पानीपत: बेटे की संदिग्ध मौत को लेकर अनिल विज तक लगाई गुहार, न्याय के लिये भटक रहा DNT परिवार!

हरियाणा के गृह मंत्री अनिल तक न्याय की फरियाद लेकर जा चुका एक परिवार अपने बेटे की संदिग्ध मौत के न्याय के लिए पिछले करीबन एक महीने से सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर है लेकिन अब तक मामले में कोई सुनवाई नहीं हुई है. अनिल विज को मौके पर न्याय देने वाले नेता और जांच न करने पर प्रदेश के अधिकारियों को सस्पेंड करने वाले नेता के तौर पर जाना जाता है लेकिन इस परिवार के लिए यह कोई मायने नहीं रखता है क्योंकि इस पीड़ित परिवार को न्याय के नाम पर केवल आश्वासन ही मिला पाया है.

अंत्योदय की बात करने वाली BJP सरकार में समाज के सबसे अंतिम पायदान पर खड़े विमुक्त घुमंतू समुदाय का एक परिवार अपने बेटे के न्याय के लिए पिछले महीनेभर से सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर है. 42 साल के विजय कुमार को आत्महत्या के लिए उकसाने वाले गांव के ही आोरपी सरपंच पति अनिल शर्मा तक पुलिस नहीं पहुंच पाई है. पीड़ित परिवार का पुलिस पर सीधा आरोप है कि पुलिस अनिल शर्मा के दबाव में आकर मामले को दबाने में जुटी है.

दरअसल 26 अक्टूबर को पानीपत के गांव छिछड़ाना के रहने वाले विजय कुमार का शव संदिग्ध हालत में मिला था वहीं विजय कुमार की जेब से पुलिस को एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ था जिसमें सीधे तौर पर गांव के ही मौजूदा सरपंच पति अनिल शर्मा को आत्महत्या के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है. अनिल शर्मा पर आरोप हैं कि वह पोस्टमैन विजय कुमार को ब्लैकमेल करके उससे पैसे ऐंठता था. सुसाइड नोट के अनुसार अनिल शर्मा पोस्टमैन विजय कुमार से करीबन 40 लाख रुपए हड़प चुका था.

घटना की प्रिंट मीडिया कवरेज

लेकिन इस बीच हैरान करने वाली बात है कि पुलिस ने सरपंच पति अनिल शर्मा पर कोई एक्शन नहीं लिया. आरोपी अनिल शर्मान घटना के बाद से ही फरार है लेकिन अब तक उसे पकड़ने के लिए पुलिस ने कोई दबिश नहीं की है.

गांववासियों के अनुसार आरोपी अनिल शर्मा सट्टेबाजी का एक गिरोह चलाता है. गांव में लोगों के बीच बाहुबली नेता की छवि वाले अनिल शर्मा पर इससे पहले भी कई संगीन आरोप लग चुके हैं लेकिन सत्ता के गलियारों में पहुंच और नेताओं के साथ उठ बैठ के चलते आज तक अनिल शर्मा पर पुलिस कोई एक्शन नहीं ले पाई है.

मृतक विजय कुमार की दो बेटियां हैं जो अपने पिता की मौत के दोषी को सजा दिलाने के लिए न्याय की गुहार लगा रही हैं लेकिन पुलिस प्रशासन ने इस मामले में अब तक कोई जांच नहीं की.

मृतक विजय कुमार की दो बेटियां

बता दें कि पीड़ित परिवार की ओर से अनिल शर्मा के खिलाफ SC/ST एक्ट  और आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में IPC की धारा 306 के तहत मामला दर्ज करवाया गया है. सोचिए SC/SC ACT लगने के बाद भी अनिल शर्मा की गिरफ्तारी नहीं की गई है. पीड़ित परिवार का आरोप है कि पुलिस पहले दिन से ही आरोपी अनिल शर्मा का साथ दे रही है उनका कहना है कि अनिल शर्मा के खिलाफ FIR दर्ज करने में ही पुलिस दो दिन तक टाल मटोल करती रही.

जगदीश राय, मृतक के पिता

मृतक विजय कुमार के पिता जगदीश राय ने बताया, “हम पहले दिन से ही आरोपी अनील शर्मा की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं लेकिन पुलिस प्रशासन ने हमारी कोई सुनवाई नहीं की एफआईआर दर्ज करवाने के लिए भी हमें अपने पूरे घुमंतू समाज को इकट्ठा करना पड़ा तब जाकर दो दिन बाद एफआईआर दर्ज की गई. आरोपी की गिरफ्तारी की मांग को लेकर पानीपत एसपी अजीत सिंह शेखावत से लेकर प्रदेश के गृहमंत्री अनिल विज तक से मिल चुके हैं लेकिन दोनों की ओर से केवल आश्वासन दिया गया अब तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है.”

