पंजाब यूनिवर्सिटी: सिनेट भंग करना लोकतांत्रिक परंपरा पर हमला, 10 नवंबर को बड़ा प्रदर्शन!
पंजाब यूनिवर्सिटी बचाओ मोर्चा ने 10 नवंबर को यूनिवर्सिटी परिसर में बड़े स्तर पर प्रदर्शन करने की घोषणा की है. मोर्चा का आरोप है कि केंद्र सरकार ने यूनिवर्सिटी की स्वायत्तता के मुद्दे को मजाक बना दिया है और सरकारी अधिसूचनाओं से भ्रम की स्थिति पैदा कर दी है. दरअसल, केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय की ओर से 28 अक्टूबर को एक अधिसूचना जारी की गई जिसमें यूनिवर्सिटी की सीनेट और सिंडिकेट की संरचना में बदलाव किया. इस कदम का छात्रों, शिक्षकों और विपक्षी दलों ने कड़ा विरोध किया और इसे अलोकतांत्रिक बताया.
विवाद बढ़ने पर मंत्रालय ने 4 नवंबर को एक नई अधिसूचना जारी कर कहा कि पिछली अधिसूचना को “रद्द” किया जाता है. लेकिन उसी दिन जारी एक दूसरी अधिसूचना में यह भी उल्लेख किया गया कि नई सीनेट संरचना के प्रोसेस को अगले आदेश तक स्थगित किया जाता है. इसपर छात्रों का कहना है कि इसका अर्थ यह है कि केंद्र ने केवल फैसले को टाल दिया है, रद्द नहीं किया.
पंजाब यूनिवर्सिटी बचाओ मोर्चा का कहना है कि यह केंद्र सरकार की भ्रम फैलाने की रणनीति है और वे 91 सदस्यीय पुरानी सीनेट व्यवस्था की बहाली की मांग पर अडिग हैं. मोर्चा ने कहा कि 10 नवंबर को विश्वविद्यालय परिसर में छात्र, शोधार्थी, अध्यापक और पूर्व छात्र एकजुट होकर प्रदर्शन करेंगे.
मोर्चा के नेताओं ने कहा, “सरकार ने लोकतांत्रिक परंपरा पर हमला किया है. हम तब तक आंदोलन जारी रखेंगे जब तक सीनेट का पुराना ढांचा बहाल नहीं होता.”
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