गन्ने के रेट में 10 रुपये की बढ़ोतरी पर ही राजी हुए चढ़ूनी, आंदोलन खत्म करने का किया एलान!

हरियाणा सरकार की ओर से गन्ने के लिए एसएपी में 10 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी के एक दिन बाद, भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) ने गन्ने की कीमतों के लिए अपना विरोध बंद कर दिया है और चीनी मिलों की आपूर्ति फिर से शुरू करने का फैसला किया है. बुधवार को सीजन के लिए एसएपी बढ़ाकर 372 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया था,जबकि किसान 450 रुपये प्रति क्विंटल की मांग कर रहे थे. 20 जनवरी से आपूर्ति बंद कर दी गई थी, जिससे चीनी मिलों में कामकाज ठप हो गया था.

कृषि कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करने के बाद, बीकेयू (चढ़ूनी) के नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा, “सरकार द्वारा बढ़ाया गया SAP अपर्याप्त था, लेकिन गन्ने को खेतों में खड़ा नहीं छोड़ा जा सकता है. किसानों को किसी तरह का आर्थिक नुकसान न हो, इसके लिए जनभावनाओं को देखते हुए चीनी मिलों को आपूर्ति फिर से शुरू करने का निर्णय लिया गया है. हालांकि, अगर एसकेएम गन्ने की कीमतों को लेकर आंदोलन का आह्वान करता है, तो यूनियन एसकेएम को अपना समर्थन देगी.”

वहीं बीकेयू (चढ़ूनी) द्वारा आंदोलन को वापस लेने का निर्णय भाजपा के लिए एक बड़ी राहत के रूप में आया है क्योंकि किसानों ने इससे पहले 29 जनवरी को गोहाना में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की रैली के दौरान विरोध प्रदर्शन करने का आह्वान किया था.

गुरनाम चढ़ूनी ने कहा, “यह भी तय किया गया है कि अमित शाह की रैली के दौरान कोई प्रदर्शन नहीं किया जाएगा. लेकिन आने वाले चुनावों में बीजेपी का विरोध करने का भी सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया है.”

हरियाणा: मंत्रियों के घर के बाहर किसानों का प्रदर्शन!

किसान प्रदेशभर में ‘किसान देह शामलात और जुमला मालकाल भूमि के इंतकाल तोड़ने के आदेश के खिलाफ दो दिवसीय धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं. देह शामलात व जुमला मालकन भूमि किसानों से छीनने के आदेश को वापस करवाने के लिए मंत्रियों के घरों के बाहर किसान पंचायत जारी रहेगी. इस बीच किसान करनाल में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के आवास के बाहर प्रदर्शन करने के लिए पहुंच गए. किसानों को सीेएम आवास तक पहुंचने से पहले रोकने के लिए पुलिस द्वारा भारी बैरिकेंडिंग की गई है किसानों ने सीएम आवास के पास धरना दिया है.

किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने पंचायत की सारी व्यवस्था व खाने पीने का सारा इंतजाम मंत्रियों के जिम्मे लगाया था और मंत्रीयों की ओर से ऐसा न करने पर धरना बढ़ाने की भी चेतावनी दी है. ठीक ऐसे ही पंचकूला में हरियाणा विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता के घर के बाहर खुद किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी किसानों के साथ प्रदर्शन करते नजर आये. किसान जब विधानसभा स्पीकर के घर के बाहर प्रदर्शन करने पहुंचे तो स्पीकर किसानों के आने की सूचना मिलते ही बाहर निकल चुके थे.

भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा, “मुख्यमंत्री ने विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान कहा था कि किसानों की जमीन के इंतकाल बदले जाएंगे और मलकियत नहीं बदली जाएगी, लेकिन अगर इंतकाल बदल जाता है तो किसान न तो जमीन को बेच सकता है न ही रहन कर सकता है और न ही बच्चों के नाम ट्रांसफर कर सकता है. उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने बुर्दी बरामदगी की जमीन को लेकर भी किसानों को गुमराह किया है। बुर्दी बरामदगी की जमीन पहले शामलात से बाहर रहती थी, किंतु 2020 में सरकार ने एक्ट में संशोधन कर इस छूट को हटा लिया था और बुर्दी बरामदगी को जमीन को शामलात देह में दर्ज कर दिया था.”

