नमी से खराब हुई कपास और धान की फसलें, किसान संकट में, मंडियों ने खरीद से किया इंकार!

 

पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के कई इलाकों में हालिया बारिश और अधिक नमी के कारण किसानों की कपास और धान की फसलें बुरी तरह प्रभावित हुई हैं. फसल में नमी बढ़ जाने से मंडियों में खरीद ठप पड़ी है और किसान अपनी उपज बेचने में असमर्थ हो रहे हैं. खेतों से लेकर मंडियों तक किसानों को भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है.

डाउन टू अर्थ की रिपोर्ट के अनुसार पंजाब के भटिंडा जिले के किसान गुरमीत सिंह ने बताया कि लगातार बारिश से धान का रंग खराब हो गया है और दानों में नमी सामान्य मानकों से काफी अधिक है. मंडियां 17% से अधिक नमी वाले धान को स्वीकार नहीं कर रही हैं, जिसके कारण किसानों को अपनी उपज वापस ले जानी पड़ रही है.

हालांकि केंद्र सरकार ने इस बार धान की खरीद में 10% तक खराब धान स्वीकार करने की छूट दी है, लेकिन किसान नेताओं का कहना है कि यह फैसला देर से लिया गया, जब अधिकांश धान की आवक पहले ही पूरी हो चुकी थी.

राजस्थान के श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ में कपास उत्पादक किसान भी गंभीर संकट से गुजर रहे हैं. गंगानगर के किसान हरविंद्र सिंह के अनुसार, नमी अधिक होने पर मंडियां कपास लेने से मना कर रही हैं या फिर न्यूनतम समर्थन मूल्य से लगभग 800 रुपये प्रति क्विंटल कम कीमत दे रही हैं.

खेती बाड़ी विभाग के मौजूदा मानकों के अनुसार कपास में अधिकतम 12% नमी स्वीकार्य है, लेकिन बारिश से यह स्तर काफी ऊपर चला गया है. मजबूर किसान अब निजी व्यापारियों को औने-पौने दाम पर फसल बेचने को मजबूर हैं.

पंजाब और हरियाणा में नमी, खराब रंग और घटती गुणवत्ता के कारण किसानों को करोड़ों रुपये का सामूहिक नुकसान होने का अनुमान है. किसान संगठनों ने धान और कपास दोनों के नमी मानकों में तात्कालिक संशोधन और राहत पैकेज की मांग की है.

किसान नेताओं का कहना है कि मौसम के लगातार बदलते पैटर्न को देखते हुए सरकार को खरीद मानकों में मौसमी लचीलापन लाना चाहिए, ताकि प्राकृतिक आपदाओं के समय किसान पूरी तरह बाजार पर निर्भर न रह जाएं.

पंजाब सरकार ने केंद्र से अनुरोध किया है कि धान और कपास के गुणवत्ता मानकों में अस्थायी छूट बढ़ाई जाए, ताकि प्रभावित किसानों की फसल खरीद सुनिश्चित की जा सके. वहीं कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि भविष्य में ऐसी स्थिति से बचने के लिए खेत-स्तर पर भंडारण और सुखाई की सुविधाओं को बढ़ावा देना होगा.