वहीं इस मामले में पुलिस का पक्ष लेने के लिए केस की जांच कर रहे अधिकारी से फोन पर संपर्क किया गया तो कॉल का कोई जवाब नहीं दिया गया.

पानीपत: केमिकल टैंक में गिरने से तीन मजदूरों की मौत, परिजनों ने लगाया हत्या का आरोप!

पानीपत के सनोली रोड जलालपुर में बनी एक में फैक्ट्री में तीन मजदूरों की कथित तौर पर एक केमिकल टैंक में गिरने से मौत का मामला सामने आया है. घटना का पता चलने पर प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे दमकलकर्मियों की टीम की मदद से शवों को केमिकल टैंक से बाहर निकाला गया.

अधिकारियों के मुताबिक, मृतकों की पहचान रसलापुर गांव के रहने वाले इस्लाम, सुरेश और जलालपुर गांव के कुर्बान के रूप में हुई है. वहीं मृतक मजदूरों के परिजनों का आरोप है कि तीनों की हत्या की गयी है. परिजनों ने फैक्टरी मालिक और अन्य कर्मचारियों पर हत्या का आरोप लगाया है.

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर निवासी सुरेश, पानीपत के रसलापुर निवासी कुर्बान और इस्लाम गोरजा इंटरनेशनल फैक्टरी में काम करते थे. वह तीनों रविवार तड़के करीब साढ़े तीन बजे टैंक में गए थे. तीनों संदिग्ध परिस्थितियों में टैंक में गिर गए. फैक्टरी के सुपरवाइजर का कहना है कि तीनों पैर फिसलने के बाद टैंक में गिरे.

फैक्ट्री में चादर और कंबल बनाए जाते हैं. इससे निकलने वाले दूषित केमिकल युक्त पानी को बेसमेंट में करीब 15 फुट गहरे और 20 फुट लंबे टैंक में जमा किया जाता था इसी टैंक में गिरने से तीनों मजदूरों की मौत हुई है.

इस घटना पर पानीपत के सहायक पुलिस अधीक्षक (एएसपी) मयंक मिश्रा ने कहा कि तीनों की पहचान कर ली गई है और उनके शवों को शवगृह में भेज दिया गया है. पोस्टमार्टम के बाद ही मौत का वास्तविक कारण स्पष्ट हो सकेगा. उन्होंने कहा कि मामले की जांच चल रही है. थाना सनौली पुलिस ने फैक्टरी मालिक नवीन, विष्णु व सौरभ के खिलाफ हत्या, मारपीट की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है. परिजनों का आरोप है कि तीनों को पहले मारा गया फिर टैंक में फेंका गया.

सीएम के HSVP विभाग के अधिकारियों ने भू-माफिया के साथ मिलकर किया 450 करोड़ का जमीन घोटाला!

भूमि अधिग्रहण कार्यालय से जुड़े अधिकारियों, तहसीलदार और HSVP (हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण) के अधिकारियों नेभू-माफियाओं के साथ मिलकर कथित तौर पर एचएसवीपी की अधिग्रहित जमीन को बेचने का मामला सामने आया है. बता दें कि सीएम मनोहर लाल खुद HSVP (हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण) के चेयरमैन हैं और इसी विभाग के अधिकारियों ने पटवारी, कानूनगो और भू-माफिया के साथ मिलकर 450 करोड़ रुपये के जमीन घोटाले का अंजाम दे दिया. मामले की जांच को मुख्य सतर्कता अधिकारी, एचएसवीपी, पंचकुला को भेजा गया है. पूर्व जिला परिषद सदस्य जोगेंद्र स्वामी ने सेक्टर 6 में एचएसवीपी की अधिग्रहीत जमीन को निजी व्यक्तियों को बेचने के घोटाले के संबंध में शिकायत दर्ज कराई थी.

शिकायत के अनुसार खसरा नंबर 720 में कुल 7 बीघा- 19 बिस्वा जमीन थी, जिसे एचएसवीपी ने सेक्टर विकसित करने के लिए अधिग्रहित किया था. लेकिन कागजी तौर पर 19 बिस्वा में से केवल 12 बिस्वा जमीन बची है लेकिन, भू-माफिया ने तहसीलदार कार्यालय के अधिकारियों, पटवारी, कानूनगो और एचएसवीपी अधिकारियों की मिलीभगत से एचएसवीपी की जमीन बेच दी और कथित तौर पर फर्जी दस्तावेज तैयार करके हजारों वर्ग फुट जमीन का म्यूटेशन भी करा लिया.