‘अग्निपथ’- योजना के विरोध में आन्दोलनकारी युवाओं ने हरियाणा को किया टोल मुफ्त, किसान संगठनों का भी मिला साथ

बीते कुछ दिन पहले केंद्र सरकार द्वारा अग्निपथ योजना की घोषणा के बाद देश भर के युवाओं में योजना के विरोध में रोष देखा गया. युवाओं का यह आन्दोलन कहीं पर उग्र रहा तो कहीं पर शांतिपूर्ण. अग्निपथ योजना के खिलाफ़ 20 जून सोमवार को हरियाणा में युवाओं ने प्रदेश में सभी टोल को फ्री करवा कर अपना विरोध दर्ज किया.

योजना के खिलाफ प्रदेश में युवाओं और ग्रामीणों के साथ साथ किसान संगठन भी टोल फ्री करने के इस आन्दोलन में सड़कों पर उतर गए. युवाओं को किसान नेताओं का साथ भी मिला. सोमवार को भारत बंद के दौरान किसान संगठनों ने हरियाणा के कई जिलों में टोल मुफ्त कराया.

हरियाणा में युवाओं, ग्रामीणों और किसान संगठनों का यह प्रदर्शन पूरी तरह से शांतिपूर्ण रहा. संयुक्त छात्र बेरोज़गार संघर्ष मोर्चा के आवाह्न पर टोल मुफ्त कराने के इस आन्दोलन की योजना 18 जून को हरियाणा के महम में एक जनसभा में हुई थी, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया था.

संयुक्त छात्र बेरोज़गार संघर्ष मोर्चा के संयोजक और जमींदारा स्टूडेंट आर्गेनाईजेशन के जनरल सेक्रेटरी मीत मान ने गांव सवेरा को बताया कि हरियाणा में खटकड़ टोल प्लाज़ा और कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेस वे को छोड़ कर पूरे प्रदेश में युवाओं और ग्रामीणों ने अग्निपथ योजना के विरोध में टोल मुफ्त करवाया. मीत मान ने कहा, “अग्निपथ के विरोध में प्रदेश के युवाओं ने बढ़ चढ़ कर बिना किसी हिंसा के आन्दोलन किया. 18 जून को धनकड़ खाप अध्यक्ष ओमप्रकाश धनकड़ की अध्यक्षता में हरियाणा महम में हुई मीटिंग में यह तय किया गया था कि इस योजना के विरोध में सांकेतिक प्रदर्शन के तौर पर 20 जून को दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक 3 घंटे के लिए प्रदेश में सभी टोल को मुफ्त कराया जाएगा. युवाओं का यह सांकेतिक प्रदर्शन सफल रहा.”

मीत मान ने बताया कि हरियाणा के हर टोल प्लाज़ा पर आन्दोलन के लिए हर समय 100 लोग मौजूद थे. “जहां कहीं पुलिस और प्रशासन ने जबरदस्ती करने की कोशिश की, वहां पर बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों ने और आस पास के शहरों के कॉलेज में पढ़ाई कर रहे युवाओं ने आन्दोलन में हिस्सा लिया और इस शांतिपूर्ण प्रदर्शन को सफल बनाया. यह प्रदर्शन इतना शांतिप्रिय रहा कि पूरे प्रदेश में कहीं से भी कोई बुरी खबर नहीं मिली.”

अग्निपथ योजना के विरोध में उतरी भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के नेता गुरनाम सिंह चढूनी के आह्वान पर सोनीपत में नेशनल हाईवे 44 पर स्थित भिगान टोल को मुफ्त करा दिया गया.

