CMIE रिपोर्ट: बेरोजगारी में फिर पहले नंबर पर रहा हरियाणा, विपक्ष ने साधा निशाना!

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की ओर से जारी बेरोजगारी दर के ताजा आंकड़ों में हरियाणा फिर से पहले स्थान पर रहा है. रिपोर्ट के अनुसार दिसंबर के महीने में हरियाणा में बेरोजगारी की उच्चतम दर 37.4% रही, इसके बाद राजस्थान में 28.5 प्रतिशत, दिल्ली में 20.8 प्रतिशत बेरोजगारी दर्ज रही. वहीं बिहार में 19.1 प्रतिशत और झारखंड 18 प्रतिशत बेरोजगारी दर दर्ज की गई.

बेरोजगारी के मुद्दे पर हरियाणा में विपक्ष ने एक बार फिर मनोहर लाल और दुष्यंत चौटाला के नेतृत्व वाली भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार पर तीखा हमला किया. सीएमआईई के आंकड़ों का हवाला देते हुए, विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली हरियाणा की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने राज्य सरकार पर राज्य में बेरोजगारी की बढ़ती दर को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाने का आरोप लगाया.

अंग्रेजी अखबार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में छपी रिपोर्ट के अनुसार हुड्डा ने कहा, ‘महीने और साल में बदलाव से लोगों को कोई राहत नहीं मिल रही है क्योंकि हरियाणा देश में बेरोजगारी के मामले में नंबर वन बना हुआ है. यह बेरोजगारी दर राष्ट्रीय औसत से 4.5 गुना ज्यादा है. पिछले महीने हरियाणा में बेरोजगारी दर 30.6 प्रतिशत थी और ऐसा लगता है कि हरियाणा हर बार बेरोजगारी के मामले में अपना ही रिकॉर्ड तोड़ रहा है.

उन्होंने कहा, “एक तरफ रोजगार के अवसर हर महीने नए निचले स्तर पर गिर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार बेरोजगार युवाओं के भविष्य के साथ लगातार खिलवाड़ कर रही है. हरियाणा के सरकारी विभागों में करीब दो लाख पद खाली पड़े हैं. इन पदों पर स्थायी भर्ती करने के बजाय सरकार कौशल रोजगार निगम के माध्यम से कर्मचारियों को ठेके पर भर्ती करने की प्रथा को बढ़ावा दे रही है.

उन्होंने कहा, “सरकारी विभागों और पदों को लगातार खत्म किया जा रहा है. इस दिशा में एक और कदम आगे बढ़ाते हुए सरकार ने हिसार दूरदर्शन को बंद करने का आदेश जारी किया है, जो किसानों और समसामयिक मुद्दों पर जानकारीपूर्ण चर्चा और राज्य समाचार और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के प्रसारण के लिए बनाया गया था. इस फैसले से चैनल में काम करने वाले दर्जनों कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे और करोड़ों रुपये का इंफ्रास्ट्रक्चर बेकार हो जाएगा. हरियाणवी कलाकार और दूरदर्शन से जुड़े अन्य विशेषज्ञ अपनी कला का प्रदर्शन नहीं कर पाएंगे और न ही लोगों के साथ अपनी विशेषज्ञता साझा कर पाएंगे.

इनेलो विधायक अभय चौटाला, जो पूर्व विपक्ष के नेता भी हैं, ने भी CMIE के बेरोजगारी दर के आंकड़ों पर राज्य सरकार की खिंचाई करते हुए कहा, “बेहद शर्मनाक है कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार ने 2014 से 2022 तक बेरोजगार युवाओं से पंजीकरण शुल्क के रूप में 206 करोड़ रुपये वसूले लेकिन युवाओं को स्थायी सरकारी नौकरी देने में विफल रही. यह और भी चिंताजनक है कि गठबंधन सरकार ऐसे कर्मचारियों को भी बाहर कर रही है जो कई वर्षों से काम कर रहे थे. राजस्थान की बेरोजगारी दर (28.5 प्रतिशत) का हवाला देते हुए, चौटाला ने कांग्रेस को “भाजपा से बेहतर नहीं” होने के लिए भी नारा दिया.”

