मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के विधानसभा क्षेत्र करनाल की जनता की समस्याओं को उजागर करने वाले पत्रकार आकर्षण उप्पल को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. करनाल की एक महिला तहसीलदार के खिलाफ रिपोर्टिंग करने के मामले से जोड़कर गिरफ्तारी की गयी है. दरअसल पत्रकार आकर्षण ने कल ही जनता को परेशान करने के आरोपों से घिरी तहसीलदार के ऑफिस में जाकर वीडियो रिपोर्ट की थी जिसके बाद शाम को ही पत्रकार आकर्षण को सैर करते वक्त गिरफ्तार कर लिया गया.
पत्रकार की गिरफ्तारी के बाद शहर के आम लोग भी उनके समर्थन में थाने के बाहर पहुंच गए. पत्रकार उप्पल की पत्नी ने मीडिया को बताया, “उन्होंने सरकार के कईं भ्रष्टाचार के मुद्दों के उजागर किया था और क्योंकि वो सरकारी अफसरों की पोल खोल रहे थे जनता की आवाज उठा रहे थे इसलिए सरकार ने उनको गिरफ्तार किया है.” वहीं इस मामले में तहलीसदार की शिकायत करने वाले युवक की रजिस्ट्री करनाल के डीसी अनीश यादव ने अपने पास रख ली साथ ही शिकायत करने वाले युवक पर सरकारी काम में बाधा डालने के आरोप में केस दर्ज करने की बात कही.
पत्रकार आकर्षण उप्पल IBN24 नाम से एक फेसबुक पेज और यू-ट्यूब चैनल चलाते हैं. उनके पेज पर एक मीलियन से ज्यादा लोग जुड़े हुए हैं जिसके चलते उनकी रिपोर्ट का असर ज्यादा जनता तक पहुंचता है और इसी बात से सरकार को परेशानी है. बता दें कि पिछले हफ्ते ही पत्रकार आकर्षण उप्पल ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये उन्हे जान से मारे जाने की आशंका भी जताई थी.
पत्रकार उप्पल करनाल में हुए करोड़ों रुपये के रजिस्ट्री घोटाले को उजागर करने के बाद से सरकार के निशाने पर हैं. इससे पहले पत्रकार आकर्षण उप्पल पर जानलेवा हमला हुआ था जिसमें उनको गहरी चोट आई थी. इसके साथ ही उन्होने 3 मई को करनाल में मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र करनाल में फेल हुए प्रोजेक्ट्स को लेकर एक रिपोर्ट की थी जिसमें करनाल के सभी फ्लॉप प्रोजेक्ट्स की लिस्ट जारी की थी जिसमें कुल 2200 करोड़ की लागत से लगाए गए बस सिटी सर्विस, एलईडी लाइट प्रोजेक्ट, बस क्यू सेल्टर प्रोजेक्ट, अटल पार्क प्रोजेक्ट और समार्ट क्लास प्रोजेक्ट शामिल हैं.
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू-चढूनी) के बैनर तले किसानों ने करनाल अनाज मंडी में गन्ने के (एसएपी) को मौजूदा 362 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 450 रुपये प्रति क्विंटल करने की मांग की. ‘किसान महापंचायत’ के दौरान बीकेयू अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा अगर हमारी मांग नहीं मानी गई तो हम अपनी फसल को आग लगा देंगे और हम 20 जनवरी से सभी चीनी मिलों को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर देंगे. वहीं साथ ही 16 जनवरी को एसएपी तय करने के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित समिति के साथ हुई बैठक में उनकी मांगों को नहीं माना गया तो किसानों ने 17 जनवरी से गन्ने की छुलाई बंद करने और चीनी मिलों को फसल नहीं भेजने की घोषणा की.
उन्होंने 20 जनवरी से अनिश्चितकाल के लिए राज्य की सभी चीनी मिलों को बंद करने की भी घोषणा की. बता दें कि राज्य सरकार ने गन्ने की कीमतों को देखने और 15 दिनों में एक रिपोर्ट देने के लिए एक समिति गठित की थी.
किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल 16 जनवरी को पंचकूला में समिति से मुलाकात करेगा. किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा, ‘हम समिति के सदस्यों से मिलेंगे और अपनी मांग उठाएंगे. हम हर तरह की कुर्बानी के लिए तैयार हैं. अगर हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो हम अपनी फसलों को आग लगा देंगे.’ आगे उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों की आय दोगुनी करने का आश्वासन दिया था, लेकिन लागत बढ़ रही है और हमारी आय कम हो रही है.’