यह करीबन 450 करोड़ रुपये से ज्यादा का जमीन घोटाला है. उन्होंने आगे आरोप लगाया कि एचएसवीपी की अधिग्रहित जमीन में से कुल 7,350 वर्ग फुट जमीन एनएच-44 पर सेक्टर 6 की ग्रीन बेल्ट के लिए रिजर्व थी लेकिन, भू-माफियाओं ने एलएओ, तहसीलदार और दूसरे अधिकारियों की मिलीभगत से एचएसवीपी की लगभग 4000 वर्ग फीट जमीन को फर्जी दस्तावेज बनाकर बेच दिया और सरकार द्वारा अधिग्रहीत जमीन का विक्रय पत्र और म्यूटेशन भी पंजीकृत कर लिया.
शिकायत के बाद एचएसवीपी के ईओ विजय राठी ने एक टीम गठित कर मामले की जांच कराई.

एचएसवीपी के ईओ विजय सिंह राठी ने कहा कि प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई कि सेक्टर 6, एचएसवीपी की अधिग्रहित जमीन की खरीद-फरोख्त की गई, जो पूरी तरह से अवैध है. उन्होंने कहा कि मामले में आगे की कार्रवाई के लिए एचएसवीपी के मुख्य प्रशासक को एक विस्तृत रिपोर्ट भेज दी गई है. ईओ ने कहा कि मामले की विजिलेंस जांच भी करा दी गई है.

पानीपत: नहर किनारे रह रहे घुमंतू परिवारों पर जान का खतरा!

औद्योगिक शहर पानीपत के असन्ध रोड पर नहर किनारे करीबन सौ घुमंतू परिवार झोपड़ियों में रहने को मजबूर हैं. चारों और से ट्रैफिक के शोर-गुल और धूल-मिट्टी से घिरे इस महौल में सैकड़ों बचपन बीत रहे हैं. नहर की कच्ची पटरी के किनारे रह रहे इन परिवारों के लिए हर दिन एक नई चुनौती बनकर आता है. नहर किनारे होने के कारण इन झोपड़ियों में आये दिन सांप के काटने का खतरा बना रहता है. आजादी के सात दशक बाद भी देश की एक बड़ी आबादी मकान और जीवन की मूलभूत जरुरतों के बिना रहने को मजबूर हैं.   

दोपहर के करीबन एक बजे हैं. बांस और तिरपाल से बनी सौ परिवारों की बस्ती में से तीसरी झोपडी बसंती की है. दोपहर के खाने के बाद बसंती अपने परिवार के सदस्यों के साथ बैठीं हैं. बुढ़ापा पेंशन के सवाल पर करीबन 62 साल की बसंती ने बताया, “इन सौ विमुक्त घुमंतू परिवारों में 20 से 25 बुजुर्ग ऐसे हैं जिनकी बुढ़ापा पेंशन नहीं बन पाई है. मेरे पास आधार कार्ड और वोटर कार्ड भी है. बुढ़ापा पेंशन के लिए कईं बार सरकारी दफ्तर के चक्कर लगाए लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.” बच्चों की पढ़ाई के सवाल पर बसंती ने बताया, “पहले एक मैडम यहां पढ़ाने आती थीं लेकिन पिछले कुछ महीनों से वो भी नहीं आ रहीं हैं.

आज से करीबन 65 साल पहले घुमंतू जीवनयापन करते हुए राजस्थान से निकले मूँगा बावरिया समाज के घुमंतू परिवार पानीपत शहर के होकर रह गए. इन 65 सालों के सफर में ये लोग शहर की अलग-अलग जगहों से हटाये गये. बावरिया समाज के घुमंतू परिवार एक जगह से हटाए जाने के बाद दूसरी जगह डेरा डालते गए. इतना लंबा अरसा बीत जाने के बाद भी इस शहर ने इन लोगों को नहीं अपनाया.

शहर की विकास की दौड़ के सामने मूंगा बावरिया समाज के घुमंतू परिवार बहुत पीछे छूट चुके हैं. स्तिथि ये आन बनी है कि विकास की दौड़ ने 65 साल से शहर में रह रहे इन लोगों को शहर से बाहर कर दिया है. अब ये लोग पानीपत-असन्ध बाईपास पर रह रहे हैं.