हरियाणा विधानसभा के हाल ही में संपन्न शीतकालीन सत्र में विपक्ष ने हरियाणा में बढ़ती बेरोजगारी का मुद्दा उठाया था. विपक्ष की ओर से हरियाणा सरकार के हरियाणा कौशल रोजगार निगम पर भी सवाल उठाए गए, जिसके जरिए राज्य सरकार राज्य के बेरोजगारों को एक साल की अस्थायी नौकरी दे रही है.

हालांकि सत्र के दौरान मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कई कारण बताए थे और कहा था, ‘एक सीमा से ज्यादा सरकारी नौकरी देना राज्य सरकार के लिए संभव नहीं है.” सीएम खट्टर ने घोषणा की थी, “सरकारी विभागों में आवश्यकता के अनुसार पदों को युक्तिसंगत बनाने के लिए राज्य में एक रेशनेलाइजेशन कमीशन का गठन किया जाएगा. यह कमीशन हर विभाग में पदों की संख्या को युक्तिसंगत बनाएगा ताकि रिक्त पदों को राजनीतिक कारणों से नहीं बल्कि विभाग विशेष की आवश्यकता के आधार पर भरा जाए.” आगे खट्टर ने कहा, “एक वर्ष में केवल 20 हजार सरकारी नौकरियां प्रदान करना संभव हो सकता है, इससे अधिक नहीं, हमने पिछले आठ वर्षों में 1 लाख नौकरियां दी हैं और अब आने वाले दिनों में अधिक से अधिक 50,000 कर्मचारियों की भर्ती करने का प्रयास किया जाएगा.”

रिसर्च: सोशल मीडिया को लेकर युवाओं में बदलाव,फेसबुक जैसी एप्प पर घट रही सक्रियता!

प्यू रिसर्च सेंटर द्वारा किए गए नए सर्वे में सामने आया है कि अमेरिका में अब युवा सोशल मीडिया से दूर रहने लगे हैं. बताया जा रहा है कि 1997 से 2012 के बीच में पैदा हुई पीढ़ी सोशल मीडिया पर उतनी एक्टिव नहीं है. फेसबुक के प्रयोग में हुई कमी का एक कारण सोशल साइट के प्रयोग से डाटा लीक, प्राइवेसी को खतरा रहा है.

सर्व में पाया गया कि अधिकतर युवा सोशल मीडिया की वजह से परेशान हैं. हर 10 में से तीसरा बच्चे डिप्रेशन, डर, चिंता काशिकार हैं. भारत में 73% बच्चे मोबाइल का प्रयोग करते हैं. जिनमें से अधिकतर युवाओं में आज वीडियोस का क्रेज है. हालांकि मेटा जैसी कंपनियां प्रतिदिन अपनी सोशल एप्स में गुणात्मक परिवर्तन करती हैं परंतु आज का युवा आसानी से ऊब जाता है.

युवाओं की सोच में परिवर्तन आने लगा है. सर्वे में एक ओर बात यह भी सामने आई कि युवा सोशल मीडिया के अनेक प्लेटफार्म को यूज करने लगा है. वह केवल एक एप्प का प्रयोग नहीं करता. बल्कि उसके पास सोशल मीडिया की अलग अलग एप्प होती हैं.रिसर्च में सामने आया कि युवा पुराने पहनावे और संगीत की ओर भी आकृषित हो रहा है.

वहीं युवाओं की सोशल मीडिया पर घटी सक्रियता का कारण डाटा लीक, प्राइवेसी, डिप्रेशन जैसे मुद्दे हैं. हालांकि सोशल मीडिया ने बहुत से युवाओं को रोजगार के नए अवसर प्रदान किए हैं. जिससे वे अच्छा खासा पैसा कमा रहे हैं. आज देश में बेरोजगारी ने युवाओं को सोशल मीडिया जैसे प्लेटफार्म की तरफ प्रोत्साहित किया है. जैसा कि भारत में 73% युवाओं में वीडियो का क्रेज है. और उससे रोजगार भी प्राप्त करता है.