हम अपनी मांगों की पूर्ति तक अपना संघर्ष जारी रखेंगे. हमारे निर्णय के अनुसार किसान 16 जनवरी से गन्ने की छुलाई नहीं करेंगे और अपनी फसल चीनी मिलों को नहीं भेजेंगे. अगर हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो हम 20 जनवरी से सभी चीनी मिलों को अनिश्चित काल के लिए बंद कर देंगे. उन्होंने कहा, किसान पिछले आठ दिनों से मिलों में धरना दे रहे हैं, लेकिन सरकार ने हमारी मांगों पर विचार नहीं किया, इसलिए हमने यह किसान महापंचायत की है.
पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल और प्रदेश के मौजूदा उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के गांव के लोग सड़कों पर पैदल मार्च करने को मजबूर हैं. सिरसा जिले के चौटाला गांव के ग्रामीणों ने गांव में खराब स्वास्थ्य सुविधाओं के खिलाफ करनाल में मुख्यमंत्री कैंप कार्यालय के बाहर धरना दिया.
बता दें कि चौटाला गांव से पांच विधायक ऐसे हैं, जो 2019 के विधानसभा चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं. इनमें इनेलो के अभय चौटाला, उनके पूर्व भतीजे और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला, दुष्यंत की मां नैना सिंह चौटाला, ऊर्जा मंत्री रंजीत चौटाला, जो इनेलो संरक्षक ओम प्रकाश चौटाला के भाई हैं, और कांग्रेस के अमित सिहाग शामिल हैं.
चौटाला गांव से करीबन 300 किमी पैदल चलकर करनाल पहुंचे ग्रामीणों ने सीएम कैंप कार्यालय के पास अपना विरोध प्रदर्शन किया. ग्रामीणों ने कैंप कार्यालय का घेराव करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन्हे आगे नहीं बढ़ने दिया. प्रदर्शनकारी ग्रामीणों ने कहा कि उन्होंने चौटाला में सीएचसी के बाहर लगभग तीन सप्ताह तक धरना दिया जिसपर कोई सुनवाई नहीं हुई जिसके बाद हम लोग अपने गांव से करनाल तक करीबन 300 किलोमीटर पैदल मार्च करने को मजबूर हुए हैं.
अंग्रेजी अखबार ‘दैनिक ट्रिब्यून’ में छपी खबर के अनुसार विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले राकेश कुमार ने कहा, “सीएचसी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में खराब स्वास्थ्य सुविधाओं के कारण हाल के महीनों में चार नवजात शिशुओं की मौत हुई है. सीएचसी में विशेषज्ञ व पैरा मेडिकल स्टाफ के कई पद खाली पड़े हैं, जिसके कारण गांववासियों को उचित स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पा रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि सीएचसी केवल एक रेफरल सेंटर बन गया था क्योंकि वहां कोई रेडियोग्राफर, बाल रोग विशेषज्ञ और स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं था.”
उन्होंने कहा, “हमने सीएचसी के बाहर एक धरना दिया जिसमें समाज के सभी वर्गों ने अपना समर्थन दिया. जब जिले के किसी भी वरिष्ठ अधिकारी ने हमारी मांग पर ध्यान नहीं दिया, तो हमें 21 दिसंबर को करनाल में सीएम कैंप कार्यालय तक मार्च करना पड़ा.”
हरियाणा सरकार ने विधानसभा सत्र के अखिरी दिन प्रदेश में गन्ने के दाम बढ़ाने की विपक्ष की मांग को नहीं माना है. गन्ने के दाम में बढ़ोतरी न होने से प्रदेश के किसान आक्रोषित हैं. जिसको लेकर आज नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी के नेतृत्व में भारतीय किसान यूनियन चढूनी करनाल में मुख्यमंत्री आवास का घेराव कर दो घंटे तक धरना देगी.
