हरियाणा में मनरेगा का हाल: 8 लाख पंजीकृत मजदूरों में से केवल 2191 परिवारों को ही मिला 100 दिन का काम!
हरियाणा में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत पंजीकृत लाखों श्रमिकों को उनके कानूनी हक का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है. केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में दी गई जानकारी के अनुसार, पिछले दो वर्षों में राज्य में 8 लाख से अधिक सक्रिय मनरेगा श्रमिकों में से केवल कुछ हजार परिवारों को ही 100 दिन का गारंटीकृत रोजगार उपलब्ध कराया गया है.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, अंबाला से कांग्रेस सांसद वरुण चौधरी द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में ग्रामीण विकास राज्य मंत्री कमलेश पासवान ने बताया कि वित्त वर्ष 2022-23 और 2023-24 के दौरान हरियाणा में क्रमशः 8,06,439 सक्रिय श्रमिक मनरेगा के तहत पंजीकृत थे. इसके बावजूद 2022-23 में केवल 3,447 परिवारों और 2023-24 में महज 2,555 परिवारों को ही 100 दिन का रोजगार मिल सका.
वर्तमान वित्त वर्ष 2024-25 में भी स्थिति में कोई खास सुधार नहीं दिख रहा है. इस वर्ष हरियाणा में 8,06,422 सक्रिय श्रमिक पंजीकृत हैं, लेकिन अब तक केवल 2,191 परिवारों को ही पूरे 100 दिन का काम दिया जा सका है.
केंद्र सरकार ने यह भी स्वीकार किया कि पिछले पांच वित्तीय वर्षों में हरियाणा में किसी भी पात्र परिवार को बेरोज़गारी भत्ते का भुगतान नहीं किया गया। जबकि मनरेगा अधिनियम के तहत यदि राज्य सरकार तय समय सीमा के भीतर रोजगार उपलब्ध कराने में विफल रहती है, तो संबंधित परिवार को बेरोज़गारी भत्ता देना अनिवार्य है।
ग्रामीण विकास राज्य मंत्री ने यह भी जानकारी दी कि हाल के वर्षों में हरियाणा के लिए मनरेगा के तहत केंद्र सरकार द्वारा जारी किए जाने वाले फंड में लगातार कमी आई है। जहां वर्ष 2020-21 में केंद्र ने राज्य को 764.55 करोड़ रुपये जारी किए थे, वहीं 2024-25 में यह राशि घटकर 590.19 करोड़ रुपये रह गई है।
मनरेगा को ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की गारंटी देने वाली प्रमुख योजना माना जाता है, लेकिन हरियाणा में सामने आए ये आंकड़े इसके क्रियान्वयन पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं। ग्रामीण अर्थव्यवस्था और बेरोज़गारी की समस्या के बीच योजना का पूरा लाभ न मिल पाना नीति निर्माताओं और राज्य प्रशासन की भूमिका पर भी सवालिया निशान लगा रहा है।
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