नाकेबंदी, गिरफ्तारी और लाठीचार्ज के बावजूद डटे रहे हरियाणा के किसान

 

केंद्र के तीन कृषि अध्यादेशों के खिलाफ हरियाणा के पिपली (कुरुक्षेत्र) में किसान और आढ़तियों की रैली को रोकने के लिए पुलिस-प्रशासन ने पूरा जोर लगा दिया। कल ही पिपली मंडी में व्यापारियों को दुकानें बंद करने के नोटिस जारी दिए गए थे। आज सुबह से ही पिपली में धारा 144 लगाकर रैली की अनुमति नहीं दी गई। हरियाणा के विभिन्न जिलों से रैली में आ रहे किसानों को रोकने के लिए पुलिस ने जगह-जगह नाकेबंदी कर दी। फिर भी किसान नहीं रूके तो कुरुक्षेत्र में उन पर लाठीचार्ज किया गया। दिन भर हरियाणा के कई जिलों में किसान और पुलिस के बीच टकराव की स्थिति बनी रही।

खेती और कृषि व्यापार में कॉरपोरेट जगत की एंट्री का रास्ता खोलने वाले केंद्र के तीन अध्यदेशों के खिलाफ आज कुरुक्षेत्र के पिपली में किसान बचाओ-मंडी बचाओ रैली बुलाई गई थी। रैली में शामिल होने के लिए हरियाणा के विभिन्न जिलों से आ रहे किसानों को रास्ते में रोका गया तो किसान वहीं धरने पर बैठ गए।

इस दौरान कैथल मंडी में भी पुलिस और किसान मंडी के गेट खुलवाने के लिए आमने-सामने आ गए। किसानों ने पुलिस प्रशासन पर जबरन रोकने और बल प्रयोग करने के आरोप लगाए है। किसानों का कहना था कि हम शांतिपूर्वक धरना देने जा रहे थे, लेकिन सरकार तानाशाही रवैया अपनाए हुए है।

इस दौरान महम से निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू समेत कई किसान नेताओं समेत को पुलिस ने हिरासत में लिया। इसके बावजूद किसान रैली में जाने पर आमादा थे तो कुरुक्षेत्र में पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया जिसमें कई किसानों के सिर फूट गए और कई किसान घायल हो गए हैं। किसान यूनियनों और विपक्षी दलों ने किसानों पर हुए लाठीचार्ज की कड़ी निंदा करते हुए इसे बीजेपी-जेजेपी सरकार का तानाशाही रवैया करार दिया है।

कांग्रेस के मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने प्रदेश की खट्टर सरकार पर हमला बोलते हुए ट्वीट किया कि खट्टर सरकार ये जान ले, कैथल मंडी में व्यापारियों-आढ़तियों की ये जबरन धर-पकड़ ना तो आवाज़ दबा पाएगी और न ही रोक पाएगी। किसान-आढ़ती-मज़दूर का कारवाँ चलता रहेगा। तीनों अध्यादेश वापिस लेने पड़ेंगे वरना मोदी-खट्टर सरकारों को चलता कर देंगे।

आखिरकार किसानों के सामने हरियाणा सरकार को झुकना पड़ा। लाठीचार्ज और हिरासत के बाद किसानों को पिपली अनाज मंडी में रैली करने की परमिशन मिली। भाकियू के प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी समेत बड़ी संख्या में किसानों ने रैली स्थल पर पहुंचकर तीनों कृषि अध्यादेशों को किसान और मंडी विरोधी बताया।