इस दौरान किसान, मुख्यमंत्री मनोहर लाल का पुतला भी फूकेंगें. बता दें कि विधानसभा में विपक्ष की मांग को नकारते हुए सरकार ने गन्ने के पुराने दाम 362 रुपए प्रति क्विंटल के आधार पर ही गन्ना खरीदने की अधिसूचना जारी की है. इस अधिसूचना के बाद किसानों के रोष बढ़ता जा रहा है. किसान गन्ने के रेट को बढ़ाकर 450 रुपए करने की मांग कर रहे हैं. बता दें कि पंजाब में गन्ना किसानों को 380 रुपये प्रति किवंटल का रेट मिल रहा है.
वहीं सरकार ने इस मुद्दे पर विधानसभा में गन्ना कमेटी बनाने का फैसला लिया है. दाम न बढ़ाए जाने के विरोध में नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा सदन से वॉक आउट कर गए थे.
हरियाणा में ट्रांसफर ड्राइव योजना के कारण अध्यापकों की कमी के चलते आए दिन सरकारी स्कूलों के सामने ग्रामीणों और छात्रों के प्रदर्शन देखने को मिल रहे हैं. सीएम सिटी करनाल के गांव पिचौलिया में भी ग्रामीण, बच्चों के साथ गांव के सरकारी स्कूल के सामने शिक्षकों की कमी के विरोध में प्रदर्शन करने के लिए इकट्ठा हुए. ग्रामीणों ने अपनी मांग को लेकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए स्कूल के मुख्य गेट पर ताला जड़ दिया.
स्कूली छात्रों ने आरोप लगाया कि स्कूल में पहले ही शिक्षकों की कमी थी लेकिन सरकार की ट्रांसफर ड्राइव योजना के बाद अब स्कूल में केवल दो शिक्षक रह गए हैं. गांव के सरकारी स्कूल में 300 बच्चे पढ़ते हैं लेकिन 300 बच्चों को पढ़ाने के लिए केवल दो अध्यापक हैं. ग्रामीणों ने राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए स्कूल में शिक्षक के सभी रिक्त पदों को भरने की मांग की.
वहीं एक छात्र ने कहा कि सितंबर की परीक्षा नजदीक आ रही थी, लेकिन वे अभी भी शिक्षकों की कमी का सामना कर रहे हैं. साथ ही अभिभावकों ने सरकार से स्कूल को अपग्रेड करने की मांग की.
वहीं ग्रामीणों के विरोध के बाद शिक्षा अधिकारी ने रिक्त पदों को जल्द भरने का आश्वासन दिया. जिले के शिक्षा अधिकारी ने कहा कि ट्रांसफर ड्राइव की प्रक्रिया चल रही है और अभी गेस्ट शिक्षकों को ऑनलाइन पोर्टल के जरिए जोड़ा जाना बाकी है उम्मीद है कि सभी रिक्त पदों को जल्द ही भर दिया जाएगा.
फर्स्ट एड एसोसिएशन ने प्राथमिक चिकित्सा लेक्चरर को नियमित करने की मांग को लेकर करनाल में सीएम आवास के पास प्रदर्शन किया. प्रदर्शन के दौरान के फर्स्ट एड एसोसिएशन के महासचिव ने मुंडन करवाकर सरकार की गलत नीति का विरोध करते हुए डयूटी मजिस्ट्रेट को मुख्यमंत्री व राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा.
प्रदर्शन के दौरान सरकार द्वारा के किए जा रहे शोषण पर रोष व्यक्त किया गया. एसोसिएशन के महासचिव प्रभाकर विक्रम सिंह ने मुंडन करवा कर सरकार की नीतियों के प्रति शोक प्रकट किया. उन्होंने कहा कि हरियाणा में प्राथमिक सहायता प्रवक्ताओं का शोषण किया जा रहा है. सरकार कोई सुविधा नहीं दे रही. नाममात्र का वेतन दिया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि यदि इन प्राथमिक सहायता प्रवक्ताओं को शिक्षा विभाग में खंड शिक्षा कार्यालयों में ब्लॉक रिसोर्स पर्सन सह प्राथमिक सहायता प्रवक्ता की हैसियत से समायोजित कर दिया जाता है तो शिक्षा विभाग से रेड क्रॉस के नाम पर लिया जाने वाले फंड का सदुपयोग बच्चों के हित में हो पाएगा और इसका शिक्षा विभाग पर भी कोई अतिरिक्त बोझ नहीं बढ़ेगा.
