पटियाला: मकान की छत गिरने से दो प्रवासी मजदूरों की मौत!

पटियाला में भारी बारिश के चलते एक मकान की छत गिरने से दो प्रवासी मजदूरों की मौत हो गई.स्थानीय प्रशासन के अनुसार बुधवार को पटियाला के राघो माजरा इलाके में किराए के घर की छत गिरने से दो प्रवासी मजदूरों की मौत हो गई.

मंगलवार रात हुई इस घटना में दो मजदूरों की मौत के अलावा तीन अन्य घायल हुए हैं. घटना के बाद स्थानीय लोग पीड़ितों को अस्पताल लेकर गए जहां अस्पताल में मुन्ना लाल और रमा शंकर ने दम तोड़ दिया.

बता दें कि बारिश और बाढ़ के चलते पूरे पंजाब में 25 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. इस बीच 2 और प्रवासी मजदूरों की मौत हो गई है.

ई-श्रम पोर्टल: 94% मजदूरों का वेतन 10,000 से भी कम, 74.44 फीसदी मजदूर समाज के पिछड़े वर्ग से आते हैं

भारत में आधी से ज्यादा जनसंख्या मजदूर वर्ग के रूप में काम करती है, लेकिन 94 फीसदी अनौपचारिक मजदूरों की आमदनी 10,000 रुपये से कम है. ई-श्रम पोर्टल (e-Shram Portal) पर रजिस्टर्ड 27.69 करोड़ असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के डेटा से यह खुलासा हुआ है. आंकड़ों से पता चलता है कि पोर्टल पर रजिस्टर्ड 94.11 फीसदी असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की मासिक कमाई 10,000 रुपये से भी कम है. वहीं 4.36 फीसदी की कमाई 10,001 से 15,000 रुपये के बीच है. पोर्टल पर रजिस्टर्ड 74.44 फीसदी मजदूर समाज के पिछड़े वर्ग से आते हैं.

74% मजदूर दलित, आदिवासी व ओबीसी

पोर्टल पर दिए गए आंकड़ों के अनुसार 74 फीसदी मजदूर दलित, आदिवासी और ओबीसी वर्ग से आते हैं. इनमें से 45.32 फीसदी ओबीसी, 20.95 फीसदी दलित और 8.17 फीसदी आदिवासी वर्ग के हैं. सामान्य श्रेणी से आने वाले मजदूरों की संख्या 25.56 फीसदी है.

उम्र के लिहाज से देखा जाए, तो 61.72 फीसदी मजदूरों की उम्र 18 से 40 साल और 22.12 फीसदी की 40 से 50 साल के बीच है. पोर्टल पर रजिस्टर्ड 13.23 फीसदी मजदूरों की उम्र 50 साल से अधिक है. वहीं 2.93 फीसदी की उम्र 16 से 18 साल के बीच है. पोर्टल पर रजिस्टर्ड 52.81 फीसदी मजदूर महिलाएं और 47.19 फीसदी पुरुष हैं.

रजिस्ट्रेशन के मामले में शीर्ष पांच राज्यों में उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और ओडिशा हैं. रजिस्टर्ड मजदूरों में सबसे अधिक 52.11 फीसदी मजदूर खेती का काम करते हैं. वहीं 9.93 फीसदी घरों में काम करते हैं जबकि 9.13 फीसदी निर्माण क्षेत्र में मजदूरी करते हैं.

38 करोड़ मजदूरों के रजिस्ट्रेशन का लक्ष्य

The Hindu के अनुसार विशेषज्ञों का मानना है कि ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन बढ़ने के साथ पता चलता है कि समाज में काफी असमानता है. असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की संख्या करीब 38 करोड़ है. ई-श्रम पोर्टल का उद्देश्य देश में असंगठित क्षेत्र के मजदूरों का एक व्यापक डेटाबेस तैयार करना है. पोर्टल का लक्ष्य है कि असंगठित क्षेत्र के सभी मजदूरों का रजिस्ट्रेशन किया जाना चाहिए.

नवंबर 2021 में मासिक 10,000 रुपये से कम की कमाई वाले असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की संख्या 92.37 फीसदी थी. उस समय पोर्टल पर 8 करोड़ से कुछ ज्यादा मजदूर रजिस्टर्ड थे. उस समय पोर्टल पर पंजीकृत दलित, आदिवासी और ओबीसी वर्ग के मजदूरों की संख्या 72.58 फीसदी थी.

26 अगस्त 2021 को शुरू हुआ था पोर्टल

इस पोर्टल को 26 अगस्त, 2021 को शुरू किया गया था. इस पोर्टल के जरिये सरकार देश के असंगठित क्षेत्र के सभी मजदूरों के स्थिति देखना चाहती है. साथ ही सभी मजदूरों को कल्याण योजनाओं का लाभ प्रदान करना भी उद्देश्य है. ताजा आंकड़ों के मुताबिक, ई-श्रम पोर्टल पर कुल 27.69 करोड़ असंगठित क्षेत्र के मजदूर रजिस्टर्ड हैं. आंकड़ों से पता चलता है कि असंगठित क्षेत्र के सभी मजदूर गरीबी में अपना जीवनयापन कर रहे हैं और इनमें से ज्यादातर मजदूर समाज के पिछड़े समुदाय से आते हैं.

