मुआवजे की मांग को लेकर 20 महाने से धरने पर बैठे मेव किसान!
हरियाणा के नूंह जिले में आईएमटी रोजका मेव प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहित की गई जमीन को लेकर एक बार फिर विवाद गहरा गया है. किसानों का आरोप है कि सरकार और प्रशासन ने आंदोलनरत किसानों से वादाखिलाफी की है और उनकी जमीन पर खुला मुनाफाखोरी का खेल खेला जा रहा है.किसान संघर्ष समिति के अनुसार, हरियाणा सरकार ने मेवात क्षेत्र के किसानों से जमीन 1,136 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से अधिग्रहित की थी, जबकि अब वही जमीन 12,240 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से कंपनियों को बेची जा रही है. किसानों का कहना है कि सरकार उनकी भूमि पर करीब 50 गुना तक मुनाफा कमा रही है.
किसानों के अनुसार, जिस जमीन को सरकार ने उनसे 46 लाख रुपये प्रति एकड़ में खरीदा था, वही जमीन अब 23 करोड़ रुपये प्रति एकड़ की दर से बेची जा रही है. समिति ने इसे किसानों के साथ “सीधा धोखा” बताया है.
6 नवंबर को किसान संघर्ष समिति की ओर से रोजका मेव में एक बड़ी किसान महापंचायत आयोजित की गई थी, जिसमें संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के कई नेता भी शामिल हुए थे. महापंचायत के दबाव के बाद प्रशासन ने किसानों को आश्वासन दिया था कि जल्द ही उनकी मुख्यमंत्री से मुलाकात कराई जाएगी और तब तक एचएसआईआईडीसी के सभी निर्माण कार्यों पर रोक लगाई जाएगी.

लेकिन किसानों के अनुसार, अगले ही दिन प्रशासन ने अपना वादा तोड़ दिया. निर्माण कार्य जारी रहे और मुख्यमंत्री से बैठक को लेकर भी कोई ठोस जानकारी नहीं दी गई.किसानों ने बताया कि जिनसे एक एकड़ से अधिक जमीन अधिग्रहित की गई थी, उन्हें 400 वर्ग मीटर का रिहाइशी प्लॉट देने का वादा किया गया था. अब सरकार वही प्लॉट 12,240 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से देने की योजना बना रही है. इस हिसाब से किसानों को अपने घर के लिए लगभग 48.96 लाख रुपये चुकाने होंगे जो उनके एक एकड़ जमीन के मुआवजे से भी ज़्यादा है. किसान नेताओं ने इसे “दोनों हाथों से लूट” बताया है.
समिति का कहना है कि पूरे एनसीआर क्षेत्र में मेवात के किसानों को सबसे कम मुआवजा दिया गया, जबकि यहां की जमीन भी गुरुग्राम और फरीदाबाद जैसी ही कीमती है. किसानों का आरोप है कि सरकार न केवल जमीन के मूल्यांकन में भेदभाव कर रही है, बल्कि उनके विरोध के अधिकार को भी दबाने की कोशिश कर रही है.
किसान संघर्ष समिति ने कहा है कि बार-बार की वादाखिलाफी और अन्यायपूर्ण नीति से सरकार पर जनता का भरोसा कम हो रहा है. समिति ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही किसानों की मांगें पूरी नहीं की गईं, तो संयुक्त किसान मोर्चा के साथ मिलकर अगला बड़ा आंदोलन शुरू किया जाएगा.
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