जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भारतीय किसानों को हर साल चाहिए 136.49 अरब डॉलर: रिपोर्ट

 

भारत को अपने छोटे और सीमांत किसानों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचाने और उनकी आजीविका को सुरक्षित करने के लिए हर साल करीब 136.49 अरब डॉलर (लगभग ₹11.4 लाख करोड़) की जरूरत है. यह खुलासा क्लाइमेट फोकस द्वारा तैयार की गई ताज़ा रिपोर्ट ‘फैमिली फार्मर्स फॉर क्लाइमेट एक्शन’ में किया गया है.

रिपोर्ट में दक्षिण एशिया में कुल 150.3 अरब डॉलर की वार्षिक जरूरत आंकी गई है, जिसमें भारत का हिस्सा करीब 91% है. इस राशि का उपयोग किसानों के लिए जलवायु-सहिष्णु बीज, सिंचाई और जल प्रबंधन, शुरुआती चेतावनी प्रणाली, कीट-रोग प्रबंधन और फसल बीमा जैसे उपायों में किया जाना चाहिए. 2021 में छोटे किसानों के लिए अंतरराष्ट्रीय सार्वजनिक वित्तीय सहायता मात्र 0.21 अरब डॉलर थी जो आवश्यक राशि का सिर्फ 0.13%है. वैश्विक स्तर पर जलवायु अनुकूलन के लिए 2030 तक हर साल 187 से 359 अरब डॉलर की आवश्यकता होगी.

भारत में अधिकांश किसान छोटे या सीमांत हैं और उनकी आजीविका मौसम पर निर्भर है. जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते सूखे, बाढ़, तापमान वृद्धि और फसल हानि से किसानों की आय पर गंभीर असर पड़ रहा है. रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि अगर वित्तीय सहायता और तकनीकी सहयोग समय पर नहीं मिला, तो खाद्य सुरक्षा, ग्रामीण रोजगार और कृषि उत्पादन पर भारी संकट आ सकता है.

क्लाइमेट फोकस की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘छोटे किसान वैश्विक खाद्य आपूर्ति की रीढ़ हैं, लेकिन उन्हें जलवायु वित्त में सबसे कम हिस्सा मिलता है. सतत कृषि में निवेश न केवल किसानों की आय बढ़ाएगा बल्कि जलवायु संकट से निपटने की दिशा में ठोस कदम होगा’