प्रदर्शन में हरिओम भाकर, पवन शास्त्री, चंद्रपाल तंवर, रोहतास, पवन श्योराण, सुरजीत पंचकूला, मान सिंह अंबाला, कमलजीत सिरसा व गुरचरण सिरसा शामिल हुए
एसोसिएशन की प्रमुख मांगें. प्राथमिक सहायता प्रवक्ताओं को रजिस्ट्रेशन की तारीख से नियमित कर पूरा वेतन दिया जाए. सरकारी कर्मचारी को मिलने वाली सुविधाओं के अनुरूप सारी सुविधाएं दी जाए. भारतीय रेडक्रॉस सोसाइटी एवं सेंट जॉन एंबुलेंस हरियाणा की सभी जिला शाखाओं के साथ-साथ राज्य शाखा चंडीगढ़ में एक-एक प्रशासनिक अधिकारी नियुक्त किया जाए.
मुख्यमंत्री मनोहर लाल के विधानसभा क्षेत्र करनाल के सेक्टर 13 से लोगों ने सरकार का एक नये तरीके से विरोध किया है. पिछले तीन महीने से टूटी पड़ी गली को बनाने के लिए सेक्टर 13 के लोग इकट्ठे होकर गली बनाने में जुट गए. भूमिगत सीवरेज डालने के लिए सरकारी विभाग की ओर से गली खोदी गई थी जिसके बाद पिछले तीन महीने से गली टूटी पड़ी है अनेक शिकायतों के बाद भी जब कोई सुनवाई नहीं हुई तो लोगों ने खुद ही पैसे इकट्ठा करके गली का निर्माण शुरू कर दिया.
सड़क के निर्माण के लिए अधिकारियों के इंतजार के बाद, सेक्टर 13 के निवासियों ने खुद सड़क के हिस्से पर इंटर-लॉकिंग टाइलें बिछाना शुरू कर दिया. लोगों ने कहा कि वो हर रोज दो घंटे काम करेंगे. इस मामले में जब खुद भाजपा पार्षद वीर विक्रम कुमार की भी सुनवाई नहीं हुई तो वो भी जनता के साथ खड़े दिखाई दिए. पार्षद ने आरोप लगाए कि विभाग के लोगों ने सीवरेज बिछाया था, जबकि केएमसी ने अभी तक पानी की निकासी के लिए पाइपलाइन नहीं बिछाई. दोनों विभागों को एक दूसरे के साथ तालमेल नहीं होने के कारण यहां के निवासी इसका खामियाजा भुगत रहे हैं. काम में देरी के कारण पैदल चलने वालों को भारी परेशानी का सामाना करना पड़ रहा है और आए दिन यहां दुर्घटनाएं होती रहती हैं.
द ट्रिब्यून में छपी खबर के अनुसार पार्षद ने कहा, “मैंने अधिकारियों से कईं बार अनुरोध किया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई, जिसके चलते यहां के निवासियों को यह कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा है.”
वहीं निवासियों का कहना है कि काम में देरी के लिए अधिकारियों के खिलाफ कदम उठाया जाना चाहिए. अधिकारियों के चलते लोग परेशान हैं. हम इस रास्ते पर चल भी नहीं सकते हैं और बरसात के मौसम में सभी के लिए भयानक स्थिति थी इसलिए हमने इस सड़क को अपने आप चलने योग्य बनाने के लिए हर रोज दो घंटे समर्पित करने का फैसला किया है.”
सीएम सीटी और सौ स्मार्ट शहरों की पहली लिस्ट में आने वाले करनाल में हुए चर्चित घोटोले के सभी आरोपियों को हाई कोर्ट से जमानत मिल गई है. मार्च 2022 में उजागर हुए डीटीपी घोटले में करनाल के डिस्ट्रिक्ट टाउन प्लानर और तहसीलदार को रंगे हाथों रिस्वत लेते हुए पकड़ा गया था लेकिन इस मामले में सरकार की ओर से जांच की अनुमति न मिलने के कारण हाईकोर्ट ने सभी आरोपियों कोे जमानत दे दी है.
