पंजाब-हरियाणा में पराली जलाने के मामले आधे, फिर भी दिल्ली में बढ़ा प्रदूषण का स्तर!

 

इस सीजन में पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है, जबकि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में इसके मामले बढ़े हैं. 15 सितंबर से 30 नवंबर 2025 के बीच पंजाब में 5,114 पराली जलाने के मामले सामने आए, जो पिछले साल के 10,909 मामलों की तुलना में लगभग आधे हैं. हरियाणा में भी इस अवधि में केवल 662 मामले दर्ज किए गए, जो कई वर्षों में सबसे कम है.

रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब और हरियाणा में पराली प्रबंधन के लिए सख्त निगरानी, वैकल्पिक अवशेष प्रबंधन तकनीकों का उपयोग और किसानों में बढ़ती जागरूकता के कारण पराली जलाने के मामलों में गिरावट आई है.

यूपी और एमपी में बढ़े मामले

जहां उत्तर भारत के दो बड़े कृषि राज्यों पंजाब-हरियाणा में सुधार दिखा है, वहीं उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में पराली जलाने के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है. इन दोनों राज्यों में इस सीजन में हजारों नए मामले सामने आए हैं, जिससे विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि पराली जलाने के “हॉटस्पॉट” अब धीरे-धीरे बदल रहे हैं.

दिल्ली-एनसीआर की हवा फिर भी खराब

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पंजाब-हरियाणा में आग की घटनाएं कम होने के बावजूद दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता में ज्यादा सुधार नहीं दिखा. विशेषज्ञों के अनुसार, अब अन्य स्रोत—जैसे वाहन उत्सर्जन, औद्योगिक धुआं, सड़क की धूल और निर्माण कार्य—दिल्ली की हवा को अधिक प्रभावित कर रहे हैं. पराली का योगदान घटा है, लेकिन वायु प्रदूषण की समस्या बनी हुई है.