पंजाब की मंडियों में कपास किसानों का दर्द: MSP से ₹2000 तक कम दाम!

 

पंजाब की मंडियों में कपास की नई फसल लेकर पहुंचे किसान हताश हैं. न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) ₹7,710 प्रति क्विंटल (मध्यम रेशा) और ₹8,110 प्रति क्विंटल (लंबा रेशा) होने के बावजूद, किसानों को ₹4,500 से ₹6,800 प्रति क्विंटल के बीच ही दाम मिल रहे हैं. अबोहर के धरमपुरा गांव के छोटे किसान खेताराम की कहानी इसका जीता-जागता सबूत है. चार एकड़ ठेके की जमीन पर कपास बोने वाले खेताराम ने मंडी में भीड़ बढ़ने से पहले फसल बेच दी, लेकिन उन्हें MSP के बजाय सिर्फ ₹5,151 प्रति क्विंटल का ही दाम मिला.

80% कपास MSP से नीचे बिका
‘द ट्रिब्यून’ की रिपोर्ट के अनुसार, मंडियों में अब तक बिके 6,078 क्विंटल कपास में से 80% यानी 4,867 क्विंटल MSP से कम दाम पर खरीदा गया. फाजिल्का, बठिंडा, मानसा और मुक्तसर की मंडियों में कपास का भाव ₹4,500 से ₹5,900 प्रति क्विंटल तक सिमट गया है. इस साल पंजाब में 1.19 लाख हेक्टेयर पर कपास बोई गई थी, लेकिन अगस्त-सितंबर की बाढ़ ने 12,100 हेक्टेयर कपास की फसल बर्बाद कर दी. जिन इलाकों में बाढ़ नहीं आई, वहां भी नमी की मात्रा 8% की तय सीमा से ज्यादा होने से फसल की गुणवत्ता घटी है.

किसानों के मुद्दों पर काम करने वाले पंजाब के हरमनप्रीत सिंह ने गांव सवेरा को बताया, “केंद्र सरकार द्वारा 19 अगस्त 2025 से कपास पर 11% आयात शुल्क हटाने का फैसला किसानों पर भारी पड़ रहा है. सस्ता विदेशी कपास (₹6,500-₹7,000 प्रति क्विंटल) भारतीय कपास (₹8,000 प्रति क्विंटल) से सस्ता होने के कारण टेक्सटाइल कंपनियाँ आयात की ओर रुख कर रही हैं, जिससे स्थानीय कपास की मांग घटी है.”

आपको बता दें कि कपास पर कुल 11 प्रतिशत आयात शुल्क लगता था. इसमें 5% बेसिक कस्टम ड्यूटी (BCD), 5% एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर और डेवलपमेंट सेस (AIDC) और दोनों पर 10% सोशल वेलफेयर सरचार्ज शामिल था. सरकार ने अब इन सभी को हटा दिया है. वित्त मंत्रालय ने 19 अगस्त से 30 सितंबर तक कपास आयात पर शुल्क-मुक्त छूट दी थी, लेकिन इस छूट को तीन महीने और बढ़ाकर 31 दिसंबर तक कर दिया गया था.

CCI की देरी और निजी व्यापारियों का खेल
कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (CCI) ने अभी तक पंजाब में खरीद शुरू नहीं की है, जिससे बाजार पूरी तरह निजी व्यापारियों के हवाले है. निजी व्यापारी नमी और खराब गुणवत्ता का हवाला देकर बेहद कम दाम दे रहे हैं. पंजाब की मंडियों में अब तक 11,218 क्विंटल कपास की आवक हो चुकी है, लेकिन CCI की अनुपस्थिति ने किसानों को मजबूरन औने-पौने दामों पर बेचने के लिए मजबूर कर दिया. पंजाब के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “कपास यहाँ है, किसान यहाँ हैं, लेकिन CCI कहाँ है?” उन्होंने तुरंत MSP पर खरीद शुरू करने की मांग की है.

बाढ़ और आयात शुल्क ने बढ़ाई मुश्किल
अगस्त-सितंबर की बाढ़ ने पंजाब में कपास की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया है. साउथ एशिया बायोटेक्नोलॉजी सेंटर के डॉ. भागीरथ चौधरी के मुताबिक, बाढ़ से कपास की स्ट्रेंथ घटी और नमी 8% से ज्यादा हो गई, जिसके चलते निजी व्यापारी कम दाम दे रहे हैं. उन्होंने CCI से तुरंत खरीद शुरू करने की अपील की है.

किसानों का गुस्सा और प्रदर्शन
मानसा के खियाली चाहियांवाली गांव के किसान और बीकेयू एकता डकौंडा के उपाध्यक्ष बलकार सिंह ने बताया कि मंडियों में निजी व्यापारी ₹5,300 से ₹6,800 प्रति क्विंटल से ज्यादा देने को तैयार नहीं हैं. गुस्साए किसानों ने हाल ही में मानसा मंडी में प्रदर्शन किया, जिसमें उन्होंने CCI की तत्काल हस्तक्षेप की मांग की. बलकार सिंह ने कहा, “अगर CCI बाजार में नहीं आएगा, तो किसानों के पास क्या विकल्प बचेगा? हम बार-बार MSP पर गारंटीशुदा खरीद की मांग इसलिए उठाते हैं।”

किसानों की नाराजगी बढ़ रही है, और कई अगले सीजन में कपास छोड़कर धान और गेहूं जैसी फसलों की ओर जाने की योजना बना रहे हैं। पंजाब में कपास का रकबा पहले ही हाल के वर्षों में घटा है, और इस स्थिति ने इसे और कम करने की आशंका बढ़ा दी है. यदि CCI तुरंत खरीद शुरू करती है और गुणवत्ता मानकों में कुछ ढील देती है, तो किसानों को राहत मिल सकती है. लेकिन सवाल यह है कि क्या सरकार किसानों के दर्द को समझेगी, या कपड़ा उद्योग की मजबूरियों को प्राथमिकता देगी?