सरकारी योजनाओं के लाभ से कोसों दूर हरियाणा का ‘कपडिया’ समुदाय
![](https://www.gaonsavera.com/wp-content/uploads/2022/04/WhatsApp-Image-2022-04-20-at-6.29.21-AM-1200x675.jpeg)
विमुक्त घुमंतु जनजातियों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने की सरकार की अनेक योजनाओं का हरियाणा के करनाल में रहने वाले कपडिया समुदाय तक कोई लाभ नहीं पहुंच रहा है. कपडिया समुदाय दशकों से सरकारी योजनाओं से वंचित है. हरियाणा में इस जनजाति की आबादी करीबन एक लाख है. लेकिन अब तक जाति के आधार पर इस समुदाय का वर्गीकरण नहीं किया गया है.
करनाल की शिव कॉलोनी में अपनी छोटी-सी परचून की दुकान चलाने वाले करीबन 65 साल के बुजुर्ग ने बताया, ‘हम तकरीबन 45 साल से यहां रह रहे हैं. सारी जिन्दगी करनाल शहर में गुजार दी लेकिन किसी भी सरकार ने हमें यहां का निवासी नहीं माना. आज तक हमारा जाति प्रमाण पत्र नहीं बना है’
वहीं करीबन 35 साल के सामाजिक कार्यकर्ता दयाराम ने बताया, ‘जाति प्रमाण पत्र नहीं बनने की वजह से हमारे बच्चे सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित हैं. हमारे समुदाय के बच्चों को सरकारी स्कूल से मिलने वाली कोई भी सुविधा नहीं मिल रही है. हमारे पास आधार कार्ड है, वोटर कार्ड भी है लेकिन जाति प्रमाण पत्र नहीं बनाए गए हैं.’
![](https://demo.oakyweb.com/gaonsavera/wp-content/uploads/2022/04/01b9f5e9-9292-4dc6-99c6-e2d9b22a46cd-1024x471.jpg)
देश के दूसरे राज्यों में रहने वाले कपडिया जनजाति के लोग अनुसूचित जनजाति में आते हैं. दयाराम ने बताया, ‘उत्तरप्रदेश में कपडिया अनुसूचित जनजाति में दर्ज है. उत्तरप्रदेश में जाति प्रमाण पत्र होने के कारण कपडिया समुदाय के लोग सरकारी सुविधाओं का लाभ ले रहे हैं लेकिन हमारे जाति प्रमाण पत्र नहीं बनने के कारण हमें सरकारी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं. हमारे लोग डिपो के राशन में मिलने वाली छूट से भी वंचित हैं. राशन डिपो से हमें वो सुविधाएं नहीं मिल रही हैं जो दूसरे लोगों को मिलती हैं.’
दयाराम ने बताया हम जब अपना जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिये जाते हैं तो सरकारी लिस्ट में हमारी जाति का नाम नहीं होने की बात कह कर जाति प्रमाण पत्र बनाने से मना कर दिया जाता है. आगे उन्होने बताया, ‘बच्चों को सरकारी स्कूल में दाखिला देने में भी आनाकानी करते हैं. हमने कपडिया समाज के नाम से एक ट्रस्ट बनाई है जिसके लेटर पेड पर लिखकर देने के बाद बच्चों को सरकारी स्कूल में दाखिला दिया गया है.’
![](https://demo.oakyweb.com/gaonsavera/wp-content/uploads/2022/04/dcd97cd9-967c-4422-ac47-8329c779a2ed-1024x778.jpg)
इस जनजाति की अपनी भाषा है जिसको कपडिया भाषा कहा जाता है. ये लोग आपसी बातचीत कपडिया भाषा में ही करते हैं. दायाराम ने बताया, ‘हमारे बच्चे बचपन से ही कपडिया भाषा बोलना सीख जाते हैं हमें अपनी भाषा पर गर्व है.’ कपडिया भाषा, भांतू भाषा से मिलती जुलती है भांतू विमुक्त जनजाति में आने वाली अन्य जनजातियों में बोली जाने वाली भाषा है.
वहीं एक बुजुर्ग ने बताया, ‘हमारे पूर्वज उत्तर प्रदेश के कानपुर से चले थे और पशुओं का व्यापार करते थे. एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते थे और पशुओं को भी अपने साथ रखते थे. एक तरह से घुमंतू थे जो चलते-चलते यहां तक पहुंच गए और यहीं के हो गए.
वहीं करनाल लघु सचिवालय में संबंधित विभाग के अधिकारी ने हरियाणा में अऩुसूचित जाति में दर्ज जातियों की सूची दिखाते हुए कहा कि जब कपड़िया जाति इस सूची में दर्ज ही नहीं है तो ऐेसे में हम लोग जाति प्रमाण पत्र कैसे बना सकते हैं.’
करनाल में रह रहे कपडिया समाज के करीबन 70 परिवार अपनी पहचान के लिए वर्षों से इंतजार कर रहे हैं. करनाल के अलावा कुरुक्षेत्र अम्बाला, फरीदाबाद में भी कपडिया समुदाय के परिवार रहते हैं. कपडिया समुदाय के अधिकतर लोग अब कपड़े का काम करते हैं. ये लोग गांव-गांव जाकर कपड़ों के बदले प्लास्टिक से बना सामान बेचकर अपना गुजारा कर रहे हैं.
- Tags :
- denotified tribes
- dnt
- Haryana
- KAPDIYA
Top Videos
![](https://www.gaonsavera.com/wp-content/uploads/2023/12/tractor-rally-pti.jpg)
किसानों ने 27 राज्यों में निकाला ट्रैक्टर मार्च, अपनी लंबित माँगों के लिए ग़ुस्से में दिखे किसान
![](https://www.gaonsavera.com/wp-content/uploads/2023/07/1200-675-18883514-thumbnail-16x9-bhiwani.jpg)
उत्तर प्रदेश के नोएडा के किसानों को शहरीकरण और विकास क्यों चुभ रहा है
![](https://www.gaonsavera.com/wp-content/uploads/2023/10/Capture.jpg)
Gig Economy के चंगुल में फंसे Gig Workers के हालात क्या बयां करते हैं?
![](https://www.gaonsavera.com/wp-content/uploads/2023/07/Screenshot_2023-07-17-07-34-18-09_0b2fce7a16bf2b728d6ffa28c8d60efb.jpg)
Haryana में बाढ़ क्यों आयी? घग्गर नदी | मारकंडा नदी | टांगरी नदी
![](https://www.gaonsavera.com/wp-content/uploads/2024/02/maxresdefault-11-1200x675.jpg)