पंजाब के किसान संगठनों की सरकार को चेतावनी, पराली जलाने के केस वापस लो, वरना विरोध तेज होगा!
पंजाब के कई किसान संगठनों ने राज्य सरकार से मांग की है कि किसानों पर पराली जलाने के मामलों में दर्ज एफआईआर और अन्य कार्रवाई तुरंत वापस ली जाए. किसान नेताओं ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने यह कदम जल्द नहीं उठाया, तो राज्यभर में विरोध प्रदर्शन और तेज किए जाएंगे. संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) सहित लगभग 18 किसान संगठनों ने अलग अलग जिलों में धरने और रैलियां आयोजित की. उनका कहना है कि पराली जलाना किसानों की मजबूरी है, क्योंकि सरकार वैकल्पिक समाधान देने में विफल रही है.
किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि प्रशासन द्वारा किसानों पर लगाए गए जुर्माने, एफआईआर और जमीन के रिकॉर्ड में ‘रेड एंट्री’ जैसी सजाएं अन्यायपूर्ण हैं. उनका कहना है कि जब तक सरकार ठोस और टिकाऊ समाधान नहीं देती, तब तक किसानों को पराली जलाने के लिए दंडित नहीं किया जाना चाहिए.
किसानों ने कहा कि पराली न जलाने के लिए उपलब्ध कराई गई मशीनें सीमित हैं और ज्यादातार किसानों की पहुंच से बाहर हैं. पुआल के निपटारे के लिए कोई स्थायी व्यवस्था नहीं होने के कारण, किसान धान की कटाई के तुरंत बाद गेहूं की बुआई करने के लिए मजबूर होकर पराली जलाते हैं.
पराली जलाने से दिल्ली-एनसीआर सहित पूरे उत्तरी भारत में वायु प्रदूषण बढ़ता है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार कई बार चिंता जता चुकी हैं. सरकार की ओर से किसानों को सब्सिडी और मशीनें देने की योजना चल रही है, लेकिन किसान संगठनों का कहना है कि यह जमीन पर प्रभावी रूप से लागू नहीं हो पाई है.
किसान नेताओं ने साफ कहा कि अगर सरकार ने मुकदमे वापस नहीं लिए, तो आने वाले दिनों में राज्यभर में बड़े पैमाने पर आंदोलन शुरू किया जाएगा. किसानों ने पराली जलाने से जुड़े सभी केस और जुर्माने वापस लिए जाने के साथ किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के लिए मुफ्त या सस्ती मशीनें दिए जाने की मांग की.
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