गुरनाम सिंह चढूनी ने गांव सवेरा को बताया कि आज की शांतिपूर्ण सांकेतिक प्रदर्शन की सफलता के बाद 22 जून 2022, बुधवार को रोहतक जिले के संपला गांव में सर छोटू राम के स्मृति स्थल पर एक बड़ी सभा का आयोजन किया गया है जिसमें हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान में अग्निपथ योजना के खिलाफ़ सभी संगठनों के प्रतिनिधियों को बुलाया जाएगा और इस बैठक में आन्दोलन की आगामी रणनीति पर फैसला लिया जाएगा.

गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा, “फौजी भर्ती की जो योजना केंद्र सरकार ने बनाई है, वह देश की सुरक्षा और युवाओं दोनों के साथ एक बहुत बड़ा षड़यंत्र और धोखा है. 18 साल के युवा जो इस योजना के तहत 22 साल में रिटायर हो जाएंगे उससे तो 4 साल बाद देश में बेरोज़गारों की फ़ौज खड़ी हो जाएगी. ये ‘अग्निपथ योजना’ नहीं बल्कि ‘अग्निकुंड योजना’ है जिसमें देश की सुरक्षा और युवाओं दोनों को ही झोंका जा रहा है.”

उन्होंने कहा कि इस योजना के खिलाफ हरियाणा और देश के युवा तब तक आन्दोलन करेंगे जब तक इसे कृषि कानूनों की तरह वापस नहीं कर लिया जाता.

हरियाणा के हांसी से बांस गांव के युवा संगठन के प्रधान मंजीत मोर ने गांव सवेरा से कहा, “सरकार को उन सैनिकों के बारे में सोचना चाहिए जो माइनस 30 डिग्री तापमान में सरहद की रखवाली करते हैं लेकिन उन्होंने तो देश के सैनिकों को ठेके पर रख लिया है. इस योजना को लागू कर के सरकार उन लोगों का मनोबल तोड़ रही है जिनका बचपन से आर्मी में भर्ती हो कर देश की हिफाज़त करना सपना होता है.”

किसान आंदोलन के एक साल पूरे होने पर ‘प्रधानमंत्री आवास’ के घेराव की तैयारी में किसान!

करीबन दस महीने से देशभर में चल रहा किसान आंदोलन एक नये पड़ाव की ओर बढ़ता हुआ नजर आ रहा है. सरकार की ओर से किसानों की अनदेखी के चलते 18 किसान संगठनों ने एक बड़ा फैसला लिया है. इन 18 किसान संगठनों में देश के अलग-अलग राज्यों के किसान संगठन शामिल हैं. किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने एक वीडियो के जरिए संदेश देते हुए कहा, “26 नवंबर को प्रधानमंत्री आवास का घेराव करने का फैसला लिया गया है.” साथ ही गुरनाम सिहं चढूनी ने प्रधानमंत्री आवास के बाहर पक्का मोर्चा लगाने की भी बात कही.

उन्होने कहा कि 18 किसान संगठनों की सोनीपत में हुई बैठक में प्रधानमंत्री आवास के घेराव का फैसला लिया गया है. इस प्रस्ताव को संयुक्त किसान मोर्चा के सामने रखा जाएगा. प्रधानमंत्री आवास के घेराव की कॉल देने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा से भी अपील की जाएगी.  गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा, “अगर संयुक्त किसान मोर्चा हमारा प्रस्ताव मंजूर करता है तो किसान आंदोलन के एक साल पूरे होने पर यानी 26 नवंबर को प्रधानमंत्री आवास का घेराव करके पक्का मोर्चा लगाया जाएगा.”

किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी

       

किसान करीबन दस महीने से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं. तीन नये कृषि कानूनों को रद्द करने और फसलों पर एमएसपी की गारंटी को लेकर चला आ रहा यह आंदोलन पूरे देश में फैल चुका है. किसान आंदोलन में अब तक 700 से ज्यादा किसान शहीद हो चुके हैं. प्रधानमंत्री आवास के घेराव को लेकर किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने देश के आम लोगों से भी राय मांगी है.