई है.
सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के बजट में कटौती करके हुए 14,600 करोड़ रुपये का आवंटन किया है जो बीते वर्ष 2023-24 में 15,000 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान से कम है. पीएम किसान सम्मान निधि के तहत आवंटित ₹60,000 करोड़ रुपए पिछले साल जितने ही हैं. हालाँकि, पीएम किसान मान धन योजना के आवंटन में कटौती की गई है. वित्त मंत्री ने खाद्य और उर्वरक सब्सिडी को करीब 8 फीसदी कम रखने का अनुमान जताया है.
एक अन्य प्रमुख योजना पीएम-आशा के लिए धनराशि -जिसका उपयोग किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर दलहन और तिलहन जैसी फसलों को खरीदने के लिए किया जाता है -को 2023-24 में ₹2,200 करोड़ (संसोधित अनुमान) से घटाकर 2024-25 में ₹1,738 करोड़ (बजट अनुमान) कर दिया गया. हैरानी की बात यह है कि यह कटौती सरकार द्वारा पिछले महीने दालों की खरीद के लिए एक पोर्टल लॉन्च करने के बावजूद की गई है. बजट दस्तावेज़ बताते हैं कि 2022-23 में मूल्य समर्थन योजना का वास्तविक खर्च ₹4,000 करोड़ से अधिक था. इसी तरह एफपीओ, पीएम किसान मानधन योजना, प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना के बजट में कटौती की गई है.
जीरो खर्च की खेती को प्रमोट करने के लिए बनाई गई राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन योजना को 2023-24 में ₹459 करोड़ (बजट अनुमान) की तुलना में 2024-25 के लिए सिर्फ ₹366 करोड़ (बजट अनुमान) आवंटित किए गए हैं. संशोधित अनुमान बताते हैं कि चालू वित्त वर्ष के दौरान इस योजना पर खर्च सिर्फ ₹100 करोड़ रुपए ही किए गए. नई योजनाओं में, बजट में नमो ड्रोन दीदी के लिए ₹500 करोड़ आवंटित किए गए, जिसका लक्ष्य महिला स्वयं सहायता समूहों को 15,000 ड्रोन प्रदान करना होगा. महिलाओं द्वारा संचालित ड्रोन को किसान उर्वरक और कीटनाशकों का छिड़काव करने के लिए किराए पर ले सकते हैं.
मनरेगा को लेकर यूपीए सरकार की आलोचना करने वाली मोदी सरकार ने इस बार मनरेगा के लिए बजट में बढ़े खर्च के बराबर राशि आवंटन की है. 2024-25 के लिए मनरेगा का बजट 86,000 करोड़ रुपये कर दिया है. बीते वित्त वर्ष में मनरेगा का बजट 60,000 करोड़ रुपये आवंटित किया गया था, पर 2023-24 में मनरेगा पर 86000 करोड़ खर्च होने का अनुमान है.
ग्रामीण विकास मंत्रालय के बजट में संशोधित अनुमान से केवल 3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. पिछले साल के 1.71 लाख करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान से इस बार बजट आवंटन 1.77 लाख करोड़ कर दिया गया है. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का आवंटन भी घटाया गया है. 2024-25 के इस बजट में 12,000 करोड़ रुपये आंवटित किए गए हैं जबकि पिछली बार के बजट में यह राशि 19,000 करोड़ रुपये थी.
हालाँकि, बजट में एम.एस. स्वामीनाथन कमेटी के फॉर्मूला पर आधारित न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी जैसे मुद्दों पर कोई प्रावधान नहीं देखने को मिले. यह किसानों की लंबे समय से चली आ रही एक मुख्य मांग भी है. किसान खेतीबाड़ी में अधिक सार्वजनिक निवेश और मंडियों और कॉपरेटिव्स के गठन के लिए सब्सिडी की भी मांग कर रहे हैं और उन्होंने केंद्र की नीतियों के खिलाफ 13 फरवरी को दिल्ली कूच का भी ऐलान किया है.
