इंडियन एक्सप्रेस के फ्रंट पेज पर भी भारत बंद को जगह नहीं, अखबारों में जाम की चर्चा ज्यादा
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27 सितंबर को किसानों ने तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ ‘भारत बंद’ बुलाया था. देश के लगभग सभी राज्यों में भारत बंद का असर देखने को मिला. सबसे ज्यादा असर हरियाणा, पंजाब में दिखा वहीं दक्षिण भारत के राज्यों में भी लोगों ने किसानों के भारत बंद में साथ दिया. देश के सैकड़ों जिलों में हज़ारों जगहों पर आंदोलनकारी किसानों, राजनीतिक दलों व सामाजिक संगठनों ने रास्ते रोककर भारत बंद का समर्थन किया।
आज के हिंदी और अंग्रेजी के अखबारों ने भारत बंद से जुड़ी खबर को कैसे कवर किया है, इसको लेकर हमने हिंदी और अंग्रेजी के प्रमुख अखबारों की कवरेज को देखा है. इन अखबारों में अंग्रेजी के ‘द इंडियन एक्सप्रेस’, ‘द हिंदू’ और हिंदी के अखबारों में जनसत्ता, दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, दैनिक ट्रिब्यून और अमर उजाला अखबार शामिल हैं.
खेती-किसानी से जुड़े मुद्दों को लेकर भारत का मीडिया हमेशा से उदासीन या नकारात्मकता रहा है. पिछले कुछ महीनों में खेती-किसानी को लेकर अगर भारतीय मीडिया में थोड़ी-बहुत चर्चा हुई भी है तो उसकी वजह है किसानों का पिछले 10 महीने का सड़क पर चल रहा संघर्ष.
किसान आंदोलन और खेती-किसानी से जुड़े मुद्दों की कवरेज को लेकर इलेक्ट्रोनिक मीडिया के इक्का-दुक्का न्यूज चैनल को छोड़कर सबका हाल देखा जा सकता है. किसानों से जुड़े मुद्दों पर मुख्यधारा के प्रिंट मीडिया का रुख भी अमूमन ऐसा ही रहा है. जब तक कोई बड़ी घटना न हो तब तक कोई कवरेज नहीं मिलती और कई बार राष्ट्रीय स्तर की घटना के बाद भी कुछ अखबार अनदेखी कर जाते हैं.
अंग्रेजी के अखबार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने किसानों के भारत बंद को लेकर कुछ ऐसा ही किया है. अखबार ने भारत बंद की खबर को बड़ी खबर नहीं मानते हुए पहले पेज पर जगह नहीं दी है.
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अखबार ने भारत बंद को लेकर पेज नंबर आठ पर केवल पांच कॉलम की कवरेज की है. ‘इंडियन एक्सप्रेस’ ने ‘भारत बंद’ का कुछ राज्यों में मिलाजुला असर बताया.
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वहीं अंग्रेजी अखबार ‘द हिंदू’ ने इस बार किसान आंदोलन को पहले पेज कवरेज दी है. द हिंदू ने ‘भारत बंद’ को लीड खबर लेते हुए पहले पेज पर तीन कॉलम की जगह दी है. लेकिन अखबार की हेडलाइन में बंद की वजह से रोड और रेलमार्ग बंद होने की समस्या पर जोर दिया गया है.
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वहीं हिदी के अखबार जनसत्ता ने भी भारत बंद की खबर को पहले पेज पर स्थान दिया है. लेकिन तीन कॉलम में छपी इस खबर में किसानों के भारत बंद की सफलता से ज्यादा बंद की वजह से लगे जाम की स्थिति पर ध्यान आकर्षित किया गया है. जनसत्ता ने हेडलाइन दी, ‘दिन भर जाम से जूझती रहीं दिल्ली की सीमाएं’
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वहीं समाचार पत्र ‘दैनिक जागरण’ किसान आंदोलन को लेकर हर बार की तरह इस बार भी सरकार का भोंपू बजाता नजर आया. दैनिक जागरण ने भारत बंद की खबर मुख्य पेज पर जगह नहीं दी. ‘दैनिक जागरण’ ने ‘भारत बंद’ के असर को नकारते हुए हेडलाइन दी, ‘कृषि कानूनों के खिलाफ बंद बेअसर, हरियाणा में मिलाजुला असर’. साथ ही सब-हेडलाइन दी कि, ‘प्रदर्शनकारियों ने 346 जगह यातायात बाधित किया’
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वहीं ‘दैनिक भास्कर’ ने भारत बंद की खबर को प्रमुखता से छापा है. दैनिक भास्कर ने भारत बंद को मुख्य खबर के तौर पर लेते हुए हेडलाइन दी, ‘पूरा प्रदेश जाम, सड़कें-बाजार सुनसान’.
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वहीं हिंदी अखबार ‘अमर उजाला’ ने भी खबर को पहले पेज पर प्रमुखता से लिया है. अमर उजाला ने हेडलाइन दी, ‘भारत बंद: हरियाणा के 17 जिलों में असर, 320 जगह जाम, बसें-ट्रेनेंं नहीं चलीं, 250 किसानों पर केस दर्ज‘ अखबार ने खबर को बैनर हेडलाइन की तौर पर लिया है.
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