मार्च 2022 में सामने आए घोटाले के मामले में विजिलेंस ने डिस्ट्रिक्ट टाउन प्लानर को 20 लाख की रिश्ववत के साथ पकड़ा था. डीटीपी विक्रम के जरिये विजिलेंस करनाल के तहसीलदार राजबक्स को पकड़ने में भी कामयाब रही थी. विजिलेंस की टीम ने तहसीलदार के यहां छापेमारी करते हुए पांच लाख कैश बरामद किया था. दोनों अधिकारी मिलकर एनओसी और रजिस्ट्री के नाम पर रिश्वत लेते थे. डीटीपी विक्रम सिंह और तहसीलदार राजबक्स मिलकर घोटाला कर रहे थे.
दरअसल कॉलोनी काटने के नाम पर डिस्ट्रिक्ट टाउन प्लानर विक्रम सिंह द्वारा एक प्रोपर्टी डीलर से रिश्वत के तौर पर 20 लाख रुपये की मांग की गई थी. जिसके बाद डीलर ने विजिलेंस को इसकी जानकारी दी और विजिलेंस ने डीटीपी के ड्राइवर को रिश्वत की रकम समेत रंगेहाथों पकड़ लिया. वहीं जब डीटीपी के घर छापेमारी की गई तो कईं लाख रुपए का कैश बरामद हुआ और उनकी पत्नी के नाम अलग-अलग शहरों में महंगे प्लॉट के कागजाद भी बरामद हुए.
जमीन घोटाले से जुड़ा मामला हरियाणा विधानसभा में भी उठा था. जमीनों की रजिस्ट्री और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग द्वारा दी जाने वाली एनओसी में धांधली व कथित तौर पर रिश्वत लेने के मामले में विपक्ष ने मिलकर विधानसभा में सरकार को घेरा था. विपक्ष ने सीधे तौर पर आरोप लगाए थे कि पैसे लेकर एनओसी दी गई हैं. करनाल का डीटीपी और तहसीलदार ‘रिश्वत कांड’ भी सदन में सुर्खियां बना रहा. अभय सिंह चौटाला, निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू, किरण चौधरी ने इस मुद्दे पर चर्चा के दौरान सदन में सवाल खड़े किये थे. घोटाला सामने आने के बाद 64 हजार से अधिक रजिस्ट्री मामले में रेवन्यू अधिकारियों की जांच करने की बात कही गई थी लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.
करनाल से महज 12 किलोमीटर दूर नेशनल हाइवे-44 पर गांव कुटेल के रहने वाले एक गरीब परिवार पर उस वक्त मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा, जब परिवार के मुखिया ने बारिश के कारण मकान गिरने और गरीबी से तंग आकर आत्महत्या कर ली. मृतक नरेश कुमार का मकान 15 सितंबर को दिनभर चली भारी बारिश के कारण रात करीबन 11 बजे ढह गया. मकान गिरने से पूरा परिवार परेशान था. 21 सितंबर तक यानी नरेश की आत्महत्या के दिन तक कोई भी प्रशासनिक अधिकारी पीड़ित परिवार की मदद के लिए गांव नहीं आया.
15 सितंबर से परिवार खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर है. परिवार के मुखिया की मौत का मातम मनाने के लिए लोगों को पड़ोसियों के घर बैठना पड़ रहा है. कुटेल, घरौंडा विधानसभा से बीजेपी विधायक हरविंदर कल्याण का गांव है. मुख्यमंत्री मनोहर लाल के राजनीतिक क्षेत्र और विधायक का गांव होने के बावजूद भी इस पीड़ित परिवार की कोई मदद नहीं हुई.
मकान गिरने के बाद गांव के कुछ लोग विधायक और सरपंच के पास मदद के लिए गए थे लेकिन मकान गिरने और नरेश की आत्महत्या की घटना के बीच के पांच दिन तक पीड़ित परिवार की कोई मदद नहीं की गई. शासन-प्रशासन की ओर से निराशा हाथ लगने और गरीबी से तंग आकर नरेश ने आधे गिरे मकान में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली.
38 वर्षीय नरेश गांव में ही दिहाड़ी-मजदूरी करके अपने परिवार का गुजारा चलाता था. मृतक नरेश की पत्नी सोमवती ने बताया कि वो भी गांव की महिलाओं के साथ मिलकर दिहाड़ी-मजदूरी करती हैं. नरेश के चले जाने के बाद सोमवती के साथ अब परिवार में केवल एक तीन साल का बच्चा है.
