करनाल: सरकार से जांच की अनुमति नहीं मिलने पर DTP घोटाले में सभी आरोपियों को मिली जमानत!

सीएम सीटी और सौ स्मार्ट शहरों की पहली लिस्ट में आने वाले करनाल में हुए चर्चित घोटोले के सभी आरोपियों को हाई कोर्ट से जमानत मिल गई है. मार्च 2022 में उजागर हुए डीटीपी घोटले में करनाल के डिस्ट्रिक्ट टाउन प्लानर और तहसीलदार को रंगे हाथों रिस्वत लेते हुए पकड़ा गया था लेकिन इस मामले में सरकार की ओर से जांच की अनुमति न मिलने के कारण हाईकोर्ट ने सभी आरोपियों कोे जमानत दे दी है.
मार्च 2022 में सामने आए घोटाले के मामले में विजिलेंस ने डिस्ट्रिक्ट टाउन प्लानर को 20 लाख की रिश्ववत के साथ पकड़ा था. डीटीपी विक्रम के जरिये विजिलेंस करनाल के तहसीलदार राजबक्स को पकड़ने में भी कामयाब रही थी. विजिलेंस की टीम ने तहसीलदार के यहां छापेमारी करते हुए पांच लाख कैश बरामद किया था. दोनों अधिकारी मिलकर एनओसी और रजिस्ट्री के नाम पर रिश्वत लेते थे. डीटीपी विक्रम सिंह और तहसीलदार राजबक्स मिलकर घोटाला कर रहे थे.
दरअसल कॉलोनी काटने के नाम पर डिस्ट्रिक्ट टाउन प्लानर विक्रम सिंह द्वारा एक प्रोपर्टी डीलर से रिश्वत के तौर पर 20 लाख रुपये की मांग की गई थी. जिसके बाद डीलर ने विजिलेंस को इसकी जानकारी दी और विजिलेंस ने डीटीपी के ड्राइवर को रिश्वत की रकम समेत रंगेहाथों पकड़ लिया. वहीं जब डीटीपी के घर छापेमारी की गई तो कईं लाख रुपए का कैश बरामद हुआ और उनकी पत्नी के नाम अलग-अलग शहरों में महंगे प्लॉट के कागजाद भी बरामद हुए.
जमीन घोटाले से जुड़ा मामला हरियाणा विधानसभा में भी उठा था. जमीनों की रजिस्ट्री और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग द्वारा दी जाने वाली एनओसी में धांधली व कथित तौर पर रिश्वत लेने के मामले में विपक्ष ने मिलकर विधानसभा में सरकार को घेरा था. विपक्ष ने सीधे तौर पर आरोप लगाए थे कि पैसे लेकर एनओसी दी गई हैं. करनाल का डीटीपी और तहसीलदार ‘रिश्वत कांड’ भी सदन में सुर्खियां बना रहा. अभय सिंह चौटाला, निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू, किरण चौधरी ने इस मुद्दे पर चर्चा के दौरान सदन में सवाल खड़े किये थे. घोटाला सामने आने के बाद 64 हजार से अधिक रजिस्ट्री मामले में रेवन्यू अधिकारियों की जांच करने की बात कही गई थी लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.
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