पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में बाढ़ से फसलों को भारी नुकसान!
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उत्तर भारत में पिछले हफ्ते हुई भारी बारिश से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में खरीफ फसलों पर प्रतिकूल असर पड़ा है.पंजाब में जहां ब्यास और सतलुजलु नदी में बाढ़ के चलते अमृतसर, तरनतारन और दूसरे कई जिलों में फसलें प्रभावित हुई हैं, वहीं यमुना में आई भारी बाढ़ के चलते हरियाणा के अंबाला, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र और करनाल जिलों में फसलों का नुकसान हुआ है. उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, शामली और बागपत जिलों में भारी बारीश से फसलें प्रभावित हुई हैं.
नेशनल रेनफेड डेवलपमेंट अथॉरिटी के पूर्वचेयरमैन और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के नेचुरल रिसोर्स मैनेजमेंट(एनआरएम) के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर जनरल डॉ. जेएस सामरा ने रूरल वॉयस को बताया कि पंजाब के तरनतारन, फाजिल्का और आसपास के जिलों में कटाई के लिए तैयार ग्रीष्मकालीन मक्का और मूंग की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है. इसके अलावा जिन जगहों पर धान की रोपाई बाढ़ आने से एक-दो दिन पहले हुई थी वह बह गया. हालांकि, जो धान सप्ताह भर या उससे पहले रोपा गया था उसे नुकसान की कम संभावना है.
उन्होंने बताया कि सतलुज और ब्यास के दोनों किनारों वाले इलाकों में नुकसान हुआ है। हरिके के पास यह दोनों नदी मिल जाती हैं, इसलिए इसके आसपास ज्यादा नुकसान की आशंका है. जालंधर में नहर के तटबंध टूटने का भी फसलों पर प्रतिकूल असर पड़ा है. पंजाब में मक्का, मूंग, धान और कपास की फसल को अधिक नुकसान हुआ है. हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से तीन लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़े जाने के चलते हरियाणा और उत्तर प्रदेश में यमुना के दोनों ओर के जिलों में फसलों को नुकसान हुआ है. इन तीनों राज्यों में सब्जियों की फसलें भी बाढ़ वाले इलाकों में खराब हो गई हैं.
वहीं साठी धान और 1509 किस्म की धान की फसल को भारी नुकसान होने की आशंका है. इन इलाकों में साठी धान फसल पककर तैयार है या पकने के नजदीक है. ऐसे में फसल का पूरी तरह डूबना किसानों के लिए भारी नुकसान की स्थिति पैदा कर रहा है. सहारनपुरपु जिले में यमुना के पास के हिस्सों में करीब छह किलोमीटर दूर तक की फसलें प्रभावित हुई हैं.
अगर हिमाचल और उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में और अधिक बारिश होती है तो बाढ़ का पानी दोबारा आ सकता है जिससे नुकसान और बढ़ेगा. मौसम विज्ञान विभाग ने अगले कुछ दिनों में इन क्षेत्रों में भारी बारिश का अनुमान भी जारी किया है. अमृतसर और तरनतारन के इलाकों में कुछ किसान मक्का हार्वेस्टिंग की नई मशीनें लेकर आए हैं जिससे पानी में भी फसल की कटाई की जा सकती है.
डॉ. सामरा कहते हैं कि इसके जरिये कटाई के लिए 15 हजार रुपये एकड़ तक का किराया है. किसानों के लिए इतना महंगा किराया देना आसान नहीं है क्योंकि इसके बाद किसान को बचत की संभावना ही नहीं रहती है. डॉ. सामरा कहते हैं कि पंजाब के बाढ़ वाले इलाकों में ड्रेनेज सिस्टम की डि-सिल्टिंग नहीं होने से नुकनु सान में बढ़ोतरी हुई है. कुछ जगह बाढ़ के दौरान ही किसानों ने ड्रेनों से पानी निकालने के लिए खुदखु काम किया है.
साभार: रुरल वॉइस
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