लखीमपुर हत्याकांड और राष्ट्रीय समाचार पत्रों की कवरेज!

 

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर में बीजेपी मंत्री की गाड़ी द्वारा किसानों को कुचलकर मारने की घटना के दूसरे दिन समाचार पत्रों की कवरेज की समीक्षा के लिए अंग्रेजी और हिंदी के कुछ समाचार पत्रों को शामिल किया है. अंग्रेजी समाचार पत्रों में ‘द हिंदू’, ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ और ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ शामिल है वहीं हिंदी के समाचार पत्रों में ‘दैनिक भास्कर’,’दैनिक ट्रिब्यून’,’दैनिक जागरण’, और ‘अमर उजाला’ जैसे राष्ट्रीय फलक के समाचार पत्रों को देखा गया.

अंग्रेजी और हिंदी के राष्ट्रीय समाचार पत्रों द्वारा किसान आंदोलन से जुड़ी कवरेज को सामने लाने की इस कड़ी में आज लखीमपुर की बर्बर और नृशंस घटना की कवरेज करते वक्त राष्ट्रीय समाचार पत्रों के रुख की पड़ताल की गई है.

घटना की कवरेज करते हुए दूसरे दिन ‘द हिंदू’ ने खबर को पहले पेज पर लिया है. द हिंदू ने मुख्य हेडलाइन देते हुए लिखा, ‘Farmers raise pitch, protest with bodies’ वहीं साथ ही अखबार ने किसान आंदोलन को लेकर की गई सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को भी पहले पेज पर जगह दी गई.

अंग्रेजी अखबार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने भी खबर को प्रमुुखता से लिया है. ‘एक्सप्रेस’ ने हेडलाइन में प्रशासन और किसान नेताओं के बीच हुए समझौते को तवज्जो दी है.

वहीं अंग्रेजी के एक और अखबार ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ ने भी खबर को पहले पन्ने पर प्रमुखता से लिया है. ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ ने हेडलाइन दी, ‘Union min’s son booked for murder,conspiracy: judicial inquiry promised.’

हिंदी अखबार ‘दैनिक जागरण’ ने किसान आंदोलन से जुड़ी कवरेज को लेकर हर बार की तरह लखीमपुर जैसी संवेदशील घटना पर भी असंवेदनशीलता दिखाई. ‘दैनिक जागरण’ ने पहले पेज पर किसान आदोलन को लेकर ‘सुप्रीम कोर्ट’ द्वारा की गई टिप्पणी की खबर को प्रमुखता दी है. अखबार ने लिखा, ‘कृषि कानूनों का मामला कोर्ट में है तो प्रदर्शन क्यों’.

किसानों ने जलाई दैनिक जागरण की प्रतियां

दैनिक जागरण, 3 अक्तूबर को लखीमपुर में हुई घटना की कवरेज को लेकर भी किसानों के निशाने पर रहा है. जागरण ने लखीमपुर की घटना को किसानों को उपद्रव बताया था. तीन अक्तूबर को लखीमपुर में हुई घटना पर अगले दिन ‘दैनिक जागरण’ ने हेडलाइन दी, ‘लखीमपुर में किसानों का उपद्रव, आठ की मौत’. जिसके बाद देश के अलग-अलग हिस्सों से कई तस्वीरें सामने आई जिनमें किसान, ‘जागरण’ की प्रतियां जलाते हुए नजर आए. एक तरह से किसान आंदोलन की कवरेज को लेकर दैनिक जागरण के प्रति किसानों में आक्रोश है.

वहीं पिछले दिनों सरकार के निशाने पर रहे हिंदी अखबार ‘दैनिक भास्कर’ ने लखीमपुर की घटना से जुड़ी खबर को दूसरे दिन भी प्रमुखता से लिया है. भास्कर ने हेडलाइन दी, ‘मंत्री के बेटे पर हत्या का केस दर्ज, मृतक किसानों को 45 लाख रु, प्रदेश में प्रदर्शन’

वहीं हिंदी के एक और अखबार अमर उजाला ने घटना को अंजाम देने वाली मंत्री की गाड़ी का फोटो लगाते हुए हेडलाइन दी, ‘सेवानिवृत जज करेंगे जांच, मृतक किसानों के परिजनों को 45 लाख रुपये और नौकरी’