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत बजट में ग्रामीण विकास, मनरेगा, ग्रामीण रोजगार, प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना, सहयोग, खाद्य भंडारण और भंडारण, वृक्षारोपण, फसल पालन, बाढ़ नियंत्रण और जल निकासी, भूमि सुधार, खाद्य सब्सिडी, डेयरी विकास, मिट्टी और जल संरक्षण, सिंचाई, पोषण, ग्रामीण सड़कें, आवास, शिक्षा और स्वास्थ्य, उर्वरक सब्सिडी में भारी कटौती की गई है. एसकेएम ने कहा कि 9 दिसंबर 2021 को सरकार के C2+50 प्रतिशत फॉर्मूले द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू करने के लिखित आश्वासन के बावजूद यह अभी तक नहीं किया गया है, न ही बजट में इस मामले पर कुछ कहा गया है. यह किसानों और सामान्य रूप से लोगों के साथ एक बड़ा धोखा है. हालांकि रोजगार एक बहुत गंभीर मुद्दा बन गया है. बजट में रोजगार सृजन, न्यूनतम मजदूरी और न्यूनतम समर्थन मूल्य का आश्वासन, ऋण माफी और मूल्य वृद्धि को कम करने के लिए कोई पर्याप्त आवंटन नहीं किया गया है.
केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि बजट भारत को विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ाने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी का दर्पण है. कृषि अनुसंधान के लिए ₹9,941.09 करोड़ रुपए आंवटित किए गए हैं. हालाँकि, किसान संगठनों ने आवंटन को अपर्याप्त बताया है. सुश्री सीतारमण ने अपने भाषण में कहा कि किसान हमारे अन्नदाता हैं और पीएम किसान सम्मान निधि के तहत सीमांत और छोटे किसानों सहित 11.8 करोड़ किसानों को प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है. “पीएम फसल बीमा योजना के तहत चार करोड़ किसानों को फसल बीमा दिया जाता है. ये, कई अन्य कार्यक्रमों के अलावा, देश और दुनिया के लिए भोजन पैदा करने में अन्नदाता की सहायता कर रहे हैं. इलेक्ट्रॉनिक राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) ने 1,361 बाजारों को एकीकृत किया है और 3 लाख करोड़ रुपये के कारोबार के साथ 1.8 करोड़ किसानों को सेवाएं प्रदान कर रहा है.”
सुश्री सीतारमण ने घोषणा की कि सरसों, मूंगफली, तिल, सोयाबीन और सूरजमुखी जैसे तिलहनों के लिए आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए एक रणनीति बनाई जाएगी. उन्होंने कहा, “इसमें अधिक उपज देने वाली किस्मों के लिए अनुसंधान, आधुनिक कृषि तकनीकों को व्यापक रूप से अपनाना, बाजार संपर्क, खरीद, मूल्य संवर्धन और फसल बीमा शामिल होगा.” वित्त मंत्री ने कहा कि डेयरी किसानों की सहायता के लिए एक व्यापक कार्यक्रम तैयार किया जाएगा. उन्होंने कहा, “खुर और मुंह की बीमारी को नियंत्रित करने के प्रयास पहले से ही जारी हैं. यह कार्यक्रम राष्ट्रीय गोकुल मिशन, राष्ट्रीय पशुधन मिशन और डेयरी प्रसंस्करण और पशुपालन के लिए बुनियादी ढांचा विकास निधि सहित मौजूदा योजनाओं की सफलता पर बनाया जाएगा.
मंत्रालय को ₹4,521.24 करोड़ आवंटित किए गए हैं, जो पिछले बजट की तुलना में लगभग ₹200 करोड़ अधिक है. मंत्री ने कहा कि मत्स्य पालन के लिए एक अलग विभाग के परिणामस्वरूप अंतर्देशीय और जलीय कृषि उत्पादन दोगुना हो गया है. “2013-14 से समुद्री खाद्य निर्यात भी दोगुना हो गया है. उन्होंने कहा, ”प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई) के कार्यान्वयन को मौजूदा तीन टन से पांच टन प्रति हेक्टेयर तक बढ़ाने, निर्यात को दोगुना करके ₹1 लाख करोड़ करने और निकट भविष्य में 55 लाख रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए कदम बढ़ाया जाएगा.” विभाग के लिए आवंटन ₹2,584.50 करोड़ है.
संयुक्त किसान मोर्चा ने आरोप लगाया कि बजट में यह प्रस्ताव इस क्षेत्र को बड़े कॉर्पोरेट घरानों को सौंपने के लिए है.
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