पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड इतिहास के सबसे उच्चतम स्तर पर
![](https://www.gaonsavera.com/wp-content/uploads/2019/03/2018_12largeimg02_Dec_2018_045535237.jpg)
पर्यावरण की बिगड़ती सेहत को लेकर पूरी दुनिया में चिंता जताई जा रही है। इस समस्या से निपटने के लिए बड़ी-बड़ी बातें भी की जा रही हैं। पर्यावरण संरक्षण के लिए कई अंतरराष्ट्रीय समझौते भी हुए हैं। सबसे हालिया और महत्वकांक्षी समझौता पेरिस समझौता है। इसके तहत विभिन्न देशों ने अपने-अपने यहां कार्बन उत्सर्जन में कमी के साथ-साथ अन्य जरूरी उपाय अपनाकर पर्यावरण को बचाने की बात कही है।
लेकिन अमेरिका के इस समझौते के बाहर होने के बाद यह सवाल उठने लगा है कि क्या पेरिस समझौता पर्यावरण की सेहत सुधारने की दिशा में उपयोगी साबित हो पाएगा। अंतरराष्ट्रीय पर पर्यावरण संरक्षण को लेकर चिंता की एक वजह यह भी है कि विकसित देशों ने पर्यावरण की रक्षा के लिए विकासशील देशों को जो आर्थिक सहयोग देने की बात कही थी, वह वादा ठीक से पूरा होता नहीं दिख रहा है।
पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वाले संगठनों को इस रवैये को देखते हुए ऐसा लगता है कि दुनिया के बड़े देश अब भी इस मसले पर उतने गंभीर नहीं हैं जितना होना चाहिए। इंसान और देश चाहे गंभीर हो या नहीं लेकिन यह स्पष्ट होता जा रहा है कि पर्यावरण की सेहत बेहद गंभीर हो गई है।
इसकी पुष्टि इस बात से होती है कि कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा पर्यावरण में बढ़कर इतनी अधिक हो गई है जितनी अधिक कभी नहीं थी। अमेरिका की एक संस्था स्क्रिप्स इंस्टीट्यूशन आॅफ ओसियानोग्राफी ने पिछले दिनों यह घोषणा की कि हवाई में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ते 411.66 पीपीएम हो गया।
इस संस्था ने बताया कि पिछले साल हरित गैसों का उत्सर्जन रिकाॅर्ड मात्रा में हुआ था। पिछले साल जितना उत्सर्जन हुआ था, उतना इतिहास में पहले किसी और साल में नहीं हुआ। इस वजह से लोगों को यह डर सता रहा था कि कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा अपने सर्वोच्च स्तर पर पहुंच सकती है। अब यह डर सही साबित हुआ।
जिस अमेरिकी संस्था ने यह पता लगाया है कि कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ाने में अहम योगदान जीवाश्म ईंधन का है। इस संस्था का यह भी कहना है कि पिछले साल हरित गैस के रिकाॅर्ड उत्सर्जन के बावजूद दुनिया ने सबक नहीं लिया। इस वजह से संस्था को अंदेशा है कि कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ते हुए 415 के पार जा सकता है।
पहले वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड इतनी भारी मात्रा में नहीं थी। कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में उल्लेखनीय बढ़ोतरी आज के 10,000 साल पहले कृषि के विकास के साथ शुरू हुई। लेकिन उस वक्त भी इसकी वृद्धि की गति इतनी अधिक नहीं थी कि यह प्रकृति के लिए खतरा बन जाए।
कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा सबसे तेज गति से तब बढ़ी जब दुनिया में जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा। सड़कों पर गाड़ियों की संख्या बढ़ने लगी और पूरी दुनिया तेजी से औद्योगिक विकास की ओर बढ़ी तो कार्बन डाइआॅक्साइड की मात्रा भी तेजी से बढ़ने लगी। एक बार जो तेजी कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में आई तो फिर यह घटने का नाम नहीं ले रही है।
हाल के सालों में में इससे काफी तेजी आई है। इस वजह से वैज्ञानिक कह रहे हैं कि पूरा ब्रह्मांड उस ओर बढ़ रहा है जहां से वापसी संभव नहीं है और अगर इस प्रक्रिया को नहीं रोका गया तो कार्बन डाइऑक्साइड की बढ़ती मात्रा मानवता के लिए खतरा बन जाएगी। जाहिर है कि अगर इस स्थिति को बदलना है और कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा एक ऐसे स्तर पर रखनी है कि प्रकृति का चक्र अपने हिसाब से चलता रहे तो पूरी दुनिया को एक स्वर में पूरी ताकत से पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करना होगा।
Top Videos
![](https://www.gaonsavera.com/wp-content/uploads/2023/12/tractor-rally-pti.jpg)
किसानों ने 27 राज्यों में निकाला ट्रैक्टर मार्च, अपनी लंबित माँगों के लिए ग़ुस्से में दिखे किसान
![](https://www.gaonsavera.com/wp-content/uploads/2023/07/1200-675-18883514-thumbnail-16x9-bhiwani.jpg)
उत्तर प्रदेश के नोएडा के किसानों को शहरीकरण और विकास क्यों चुभ रहा है
![](https://www.gaonsavera.com/wp-content/uploads/2023/10/Capture.jpg)
Gig Economy के चंगुल में फंसे Gig Workers के हालात क्या बयां करते हैं?
![](https://www.gaonsavera.com/wp-content/uploads/2023/07/Screenshot_2023-07-17-07-34-18-09_0b2fce7a16bf2b728d6ffa28c8d60efb.jpg)
Haryana में बाढ़ क्यों आयी? घग्गर नदी | मारकंडा नदी | टांगरी नदी
![](https://www.gaonsavera.com/wp-content/uploads/2024/02/maxresdefault-11-1200x675.jpg)