साभार: Workers Unity

पंजाब के खेत मजदूरों को अपने मुख्यमंत्री से मिलने के लिए करना पड़ा दो दिन प्रदर्शन

पंजाब के संगरूर और मानसा जिले के लगभग 3000 खेत मजदूरों ने 29 मई को संगरूर में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के घर का घेराव किया. मजदूर अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री से मिलने के लिए आए थे. क्रांतिकारी पेंडु(देहाति) मजदूर यूनियन के आह्वान पर मजदूरों ने 29 मई को सुबह ही मुख्यमंत्री के घर के बाहर नारेबाजी शुरू कर दी. जब कोई मिलने नहीं आया तो 12 बजे मुख्यमंत्री के घर के बाहर ही स्टेज लगाकर अपना कार्यक्रम शुरू कर दिया.

स्थाई मोर्चा लगता देख करीब 4 बजे अधिकारी, मजदूरों से मिलने स्टेज पर ही आए. मुख्यमंत्री से मुलाक़ात करवाने का आश्वासन मजदूर नेताओं को दिया. एक सरकारी चिट्ठी भी दी जिसमें लिखा हुआ था कि 13 जून को मजदूर नेताओं की मुख्यमंत्री से मुलाक़ात कारवाई जाएगी. इस आश्वासन पर मजदूरों ने धरना खत्म कर दिया.

मुख्यमंत्री से मिलने के लिए पास की जरूरत होती है. 30 मई को जब मजदूर नेता पास लेने के लिए दोबारा अधिकारियों से मिले. अधिकारी मुख्यमंत्री से मिलवाने वाली बात से मुकर गए. मजदूर नेताओं को लगा कि उनके साथ धोखा हुआ है. उसी समय आस पास के मजदूरों को संगरूर पहुंचने का आह्वान नेताओं की ओर से किया गया. इसके बाद मजदूरों ने शाम को 6 बजे ही फिर से धरना शुरू कर दिया. इस दौरान उनकी वहां मौजूद पुलिस से हाथापाई भी हुई. करीब 6 घंटे चले इस संघर्ष के बाद रात को 12 बजे अधिकारी मजदूरों से फिर मिले. इस बार मुख्यमंत्री से मिलने का पास मजदूर नेताओं को दिया. मजदूर नेताओं की मुख्यमंत्री से मुलाक़ात 7 जून को होगी.

यूनियन के प्रवक्ता प्रगट कला झार ने बताया कि वो 7 जून को मुख्यमंत्री से मिलकर मजदूरों की समस्याओं के बारे में बात करेंगे.

यह हैं मजदूरों की मुख्य मांग

  1. धान की लवाई 6 हजार रुपए प्रति एकड़ की जाए.
  2. मजदूर की दिहाड़ी 700 रुपए की जाए.
  3. गांव के मजदूरों के सामाजिक बहिष्कार के प्रस्ताव पारित करने वाले चौधरियों के खिलाफ SC/ST एक्ट के तहत केस दर्ज किया जाए.
  4. धान की सीधी बिजाइ से मजदूरों के खत्म हुए रोजगार की भरपाई की जाए.
  5. पंचायती जमीन के तीसरे हिस्से को दलित मजदूरों को कम रेट पर देना यकीनी (पुख्ता) बनाया जाए. डमी बोली लेने और देने वाले पर कार्यवाही की जाए और रिजर्व कोटे वाली जमीन की बोली दलित चौपाल में लगवाई जाए.
  6. भूमि सुधार कानून लागू करके बची हुई जमीन बेजमीने किसान और खेत मजदूरों को दी जाए.
  7. जरूरतमंद मजदूर परिवारों को 10-10 मरले के प्लाट, घर बनाने के लिए 5 लाख रुपए और कूड़ा डालने की जगह दी जाए.
  8. नजूल ज़मीनों का मालकाना हक मजदूरों को दिया जाए.
  9. बेजमीने मजदूरों पर चढ़े माइक्रोफ़ाइनेंस, सरकारी और गैर सरकारी कंपनियों के कर्जों को माफ किया जाए, मजदूरों को बैंकों से कम ब्याज दर पर और लंबे समय के लिए बिना गारंटी का कर्ज दिया जाए.
  10. डीपो सिस्टम को सुचारु बनाया जाए और जरूरत की सारी चीज़ें सस्ते रेट पर दी जाए.
  11. बेजमीने खेत मजदूरों को सहकारी समितियों का सदस्य बनाया जाए और सब्सिडी के तहत कर्ज दिए जाए.
  12. मोदी सरकार द्वारा किए गए श्रम कानूनों में संशोधन को रद्द करवाने के लिए विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया जाए.
  13. मनरेगा के तहत पूरे परिवार को पूरे साल काम दिया जाए, दिहाड़ी 600 रुपए की जाए और धांधली करने वाले अधिकारियों पर जरूरी कार्यवाही की जाए.
  14. बेजमीने मजदूरों के लिए पक्के रोजगार का प्रबंध किया जाए और सरकारी संस्थानों का निजीकरण बंद किया जाए.
  15. खेत मजदूरों के बकाया बिजली के बिल माफ किए जाए और बकाया बिल की वजह से उखाड़े गए बिजली के मीटर वापस लगाए जाए.
  16. विधवा, बुढ़ापा और विकलांग पेंशन 5000 रुपए की जाए और बुढ़ापा पेंशन की उम्र महिलाओं की 55 और पुरुषों की 58 साल की जाए.
  17. संघर्षों के दौरान मजदूरों और किसानों पर दर्ज किए गए केस वापस लिए जाए.
    नोट : नजूल जमीन: जो जमीन 1956 में दलितों को दी गई, जिसमें बरानी, सरप्लस, खाली पड़ी जमीन और जिनके मालिक माइग्रेट कर गए थे, उसको नजूल कहा गया.