चालू वित्त वर्ष में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, लेखा परीक्षकों द्वारा चिह्नित राशि का 14% से भी कम अब तक वसूल किया गया है. पिछले वित्तीय वर्षों के आंकड़े भी उतने ही निराशाजनक हैं.
जेल में बंद आरोपी युवती के परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर है कि कोई भी जमानती बनने के लिए तैयार नहीं है. हमने जब युवती की मां से फोन पर बात कि तो उन्होंने बताया, "मैं जमानत मिलने के बाद से ही जमानती के लिए कोशिश कर रही हूं लेकिन कोई भी जमानती बनने के लिए तैयार नहीं है. केस लड़ने के दौरान ही अपनी सारी सम्पत्ति बेच चुकी हूं, अब जमानत के लिए मेरे पास कोई पैसा नहीं है. मेरे गांव के दलित समाज के लोग भी मेरा साथ नहीं दे रहे हैं और गांव के सरपंच ने भी साथ देने से मना कर दिया है."
कई पीढ़ियों पहले यूपी के बिजनौर, रामपुर और लखीमपुर खीरी जिलों में जाकर बसे किसानों पर विस्थापन की तलवार लटक रही