डीएपी की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे किसान!
हरियाणा में किसानों को आए साल डीएपी की कमी का सामना करना पड़ता है. इस बार भी इसी तरह की तस्वीरें सामने आ रही हैं. खरीफ की फसल की कटाई के बाद अब रबी फसलों की बिजाई के लिए किसानों को डीएपी की जरुरत है, लेकिन डीएपी न मिलने के कारण किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. डीएपी की खरीद के लिए किसान हजारों की संख्यां में खरीद केंद्रों के बाहर खड़े दिखाई दिए. डीएपी की मांग को लेकर किसान नरवाना में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं.
नरवाना में डीएपी न मिलने के मुद्दे पर भारतीय किसान यूनियन के नेता अशोक दनोधा अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे हैं. अशोक ने गांव सवेरा को फोन पर बताया, “हम दो दिन से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे हैं और जब तक डीएपी की किल्लत दूर नहीं होगी तब तक भूख हड़ताल जारी रहेगी. उन्होंने सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने समय रहते डीएपी की मांग पर ध्यान नहीं दिया जिसके कारण प्रदेश के किसानों को खाद की कमी का सामना करना पड़ रहा है. किसान नेता अशोक ने कहा, “सरकार डीएपी की आपूर्ति पूरी न करने के साथ डीएपी की कालाबाजारी रोकने में भी नाकामयाब रही है. आए दिन डीएपी की कालाबाजारी की खबरे सामने आ रही हैं.” भूख हड़ताल को लेकर उन्होंने कहा, “आस-पास के गांवों के किसान भी भूख हड़ताल में शामिल होने के लिए आ रहे हैं.”
प्रदेश में डीएपी की किल्लत के चलते किसानों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है नौबत यहां तक आन पड़ी है कि किसान मंडी में खरीद केंद्र पर रखे डीएपी के कट्टे उठाने पर मजबूर हो गए.
हरियाणा के महेंद्रगढ़, नारनौल, भिवानी और चरखी दादरी में डीएपी की कमी का सामना करना पड़ रहा है. खाद की किल्लत के चलते किसान पिछले कई दिनों से प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शन कर रहे हैं. पिछले दिनों किसानों ने अटेली में डीएपी के करीबन सौ कट्टे उठा लिए थे, जिसके आरोप में पुलिस ने 6 किसानों पर केस दर्ज किए. रेवाड़ी में किसानों ने डीएपी की कमी को पूरा करने की मांग को लेकर बीजेपी विधायक लक्ष्मण यादव के घर का घेराव किया.
डीएपी की ज्यादा किल्लत का सामना दक्षिण हरियाणा के किसानों को करना पड़ रहा है हालांकि कुरुक्षेत्र, अंबाला, करनाल पानीपत में की डीएपी की कमी की खबरे सामने आई हैं. डीएपी की आपूर्ति कम होने के कारण प्रदेश सरकार के स्टॉक में इस समय करीबन एक लाख मीट्रिक टन डीएपी उपलब्ध है, जबकि सीजन में करीबन तीन लाख मीट्रिक टन डीएपी की मांग होती है.
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