अपने ताऊ के साथ तीन साल का अंश (मृतक का बेटा)
घर में करीबन दस-बाई-दस का केवल एक ही कमरा था जिसमें पूरा परिवार रहता था. 15 सिंतबर को दिनभर चली भारी बारिश के कारण कुटेल में रात को दो मकान गिरे थे. दूसरा मकान मृतक नरेश के बड़े भाई राजेश का है. बराबर के दो मकान गिरने से तीसरे भाई शमशेर के घर में भी दरारें आई हैं. नरेश और उसके दोनों बड़े भाईयों का मकान एक साथ है. इन तीनों मकानों के पीछे खेत हैं. खेत में पानी होने के कारण मकान की नींव में पानी भर गया था जिसके चलते तेज बारिश में मकान ढह गया और घर का सारा सामान मलबे में दब गया.
मृतक नरेश के बड़े भाई शमशेर ने बताया “रात करीबन 11 बजे मकान ढहने से कुछ देर पहले बड़ी बेटी को बाहर कुछ गिरने की आवाज सुनाई दी. बेटी ने सबको जगाया और फिर हम सब घर से बाहर निकल गए. थोड़ी देर बाद हमारी आंखों के सामने मकान ढह गया. अगर बेटी सबको न जगाती तो बड़ा हादसा हो सकता था.”
वहीं पड़ोस की एक महिला ने बताया, “ये लोग बहुत दिनों से पक्के मकान के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहे थे. पक्का मकान बनवाने के लिये सरपंच से लेकर एमएलए और सरकारी अफसरों के पास धक्के खाए लेकिन किसी ने कोई सुनवाई नहीं की. इऩके न तो गरीबी रेखा से नीचे वाले राशन कार्ड बने और न मकान”
वहीं एक बुजुर्ग पड़ोसी ने बताया,”मकान गिरने के बाद विधायक ने आश्वासन दिया था कि वो मकान देखने आएंगे लेकिन न तो विधायक आए और न ही प्रशासन के लोग. अगर प्रशासन के लोग कुछ आर्थिक मदद कर जाते तो यह घटना न घटती”
बीजेपी विधायक के गांव की यह घटना प्रधानमंत्री मोदी की पीएम आवास योजना और सीएम मनोहर लाल खट्टर के विकास के दावों की पोल खोल रही है.
वहीं ‘ग्रामीण भारत न्यूज’ के नाम से यू ट्यूब चैनल चलाने वाले पत्रकार सुलेख तंवर ने 15 सितंबर को सबसे पहले मकान गिरने की घटना की कवरेज की थी. पत्रकार सुलेख ने बताया, “इस घटना को लेकर मैनें कई स्थानीय यू ट्यूब चैनल चलाने वाले मीडिया कर्मियों को भी बताया लेकिन किसी ने इस खबर पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया इसकी वजह शायद रही हो कि यह खबर उन्के मतलब की नहीं थी. हां, परिवार के मुखिया द्वारा आत्महत्या करने के बाद मीडिया भी आया और मीडिया में खबर चलने के बाद प्रशासन और विधायक के लोग भी.
मकान गिरने के बाद विधायक और प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं की गई लेकिन नरेश की आत्महत्या की खबर ने सबका ध्यान खींचा. स्थानीय मीडिया मे किरकिरी होते देख विधायक की ओर से उनके भाई और प्रशासन के लोग मृतक के घर पहुंचे.
गांव की ही एक महिला ने कहा, “हमारे हल्के का एमएलए हमारे ही गांव का है. कम-से-कम उसको तो एक बार आना ही चाहिये था. मकान गिरने के बाद इस परिवार की कोई मदद नहीं की गई.”
वहीं मदद के नाम पर गांव के सरपंच ने कहा,”आत्महत्या के एक दिन पहले मैंने उनको कहा था कि जहां भी मेरी जरुरत होगी, मैं साथ खड़ा हूं.अलगे दिन सब मिलकर विधायक के पास भी जाने वाले थे लेकिन उसी रात यह हादसा हो गया बाकि अब तो ग्राम पंचायतें भी भंग हैं. हमारे हाथ में भी कोई पावर नहीं है. हमसे जितना बन सकता है हम मदद कर रहे हैं”
मधुबन पुलिस स्टेशन के एसएचओ ने बताया, “गरीब परिवार था. परिवार का मुखिया बारिश के कारण मकान गिरने से परेशान था. जिसके चलते उसने आत्महत्या की. पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट में सामने आया है कि मौत फांसी लेने से हुई है.”