शनि मंदिर चौक की झुग्गियों में रहने वाले मूँगा बावरिया समाज के अधिकतर लोग गांव-गांव जाकर फेरी का काम करते हैं. ये लोग क्रॉकरी और प्लास्टिक का बना सामान बेचने के बदले पुराने या नये कपड़े लेते हैं। फेरी का काम करने वाले करीबन 25 साल के एक युवा ने बताया कि आज कल गर्मी बहुत है ऐसे में लोग सामान खरीदने के लिए बाहर नहीं निकलते हैं जिसकी वजह से हमारा काम मंदा चल रहा है.

वहीं बसंती की पास वाली झोपड़ी में रहने वाले कबीर बावरिया अपने परिवार के साथ बैठे हुए हैं। कबीर के परिवार में उन्की पत्नी, बेटा, बहू और एक करीबन दसेक साल का पौत्र है. कबीर ने बताया, “बड़ी मुश्किल से घर का गुजारा हो रहा है। फेरी का काम-धन्धा ठप्प पड़ा है. हम प्लास्टिक का सामान बेचने का काम करते हैं, पहले लोग हमारा सामन खरीद लेते थे लेकिन अब बाजार में नये-नये डिजाइन और बड़ी कम्पनियों के सामान आ गए हैं ऐसे में हमारे सामान की बिक्री पहले से बहुत कम हो गई है.”  

इन घुमंतू परिवारों तक सरकारी योजनाओं का कोई लाभ नहीं पहुँच रहा है। वहीं करीबन 65 साल के बंसी ने बताया कि मेरी भी बुढ़ापा पेंशन नहीं बनी है. राशन डिपो वाले हमें राशन देने में आनाकानी करते हैं. हम झुग्गियों वालों को केवल आट्टा देते हैं कोई दाल-चना, चावल, चीनी कुछ नहीं देते.”   

अपने जवान बेटे के साथ झोपड़ी में बैठीं रत्नी देवी ने बताया, “ रोजगार खत्म हो चुका है. शनि मंदिर के बाहर मांगकर खाने को मजबूर हैं. सरकार को सोचना चाहिये हम भी इसी देश के वासी हैं हमें भी प्लॉट मिलना चाहिये. हमें बना बनाया घर नहीं चाहिये हमें बस खाली प्लॉट दे दिया जाए मकान हम अपनी मेहनत से बना लेंगे.”

नहर की कच्ची पटरी पर रह रहे इन लोगों के लिये जान का खतरा बना रहता है. बंसी ने बताया, “बारिश के मौसम में यहां सांप आते हैं. सांप हमारी झोपड़ियों में घुस जाते हैं और कईं बार हमारे लोगों को नुकसान भी पहुंचा चुके हैं.

DNT समाज से आने वाले इन समुदायो की 70 सालों से अनदेखी हो रही है.  केंद्र सरकार की ओर से अगले पांच साल के लिये 200 करोड़ का बजट तय किया गया है लेकिन बीते वित्त वर्ष में डीएनटी बजट का एक पैसा भी इन समुदायों के लिए खर्च नहीं किया गया है.  

रैनके कमीशन-2008 की रिपोर्ट के अनुसार घुमंतू समुदाय के करीबन 90 फीसदी लोगों के पास अपने मकान और 50 फीसदी लोगों के पास पहचान पत्र तक नहीं हैं। विमुक्त घुमंतू एवं अर्धघुमंतू समुदाय को लेकर एनडीए सरकार में गठिन इदाते आयोग की रिपोर्ट आए हुए चार साल और यूपीए सरकार में आई रेनके कमीशन की रिपोर्ट को 14 साल होने को हैं लेकिन दोनों में से किसी भी रिपोर्ट को चर्चा के लिए सदन में पेश नहीं किया गया है. तमाम आयोग और कमेटियों के गठन और इनकी सिफारिशों के बाद भी विमुक्त घुमंतू जनजातियों के उत्थान के लिए कोई काम नहीं हुआ. 

‘786’ लिखा देख काटे गए हाथ, झूठे मुक़दमे में फंसे, डेढ़ साल बाद हुए बरी. अख़लाक़ सलमानी की पूरी कहानी

20 मई को, पानीपत की एक फास्ट-ट्रैक ट्रायल कोर्ट ने अखलाक सलमानी को बाल यौन उत्पीड़न और अपहरण से संबंधित आरोपों से बरी कर दिया. उसके खिलाफ एफआईआर तब दर्ज की गई जब दो नशे में धुत्त लोगों ने कथित तौर पर उसके साथ मारपीट की और उसे एक मुस्लिम होने के एहसास होने पर उसका दाया हाथ काट दिया जिस पर ‘786’ का टैटू बना हुआ था. अख़लाक़ पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पोस्को) के तहत आरोप लगाए गए थे.

