बिकने लायक नहीं कपास, कर्जदार हुआ किसान!

 

हिसार से 25 किमी दूर स्थित 6 हजार की आबादी वाले गांव किरतान की पहचान कपास उत्पादक गांवों में की
जाती है.यहां आजादी के पहले से किसान कॉटन की खेती करते आ रहे हैं. कपास ने गांव की उन्नति में बड़ा योगदान दिया. मगर इन दिनों यहां के किसान दुखी हैं. जिस कपास की फसल से उन्हें उम्मीदें थीं, वो गुलाबी सुंडी नामक रोग से बर्बाद हो गई. किसानों के सपने बिखर गए और उनका कर्ज बढ़ता जा रहा है.

किरतान के ही 50 वर्षीय किसान अनिल शर्मा इस बार अपने पुराने घर को तोड़कर नया घर बनाने की शुरूआत करने वाले थे, इन्होंने 4 एकड़ में कपास बोई थी.गुलाबी सुंडी रोग लगने के कारण एक एकड़ में सिर्फ 2 क्विंटल ही कपास की पैदावार हुई, वह भी खराब क्वालिटी की.जिसे मंडी में कोई लेने को तैयार नहीं. अनिल बताते हैं
कि यदि अच्छी फसल आए तो एक एकड़ में 10 से 12 क्विंटल तक उत्पादन हो सकता है.कम उत्पादन और भाव नहीं मिलने के कारण कपास को घर में ही रखा है.यह पीड़ा अकेले अनिल शर्मा की नहीं है बल्कि कॉटन
बेल्ट हिसार, सिरसा, भिवानी, दादरी, फतेहाबाद जिले के सैकड़ों गांवों के किसानों की है.जहां इस बार गुलाबी सुंडी नामक रोग ने कपास की फसल को खासा नुकसान पहुंचाया है.अकेले हिसार जिले में मंडियों में इस बार
5.67 लाख क्विंटल कपास कम आई है.पिछली बार जहां 19.55 लाख क्विंटल कपास की आवक हुई थीं वहीं इस बार 13.87 लाख क्विंटल की ही आवक हुई.

दो साल से खराब हो रही फसल

किसान संदीप किरतान कहते हैं कि पिछले दो साल से कपास की फसल अधिक खराब हो रही है. हमने जो बीज लिया था, वह यह कहकर दिया था कि इसमें रोग नहीं लगेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. सरकार को इसे देखना चाहिए. सरकार ने एमएसपी तो घोषित कर दी लेकिन सरकारी खरीद नहीं होने से क्वालिटी का हवाला देकर दाम कम मिले. एमएसपी 6920 के मुकाबले 4500 से 6500 तक ही दाम मिले. किसान नेता संदीप सिवाच का कहना है कि कपास किसानों के लिए घाटे का सौदा बनती जा रही है. नुकसान के कारण साल दर साल किसान कर्जदार हो रहे हैं. सरकार को तुरंत मुआवजे की घोषणा करनी चाहिए. हिसार जिले के 72 गांवों का पिछले साल का ही बीमा अब तक नहीं मिला है.

किसान. डा. राजबीर, उपनिदेशक कृषि, हिसार कपास 2023 के बीमा प्रीमियम को एजेंसी द्वारा वापस किसानों के खातों में डाल दिया था. इसके बाद हरियाणा फसल सुरक्षा योजना के तहत जिला के 16 हजार किसानों का 57 हजार एकड़ कपास की फसल का बीमा सरकार द्वारा किया है. इस एरिया का क्रॉप कटिंग सर्वे व क्षतिपूर्ति पोर्टल पर जिन किसानों ने आवेदन किया है, उनका डेटा रेवेन्यू विभाग तैयार करा रहा है.

जलाने के काम आएगा कपास

किरतान के किसान सजन कुमार ने इस बार 4 एकड़ में कपास की फसल उम्मीद के साथ की थीं कि इसे बेचकर बेटे की शादी करूंगा, लेकिन सजन की फसल बर्बाद हो गई. रोग लगने के कारण कपास के टिंडे खिल ही नहीं पाए और जो खिले उनकी चुगाई का खर्च बिक्री से अधिक था. इसलिए सजन ने फसल को काटकर खेतों में ही जमा कर लिया. अब जलाने के काम आएगी. सजन कुमार कहते हैं लोन लेकर खेती कर रहे हैं, कपास का बीमा भी था लेकिन कंपनी ने प्रीमियम वापस कर दिया अब न बीमा और न ही सरकार ने मुआवजे का एलान किया है. 22 जनवरी को बेटे की शादी है, अब साहूकार से कर्ज लेने के अलावा दूसरा चारा नहीं बचा.