विधायक के पीए प्रवीण कुमार ने बताया,”विधायक के भाई पीड़ित परिवार से मिलने घर गए थे. हम परिवार की मदद कर रहे हैं. मकान को फिर से बनाने के लिये मिस्त्री लगाए हैं.” वहीं मकान गिरने के बाद मदद न होने के सवाल पर विधायक की ओर से बयान आया, “हम लोगों ने नरेश और उसके साथ मदद के लिए आए लोगों से कहा था कि अपने कागजात देकर जाए. संबंधित अधिकारी को बोलकर मुआवजा दिलाया जाएगा. लेकिन अगले दिन उसने आत्महत्या कर ली.”
वहीं इस मामले पर करनाल उपायुक्त से बात करने की कोशिश की गई तो उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला.
करनाल के बसताड़ा में 28 अगस्त को किसानों पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में किसान आज करनाल के लघु सचिवालय का घेराव करेंगे. करनाल लघु सचिवालय के घेराव को लेकर किसान करनाल अनाज मंडी में इकट्ठा होंगे. लेकिन किसानों को अनाज मंडी पहुंचने से रोकने के लिए पुलिस ने देर रात भारी बैरिकेडिंग की थी लेकिन आज सुबह पुलिस ने बैरिकेडिंग हटा दी है है. पुलिस का प्लान किसानों को शहर में प्रवेश करने से रोकने का था लेकिन अब किसानों को अनाज मंडी में जाने दिया जाएगा. .
किसानों को रोकने के लिए शहर में धारा-144 लगाई गई है. किसानों को लघु सचिवालय तक पहुंचने से रोकने के लिए पैरामिल्ट्री फोर्स समेत सुरक्षाबलों की 40 कंपनियां लगाई गई हैं. वहीं पुलिस की 30 और पैरामिलिट्री फोर्स की 10 कंपनियां अलग से लगाई गई हैं साथ ही पांच एसपी और 25 डीएसपी स्तर के अधिकारियों की तैनाती की गई है.
पुलिस ने लगभग पूरा शहर सील कर दिया है. शहर में करीबन 20 नाके लगाए गए हैं. जीटी रोड और शहर से लघु सचिवालय की ओर जाने वाले सभी रास्तों को बंद किया गया है. प्रशासन ने आम लोगों को करनाल सीमा से लगते नेशनल हाइवे के प्रयोग से मनाही की है. हर बार की तरह इस बार भी पुलिस ने रेत से भरे ट्रकों को नाकों पर लगाकर रास्ते बंद कर दिए हैं.
करनाल समेत पांच जिलो में कल दोपहर से ही इंटरनेट और एसएमएस सेवाएं बंद कर दी गई हैंं. करनाल के अलावा पानीपत, जींद, कुरुक्षेत्र और अंबाला में भी इंटरनेट सेवाएं बंद हैं. कल करनाल प्रशासन और किसान नेताओं के बीच एक लंबी बैठक भी हुई थी लेकिन बैठक में कोई समाधान नहीं निकला.
इस बीच किसान नेता राकेश टिकैत ने भी करनाल प्रदर्शन में शामिल होने की जानकारी देते हुए ट्वीट किया, “करनाल पुलिस की बर्बरता पूर्वक लाठी चार्ज में शहीद किया सुशील काजला को न्याय दिलाने हेतु संयुक्त किसान मोर्चा के साथियों सहित कुछ समय में करनाल पहुंच रहा हूं आप सभी करनाल पर नज़र बनाए रखें.”
28 अगस्त को हुए लाठीचार्ज के विरोध में किसानों ने 30 अगस्त को घरौंडा अनाज मंडी में एक दिन की कॉल पर किसान पंचायत की थी. घरौंडा अनाज मंडी की किसान पंचायत में ही 7 सिंतबर को करनाल लघु सचिवालय घेरने का एलान निर्णय लिया गया था.
घरौंडा किसान पंचायत में किसानों की ओर से मांग की गई थी कि किसानों पर लाठीचार्ज करने वाले सभी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज किए जाए. पुलिस लाठीचार्ज में मौत हुई किसान परिवार को 25 लाख और घायल किसानों को 2-2 लाख रुपये देने की मांग की थी. मांग नहीं माने जाने पर 7 सितंबर को करनाल लघु-सचिवालय के घेराव की चेतावनी दी थी.