पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के गृह जिले संगरूर में हुई हैं किसानों की सबसे अधिक आत्महत्याएं
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हाल में किये गए एक सर्वे के मुताबिक सबसे अधिक आत्महत्याएं पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के गृह जिले संगरूर में हुई है.
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) के एक अध्ययन से पता चला है कि पंजाब के छह जिलों में साल 2000 से 2018 के बीच आत्महत्या से 9,291 किसानों की मौत हुई है. सर्वेक्षण में शामिल जिलों में संगरूर, बठिंडा, लुधियाना, मानसा, मोगा और बरनाला शामिल हैं.
सर्वेक्षण किए गए जिलों में, संगरूर जो वर्तमान में आम आदमी पार्टी सरकार का मुख्य केंद्र है, में आत्महत्या से सबसे ज्यादा 2,506 मौतें हुई हैं. जिसके बाद मनसा में 2,098, बठिंडा में 1,956, बरनाला में 1,126, मोगा में 880 और लुधियाना में 725 आत्महत्याएं हुई.
यह अध्ययन पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (पीएयू) के अर्थशास्त्र और समाजशास्त्र विभाग के तीन वरिष्ठ सदस्यों जिनमें सुखपाल सिंह, मंजीत कौर और एचएस किंगरा शामिल थे, ने घर-घर जाकर सर्वे के माध्यम से इन छह जिलों के सभी गांवों को कवर करके मौतों की कुल संख्या को संगठित किया.
अध्ययन में यह पाया गया है कि इन सभी आत्महत्याओं में 88 फीसदी मृत्यु का सब से मुख्य कारण गैर-संस्थागत स्रोतों से भारी कर्ज़ा लेना रहा है. अध्ययन में कहा गया है कि आत्महत्या से मरने वाले 77 प्रतिशत किसानों के पास दो हेक्टेयर से कम भूमि थी, अर्थात मुख्य रूप से सीमांत और छोटे किसान ही इन आत्महत्याओं का मुख्य शिकार थे.
पंजाब के लुधियाना शहर में स्थित पंजाब एग्रीकल्चर युनिवर्सिटी के द्वारा करवाया गया है जो “फार्मर सुसाइड इन पंजाब” नाम से प्रकाशित हुआ है. इस सर्वे में वर्ष 2000 से लेकर 2018 तक पंजाब के छ जिलों में हुए आत्महत्याओं का अध्ययन किया गया है. इस दौरान कुल 9,291 किसानों ने आत्महत्याएं की.
अध्ययन में पाया कि 88% आत्महत्याएं कर्ज नहीं चूका पाने के कारण हुई है. अन्य कारणों में-
पारिवारिक कारण से -17.18%
फसल खराबी से- 8.32%
स्वास्थ्य ख़राब होने से- 6.27%
भूमि विवाद बैंकों के साथ-3.63%
कोर्ट केस- 0.22%
बैंकों के द्वारा किये गए अपमान के कारण-0.22%
छोटे किसानों के मामले में कर्ज के कारण आत्महत्याएं अधिक होती है. जैसे-जैसे बड़े किसान यानी अधिक भूमि वाले किसान के आत्महत्या के कारणों को देखें तो वहां 43% आत्महत्याएं गैर ऋण कारणों से होती है.
खास बातें
- सर्वे के अनुसार आत्महत्या करने वाले किसानो में 77% किसान सीमांत और लघु प्रकार के थे. जो राज्य की कुल भूमि में 34% हिस्सेदारी रखते हैं.
- आत्महत्या करने वाले किसानों में 91.80% किसान पुरुष थे.
- वहीं 7.10% परिवार ऐसे थे जिनके दो या दो से अधिक सदस्यों ने आत्महत्या की है.
- आत्महत्या करने के लिए 71.6 % किसानों ने कीटनाशक का सेवन किया,13.1 % ने अपने आप को पेड़ से लटका दिया.
- आत्महत्या करने वाले किसानों में 41.25% किसान 31 से 35 आयु वार्ग से सम्बंधित थे, तो वही 19 से 30 आयु वर्ग वाले किसान 33.37% थे.
- दुनिया छोड़ गए 32% किसान परिवारों के पास दूसरा कमाने वाला कोई सदस्य नहीं था.
इस सर्वे में सरकार से कई सिफारशे की गई है-
-पीड़ित परिवारों को मुआवजा प्रदान किया जाए
-किसानों की कर्जमाफी की जाए.
-स्वास्थ्य और शिक्षा के सरकारी ढांचे को मजबूत किया जाए.
35 साल से कम उम्र के किसानों में 75% आत्महत्या के मामले
अध्ययन से पता चलता है कि आत्महत्या से मरने वाले लगभग 75% किसानों की उम्र 19 से 35 वर्ष के बीच थी. आत्महत्या से मरने वालों में से लगभग 45% निरक्षर (अनपढ़) थे और 6% उच्च माध्यमिक स्तर तक पढ़े थे. अध्ययन के अनुसार, आत्महत्या पीड़ितों के परिवार अपनी सामाजिक असुरक्षा को लेकर बेहद डरे हुए पाए गए. ऐसे परिवारों में से एक-तिहाई हिस्सा उनका था जिन्होंने मुख्य कमाने वाले को खो दिया था जिसके बाद परिवार के पास आजीविका कमाने का कोई स्पष्ट रास्ता नहीं बचा था. अध्ययन में कहा गया है कि लगभग 28% परिवार डिप्रेशन (अवसाद) से पीड़ित हैं.
इनमें से लगभग 13% परिवारों को अपनी कमाई का एकमात्र साधन छोड़कर, मृत्यु के बाद अपनी जमीन बेचनी पड़ी. जिनमें से कम से कम 11% परिवारों के बच्चों को अपनी शिक्षा बंद करनी पड़ी. अध्ययन में पाया गया कि जिन परिवारों में एक सदस्य की मौत कर्ज के बोझ के कारण आत्महत्या से हुई थी, उन्हें सामाजिक रूप से भी दूर रखा गया था.
पंजाब, जिसे अनाज की टोकरी के नाम से जाना जाता है उसमें हो रही आत्महत्याओं की ओर ध्यान देना जरुरी है. पंजाब चुनाव से पहले, आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने दावा किया था कि अगर उनकी पार्टी पंजाब में सरकार बनाती है, तो वह किसानों के बीच आत्महत्या से होने वाली मौतों को रोक देंगे. आम आदमी पार्टी के सत्ता में आने के दो महीने में दो दर्जन किसान आत्महत्या कर चुके हैं. कांग्रेस पंजाब के प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा वारिंग सहित विपक्ष ने अपने वादे पर खरे नहीं उतरने के लिए भगवंत मान के नेतृत्व वाली सरकार की आलोचना की है.
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