निचली अदालत के फैसले के अनुसार उन्होंने अख़लाक़ सलमानी पर लगे आरोपों को खारिज कर दिया और इसी के साथ अदालत ने पुलिस द्वारा की गई जांच में कई खामियों की ओर भी इशारा किया.

अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष (आरोप लगाने वाले) के पूरे बयान पर छानबीन करना संभव नहीं है और विश्वसनीय सबूतों से इसकी पुष्टि नहीं की जा सकती है.

पोक्सो अदालत के न्यायाधीश सुखप्रीत सिंह ने एफआईआर दर्ज करने में देरी, अख़लाक़ की एफआईआर दर्ज होने के दिन ही उसके खिलाफ़ एफआईआर दर्ज होने पर शक, अख़लाक़ के खिलाफ ज़रूरी सबूत पेश करने में अभियोजन पक्ष की नाकामी और पीड़िता की ज़रूरी चिकित्सीय-कानूनी जांच की कमी का हवाला देते हुए अख़लाक़ सलमानी के खिलाफ़ सभी आरोपों से उसे बरी कर दिया.

आदेश ने शिकायतकर्ता द्वारा शिकायत दर्ज करने में लंबे समय तक देरी पर भी सवाल उठाया और कहा कि इसे एफआईआर में शिकायत को पर्याप्त रूप से समझाया नहीं गया है.

आदेश में अदालत ने यह भी कहा कि अख़लाक़ वास्तव में शिकायतकर्ता पक्ष का शिकार बना है, जिसने पहले अख़लाक़ पर हमला किया और फिर उसे मरने के लिए छोड़ने से पहले एक आरा मशीन की मदद से उसका दाहिना हाथ काट दिया.

क्या हुआ था अख़लाक़ सलमानी के साथ?

उत्तर प्रदेश सहारनपुर का रहने वाला, पेशे से नाई, 28 वर्षीय अख़लाक़ सलमानी काम की तलाश में हरियाणा के पानीपत में आया था. 24 अगस्त की शाम वह थक हार कर पानीपत में किशनपुरा रेलवे लाइन के पास पार्क में बैठा जहां उस के साथ मारपीट हुई. नशे में धुत्त 2 लोगों ने अख़लाक़ को रात के डेढ़ बजे मारा पीटा और मशीन वाली आरी से उस का दाया हाथ काट दिया जहां उस ने ‘786’ का टैटू बनवाया हुआ था.

अखलाक ने बताया कि दो लोगों ने नशे की हालत में उस पर हमला किया, जब उन्होंने उसकी बांह पर ‘786’ का टैटू देखा था. अखलाक के परिवार ने आरोप लगाया कि यह एक सांप्रदायिक घृणा से जुड़ा अपराध था.

अख़लाक़ के हाथ काटने की यह घटना 24 अगस्त 2020 को हुई थी लेकिन इस की एफआईआर 7 सितम्बर 2020 को लिखी गई. एफआईआर दोनों पक्षों ने एक दुसरे के खिलाफ़ लिखवाई. अख़लाक़ ने उस के साथ हुए घटनाक्रम को बताते हुए चांदनी बाग पुलिस थाने में आरोपियों के खिलाफ़ एफआईआर लिखवाई तो दुसरी ओर आरोपित पक्ष ने भी अख़लाक़ के खिलाफ़ बाल यौन उत्पीड़न और अपहरण से जुड़े विभिन्न धाराओं और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पोस्को) के तहत प्राथमिकी लिखवाई.

अख़लाक़ के खिलाफ़ हुई हिंसा के बावजूद उस पर लगे आरोपों के चलते उसे 1 साल से ऊपर जेल में सज़ा काटने को मजबूर होना पड़ा.

अदालत में अख़लाक़ का केस लड़ रहे वकील अकरम अख्तर ने बताया है कि पुलिस ने अभी तक अख़लाक़ के परिवार द्वारा दायर मामले में कार्यवाही शुरू नहीं की है. अकरम ने बताया कि “इस मामले में एक साथ दो प्राथमिकी दर्ज की गईं थी. जिस में से एक मामले में मुकदमा खत्म हो गया है जबकि दूसरे मामले में पुलिस ने अभी तक चार्जशीट तक दाखिल नहीं की है.”