प्यू सर्वे में पाया गया कि लंबे समय तक एक चीज से बंधे रहना युवाओं के ऊबाउ बनारहा है जिसके कारण वह नए अवसरों या प्रयोगों की खोज करने लगता है. भारत में भी युवाओं में बढ़ रहे डिप्रेशन जैसी बीमारियां सोशल मीडिया की वजह से ही है. किंतु भारत में बेरोजगारी के चलते सोशल मीडिया के प्लेटफार्म का ज्यादा इस्तेमाल होने लगा है. चाहे वह रोजगार प्राप्त करने के लिए हो या फिर बोरियत दूर करने के लिए इंटरटेन पर युवा की पहली पसंद सोशल मीडिया ही है.

हरियाणा 34.5 फीसदी बेरोज़गारी दर के साथ फिर पहले स्थान पर

CMIE की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार हरियाणा सर्वाधिक बेरोजगारी दर के साथ एक बार फिर से पहले स्थान पर रहा. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी ने 2 मई को पूरे देश के बेरोज़गारी के आंकड़े जारी किए. मार्च महीने में भी हरियाणा 26.7% की बेरोज़गारी दर के साथ पहले स्थान पर था. वहीं अप्रैल महीने में 34.5 फीसदी की बेरोजगारी दर के साथ पहले स्थान पर है. CMIE की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में पिछले महीने की तुलना में करीबन 8 फीसदी बेरोजगारी दर बढ़ी है.

निम्न राज्यों में रही सबसे ज्यादा बेरोजगारी दर
हरियाणा 34.5%
राजस्थान 28.8%
बिहार 21.1%
जम्मू और कश्मीर 15.6%
गोवा 15.5%

देश में सबसे कम बेरोज़गारी दर हिमाचल प्रदेश की रही जो महज 0.2 फीसदी है. पिछले महीने सबसे कम बेरोजगारी दर छतीसगढ़ की रही थी जो अब दूसरे स्थान पर सबसे कम है.

निम्न राज्यों में रही सबसे कम बेरोजगारी दर
हिमाचल प्रदेश0.2%
छत्तीसगढ़ 0.6%
असम 1.2%
उड़ीसा 1.5%
गुजरात 1.6%

फ़रवरी महीने में बेरोज़गारी दर में हरियाणा दूसरे स्थान पर चला गया था लेकिन मार्च में फिर से ऊपर आ गया. संस्थान हर महीने पूरे देश की बेरोजगारी के आंकड़े जारी करता है. इस महीने पूरे देश के स्तर पर बेरोज़गारी दर 7.83 फीसदी रही जो पिछली बार 7.6 फीसदी थी. शहरों में बेरोजगारी दर 9.22 फीसदी रही जो पिछली बार 8.6 फीसदी थी. वहीं ग्रामीण बेरोजगारी दर 7.18 फीसदी रही जो पिछली बार 7.8 फीसदी थी. जम्मू और कश्मीर पिछले महीने 25 फीसदी की बेरोजगारी दर के साथ दूसरे स्थान पर था जो अबकी बार 15.6 फीसदी के साथ चौथे स्थान पर चला गया है. फ़रवरी में राष्ट्रीय बेरोज़गारी दर 8.1% थी जो मार्च में घटकर 7.6% हो गई थी. लेकिन अप्रैल में बेरोजगारी दर फिर से बढ़ गई है.

बेरोज़गारी दर कैसे निकालते हैं

श्रम बाज़ार में उपलब्ध रोजगाररत और बेरोजगार श्रमिकों के औसत के आधार पर बेरोजगारी दर निकाली जाती है. बेरोजगारी दर उस श्रम बल का एक हिस्सा है जिसके पास वर्तमान में रोजगार नहीं है लेकिन उन्हें मिल सकता है.बेरोजगार वो हैं जो काम करने के इच्छुक हैं और व्यक्त सक्रिय श्रम बल के प्रतिशत के रूप में नौकरी की तलाश में हैं. जो बेरोजगार हैं और नौकरी की तलाश में नहीं हैं उनकी संख्या को बेरोजगारी दर निकालने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाता. ऐसी आबादी लगातार बढ़ी है जिसने नौकरी की तलाश ही बंद कर दी है.  नवभारत टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार 45 करोड़ लोग नौकरी की तलाश छोड़ चुके हैं. अगर इस आबादी को भी शामिल कर लिया जाये तो बेरोजगारी दर के आंकड़े अलग ही होंगे.