भारत दुनिया के सबसे असमान देशों में शामिल, शीर्ष 1% लोगों के पास है 40% राष्ट्रीय संपत्ति!
दुनिया की सबसे अमीर 10% आबादी उतनी आय कमाती है जितनी बाकी 90% लोगों की कुल आय मिलाकर भी नहीं होती. इसके अलावा, पूरी दुनिया में केवल 60,000 लोगों के पास आधी वैश्विक आबादी यानी करीब 4.1 अरब लोगों की संपत्ति से तीन गुना ज़्यादा धन है. दुनिया की कुल आबादी लगभग 8.2 अरब है.
ये चौंकाने वाले आंकड़े वैश्विक असमानता रिपोर्ट 2026 में सामने आए हैं, जिसे पेरिस स्थित वैश्विक असमानता लैब के अर्थशास्त्री लुकास शांसल, रिकार्डो गोमेज़-कारेरा, रोवैदा मोश्रिफ़ और थॉमस पिकेटी ने संपादित किया है.रिपोर्ट न सिर्फ संपत्ति की बढ़ती असमानता पर प्रकाश डालती है, बल्कि बताती है कि यह असमानता किस तरह दुनिया भर में लोगों के जीवन को आकार दे रही है.
रिपोर्ट के अनुसार, भारत दुनिया के सबसे असमान देशों में से एक है, और यह स्थिति वर्षों से लगभग अपरिवर्तित बनी हुई है.
‘भारत में शीर्ष 10% लोग कुल राष्ट्रीय आय का 58% कमाते हैं, जबकि नीचे के 50% लोगों को केवल 15% आय मिलती है. संपत्ति में असमानता और भी अधिक है.. सबसे अमीर 10% के पास कुल संपत्ति का 65% और शीर्ष 1% के पास लगभग 40% हिस्सा है.’
रिपोर्ट का मुख्य तर्क यह है कि यह स्थिति बदली जा सकती है, बशर्ते इसके लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति हो और वैश्विक प्रयास किए जाएं.
‘असमानता एक राजनीतिक निर्णय है. यह हमारी नीतियों और संस्थागत ढांचों का नतीजा है. बढ़ती असमानता के नतीजे हैं- बढ़ते विभाजन, कमजोर लोकतंत्र और जलवायु संकट, जिसका बोझ सबसे अधिक उन पर पड़ता है जो इसके लिए सबसे कम ज़िम्मेदार हैं. लेकिन सुधार की संभावनाएं भी मौजूद हैं. जहां कर व्यवस्था न्यायपूर्ण है और सामाजिक निवेश प्राथमिकता है, वहां असमानता घटती है. उपकरण हमारे पास हैं.. कमी है तो सिर्फ राजनीतिक इच्छाशक्ति की.’
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