इलेक्टोरल बॉन्ड खत्म होने के बाद भी भाजपा की फंडिंग में उछाल, दान 50% बढ़कर ₹6,000 करोड़ पार!

 

इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द किए जाने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को मिलने वाले चंदे में भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है. वित्त वर्ष 2024-25 में भाजपा को कुल ₹6,088 करोड़ का दान मिला है, जो पिछले वर्ष के मुकाबले लगभग 50 प्रतिशत ज्यादा है.

वित्त वर्ष 2023-24 में भाजपा को करीब ₹3,967 करोड़ का चंदा मिला था. यह पहला पूरा साल रहा जब राजनीतिक दलों को इलेक्टोरल बॉन्ड के बिना फंडिंग प्राप्त हुई, लेकिन इसके बावजूद भाजपा की आय में गिरावट के बजाय तेज बढ़ोतरी देखने को मिली.

भाजपा को मिले कुल चंदे में सबसे बड़ा हिस्सा इलेक्टोरल ट्रस्टों के माध्यम से आया है. उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, पार्टी को लगभग ₹3,744 करोड़ इलेक्टोरल ट्रस्टों से प्राप्त हुए, जो कुल दान का करीब 60 प्रतिशत है. शेष राशि व्यक्तिगत और कॉरपोरेट दानदाताओं से आई.

भाजपा को इस दौरान कई बड़ी कंपनियों और उद्योग समूहों से भी भारी दान मिला. प्रमुख दानदाताओं में दवा, खनन, रियल एस्टेट और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर से जुड़ी कंपनियां शामिल रहीं, जिनका योगदान करोड़ों रुपये में रहा.

तुलनात्मक रूप से, कांग्रेस पार्टी को इसी अवधि में करीब ₹522 करोड़ का ही चंदा मिला, जो भाजपा के मुकाबले कई गुना कम है. भाजपा का कुल दान कांग्रेस से लगभग 12 गुना अधिक है. वहीं, कई क्षेत्रीय और विपक्षी दलों को मिला कुल चंदा भी भाजपा के मुकाबले काफी कम रहा.

फरवरी 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को असंवैधानिक घोषित करते हुए इसे खत्म कर दिया था. इसके बाद यह आशंका जताई जा रही थी कि राजनीतिक दलों की फंडिंग प्रभावित होगी. हालांकि, नए आंकड़े बताते हैं कि भाजपा ने ट्रस्ट और प्रत्यक्ष दान के जरिए अपनी वित्तीय स्थिति और मजबूत कर ली है.