गुलाबी सुंडी से इस साल भी बर्बाद हुई कपास की लाखों एकड़ फसल!
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उत्तर भारत में कपास की फसल पर इस साल भी गुलाबी सुंडी का कहर झेल रही है इस बार गुलाबी सुंडी का हमला पिछले 2 साल से कई ज्यादा नजर आ रहा है. पिछले साल गुलाबी सुंडी का हमला मौसम के अंत में देखने को मिला था लेकिन इस बार मौसम के शुरुआती दिनों में ही गुलाबी सुंडी कपास की फसल पर कहर बनकर टूट रही है गुलाबी सुंडी किसानों के लिए एक बड़ा खतरा बन गया है.
2017-18 से पहले उत्तर भारत में कपास की खेती करने वाला पूरा इलाका गुलाबी सुंडी से मुक्त था, पर 2018-19 में पहली बार जींद और भठिंडा में इनका प्रकोप दिखना शुरू हुया. अनुमान के हिसाब से इस कीट की वजह से हरियाणा में करीबन 30% फसल पर प्रभाव पड़ा है. वहीं राजस्थान में भी आधिकारिक बयान के अनुसार हनुमानगढ़ और गंगानगर ज़िले में 2.56 लाख हेक्टेयर रकबा गुलाबी सुंडी से प्रभावित हुआ है, जिससे 73 हजार किसानों की फसलों पर फर्क पड़ा है.
राजस्थान के हनुमानगढ़ से लेकर हरियाणा के सिरसा तक कपास की फसल में अलग अलग मात्रा में गुलाबी सुंडी पाई गई है. ये सुंडी असल में कपास के फूलों के अंदर जाकर जिसमें लिंट और बीज होता है, उसके वजन और गुणवत्ता दोनों पर गहरा असर डालती हैं. 1990 के दशक में जब कपास की खेती करने वाले किसानों को इसी तरह के कीट प्रकोप का सामना करना पड़ा तो 2005 में हाइब्रिड बीटी कपास ईजाद की गई जिससे कुछ सालों के लिए किसानों को राहत मिली पर पिछले कुछ सालों से बीटी कपास भी गुलाबी सुंडी से प्रभावित होना शुरू हो गई.
किसानों का कहना है कि जब फसल में कीट लगना शुरू हुए तो कृषि विभाग के अधिकारियों के कहने पर दवाओं का छिड़काव भी किया गया पर फसल में कोई सुधार नहीं हुआ. जब कपास के टिंडों को तोड़कर देखा गया तो वो अंदर से गले हुए निकले और उनमें गुलाबी सुंडी लगी हुई थी.
हरियाणा में इस साल कपास की उपज बाक़ी सालों के हिसाब से सबसे कम मात्रा में देखी गई. गुलाबी सुंडी के साथ साथ सफेद मक्खी, पैराविल्ट,गर्मी और बारिश भी फसल के ख़राब होना का बड़ा कारण थे. किसानों ने सरकार से माँग की कि कपास के बीजों की जाँच की जाये क्योंकि बीज कंपनियां उन्हें नोन बीटी और बीटी बीज मिला कर बेच रही हैं. पंजाब में भठिंडा और मानसा क्षेत्र के ज़िले, हरियाणा में फतेहाबाद, सिरसा और हिसार और राजस्थान में हनुमानगढ़ और गंगानगर गुलाबी सुंडी से सबसे ज़्यादा प्रभावित जगहों में आते है.
राष्ट्रीय स्तर पर कपास का उत्पादन क्षेत्र 127.57 लाख हेक्टेयर से घटकर 123.42 लाख हेक्टेयर हो गया. हरियाणा में इस फसल की बिजाई का क्षेत्र लगभग पिछले साल के सामान्य ही रहा पर पंजाब में कपास के उत्पादन का क्षेत्र इस वर्ष भी पिछले कुछ वर्षों की तरह घटता हुया दिखाई दिया.राजस्थान सरकार ने इस खतरे के स्तर को देखकर हनुमानगढ़ और गंगानगर ज़िले के किसान, जिनकी फसल को इसकी वजह से हानि हुई है, उन्हें औसत उपज अकड़ों के आधार पर जल्द से जल्द मुआवज़ा देने का ऐलान किया है.
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