केंद्र सरकार की SEED योजना विफल, विमुक्त, घुमंतू और अर्ध-घुमंतू समुदायों तक नहीं पहुंचा कोई लाभ!

 

सामाजिक न्याय और अधिकारिता पर बने संसदीय पैनल ने 260 से अधिक विमुक्त, घुमंतू और अर्ध-घुमंतू जनजातियों को अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में वर्गीकृत करने की “बहुत धीमी” प्रक्रिया पर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. इस साल फरवरी में शुरू की गई SEED (स्कीम फॉर इकोनॉमिक एम्पावरमेंट ऑफ डीएनटी) योजना के तहत सरकार इस समुदाय के लोगों तक लाभ पहुंचाने में विफल रही है.

SEED (स्कीम फॉर इकोनॉमिक एम्पावरमेंट ऑफ डीएनटी) योजना केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री वीरेंद्र कुमार द्वारा विमुक्त घुमंतू समुदाय से जुड़े छात्रों के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए मुफ्त कोचिंग, स्वास्थ्य बीमा, आवास सहायता और आजीविका पहल प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की गई थी. इस योजना के लिए 200 करोड़ की राशि आवंटित की गई है जो वित्त वर्ष 2021-22 से वित्त वर्ष 2025-26 तक पाँच वर्षों में खर्च की जानी है.

अंग्रेजी अखबार ‘द हिंदू’ में छपी रिपोर्ट के अनुसार 26 दिसंबर तक, SEED योजना के तहत कुल 5,400 से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें से एक भी आवेदन को मंजूरी नहीं दी गई और न ही कोई राशि स्वीकृत की गई है. इस शीतकालीन सत्र में संसद में पेश की गई एक रिपोर्ट में सामाजिक न्याय और अधिकारिता पर बने संसदीय पैनल ने कहा कि इसने पहले भी इन समुदायों के जल्द से जल्द और सटीक वर्गीकरण पर आवश्यक कार्रवाई करने बाबत विभाग की विफलता पर ध्यान दिलाया गया था.

वहीं सरकार के यह कहने के बाद कि काम चल रहा है और 2022 तक पूरा हो जाएगा, पैनल ने कहा कि प्रक्रिया अभी भी बहुत धीमी है. पैनल ने कहा कि,” घुमंतू जनजातियों के वर्गीकरण में देरी से उनकी परेशानियां और बढ़ेगी और वे उनके कल्याण के लिए चलाई गई योजनाओं का लाभ नहीं उठा पाएंगे.” पैनल ने आगे कहा कि उसे उम्मीद है कि सरकार इस कवायद में तेजी लाएगी और इसे समयबद्ध तरीके से पूरा करेगी और इसके लिए विस्तृत समयसीमा मांगी है.

वहीं संसदीय पैनल की टिप्पणी पर सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग ने कहा, “भारतीय मानव विज्ञान सर्वेक्षण ने अब तक 48 डीएनटी समुदायों के वर्गीकरण पर रिपोर्ट प्रस्तुत की है. इसके अलावा, 267 समुदायों को अब तक वर्गीकृत नहीं किया गया है, एएनएसआई ने 24 समुदायों पर अध्ययन पूरा कर लिया है, जिनमें जनजातीय अनुसंधान संस्थान 12 समुदायों का अध्ययन कर रहे हैं. इसके अलावा, एएनएसआई 161 समुदायों पर अध्ययन को अंतिम रूप दे रहा है और 2022 के अंत तक शेष समुदायों (लगभग 70) का अध्ययन पूरा करने की उम्मीद है.”

देश में विमुक्त, घुमंतू और अर्ध-घुमंतू समुदाय से जुड़ी 1,400 से अधिक जनजातियों वाले 10 करोड़ से अधिक जनसंख्या वाले इस समूह से इदते आयोग ने 1,262 समुदायों को अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में वर्गीकृत किया था और 267 समुदायों को अवर्गीकृत छोड़ दिया गया था.

विमुक्त, घुमंतू और अर्ध-घुमंतू समुदायों के विकास और कल्याण बोर्ड (DWBDNC) के अधिकारियों ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि वे SEED योजना के लिए आवेदनों की प्रक्रिया तब तक शुरू नहीं कर सकते जब तक कि राज्य और जिला स्तर की समीक्षा पूरी नहीं हो जाती.

यह योजना ऑनलाइन आवेदन और लाइव स्थिति-ट्रैकिंग के लिए एक प्रणाली के साथ शुरू की गई थी. हालांकि विमुक्त, घुमंतू और अर्ध घुमंतू समुदाय से जुड़े अधिकतर लोग ऑनलाइन सिस्टम को नेविगेट करने में असमर्थ हैं. अधिकारियों ने कहा, मंत्रालय और डीडब्ल्यूबीडीएनसी के अधिकारी आवेदकों को वेब पोर्टल पर साइन अप करने में मदद करने के लिए समुदाय के नेताओं के साथ देश भर में शिविर आयोजित कर रहे हैं. लेकिन जब तक उनके सटीक वर्गीकरण की कवायद पूरी नहीं हो जाती, तब तक आवेदन पर कार्रवाई नहीं की जाएगी.