किसानों को सस्ती बिजली, महिलाओं को मंडियों में जगह लेकिन गौमाता की उपेक्षा

 

शुक्रवार को हरियाणा के मुख्यमंत्री  मनोहर लाल खट्टर ने अपने दूसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश करते हुए खेती-किसानी से जुड़ी कई घोषणाएं की। खट्टर राज्य के वित्त मंत्री भी हैं। इस हैसियत से वित्त वर्ष 2020-21 का बजट पेश करते हुए उन्होंने किसानों को कृषि से जुड़ी आर्थिक गतिविधियों के लिए 4.75 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली देने का ऐलान किया है। अभी 7.50 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली बिल देना पड़ता है। इस तरह अब हरियाणा के किसानों को कृषि आधारित गतिविधियों जैसे फूड प्रोसेसिंग, पैकिंग, ग्रेडिंग, मधुमक्खी पालन, मत्स्य पालन, मुर्गी पालन और एफपीओ द्वारा स्थापित कोल्ड स्टोरेज आदि के लिए प्रति यूनिट 2.75 रुपये सस्ती बिजली मिलेगी।

गत विधानसभा चुनाव में दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के उभार और भाजपा की सीटों में आई कमी को किसानों की नाराजगी से जोडकर देखा गया था। इसलिए उम्मीद की जा रही थी कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल किसानों की नाराजगी दूर करने के लिए बजट में बड़े ऐलान करेंगे। किसानों को सस्ती बिजली देकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने किसानों को साधाने का प्रयास जरूर किया है, लेकिन कृषि संकट दूर करने और खेती को फायदा का सौदा बनाने की कारगर तैयारी इस बजट में भी नहीं है।

1 लाख एकड़ में जैविक व प्राकृतिक खेती का लक्ष्य, मगर बजट का आंकड़ा नदारद  

जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए हरियाणा सरकार ने अगले तीन साल में 1 लाख एकड़ क्षेत्र में जैविक व प्राकृतिक खेती के विस्तार का लक्ष्य रखा है। लेकिन इसके लिए राज्य सरकार कितना पैसा खर्च करेगी, मुख्यमंत्री ने यह नहीं बताया। कहीं इस योजना का हश्र भी केंद्र सरकार की जीरो बजट खेती की तरह न हो जाए, जिसका जिक्र तो खूब हुआ लेकिन जमीन पर कुछ खास असर नहीं दिखा।

महिला किसानों को तवज्जो

हरियाणा के बजट में महिला किसानों के लिए दो अहम घोषणाएं की गई हैं। अब राज्य की सभी सब्जी मंडियों में महिला किसानों के लिए अलग से 10 फीसदी जगह आरक्षित होगी। इसके अलावा किसान कल्याण प्राधिकरण में विशेष महिला सेल की स्थापना की जाएगी। गौरतलब है कि यह प्रावधान सिर्फ सब्जी मंडियों में लागू होगा, ना कि प्रदेश की सभी कृषि उपज मंडियों में। 

बढ़ा ब्याज मुक्त कर्ज का दायरा, लेकिन शर्त भी अजीब

मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने ब्याज मुक्त कर्ज की सुविधा को सहकारी संस्थाओं के अलावा उन किसानों को भी देने का ऐलान किया है जो किसी भी राष्ट्रीयकृत बैंक या सहकारी बैंक से प्रति एकड़ 60 हजार रुपये का अधिकतम 3 लाख रुपये का फसली कर्ज लेते हैं। लेकिन यह सुविधा किसान को तभी मिलेगा, जब वह समय पर कर्ज अदा करेगा। इसके अलावा एक अजीब शर्त यह है कि किसान की फसल खरीद की पेमेंट सीधा उस बैंक के खाते में जाएगी जिस बैंक से कर्जा लिया है। यह शर्त पुराने साहूकारी सिस्टम की याद दिलाती है।

बागवानी पर भी जोर, अनुदान बढ़ाया

हरियाणा सरकार ने 2030 तक प्रदेश में बागवानी के क्षेत्र को दोगुना और बागवानी उत्पादन तीन गुना करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए किन्नू, अमरुद और आम के बागों की स्थापना के लिए मिलने वाले अनुदान को 16 हजार रुपये से बढ़ाकर 20 हजार रुपये प्रति एकड़ कर दिया है।

फूड प्रोसेसिंग को बढ़ावा देने के लिए टमाटर, प्याज, आलू, किन्नू, अमरूद, मशरूम, स्ट्राबेरी, अदरक, गोभी, मिर्च, बेबीकॉर्न, स्टीवकॉर्न की प्रोसेसिंग के लिए प्रदेश में नई इकाइयां स्थापित की जाएंगी। खाद्य उत्पादों की पैकिंग और ब्रांडिंग के साथ बिक्री के लिए वीटा व हैफेड की तर्ज पर प्रदेश में 2 हजार आधुनिक सेंटर स्थापित किए जाएंगे।

बेसहारा गौवंश के लिए सिर्फ 50 करोड़ रुपये!

गौमाता को लेकर खूब राजनीति करने वाली भारतीय जनता पार्टी की हरियाणा सरकार ने गौशालाओं में बेसहारा पशुओं के नियंत्रण व आश्रय के लिए सिर्फ 50 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। पिछले साल तो इस मद में सिर्फ 30 करोड़ रुपये रखे गए थे। जबकि आवारा पशुओं की समस्या विकराल रूप ले चुकी है। लेकिन कृषि और किसान कल्याण के लिए आवंटित 6,481 करोड़ रुपये के बजट में से बेसहारा पशुओं के हिस्से में सिर्फ 50 करोड़ रुपये आए हैं, जो बजट का 1 फीसदी भी नहीं है।