हरियाणा: मजदूरों के नाम पर अधिकारियों ने किया ₹1500 करोड़ का घोटाला!
हरियाणा के श्रम विभाग के अंतर्गत निर्माण श्रमिकों के कल्याण बोर्ड में जारी वर्कस्लिप और श्रमिक पंजीकरणों से जुड़े मामलों में भारी अनियमितताओं का खुलासा हुआ है, जिसकी प्रारंभिक लागत लगभग ₹1500 करोड़ आंका जा रही है. इस घोटाले का खुलासा खुद श्रम मंत्री अनिल विज की सख्ती और सतर्कता के चलते हुआ है.
श्रम मंत्री ने बताया कि बोर्ड की बैठकों और जांच के दौरान यह पाया गया कि कई इलाकों में फर्जी तरीके से वर्कस्लिप और श्रमिक रजिस्ट्रेशन बनाए गए, जिससे सरकार की कल्याण योजनाओं का लाभ अपात्र लोगों तक पहुंचा और वास्तविक मजदूरों को नुकसान उठाना पड़ा. जांच 13 जिलों में की गई, जिनमें करनाल, सोनीपत, रोहतक, गुरुग्राम, झज्जर, पलवल, पानीपत, पंचकूला, नूंह, महेंद्रगढ़, सिरसा, कैथल और रेवाड़ी शामिल हैं.
प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार:
कुल 5,99,758 वर्कस्लिप जारी की गईं, जिनमें से सिर्फ 53,249 ही वैध पाई गईं, जबकि 5,46,509 वर्कस्लिप फर्जी निकलीं.
कुल 2,21,517 श्रमिक पंजीकरणों में से केवल 14,240 श्रमिक ही वास्तविक पाए गए, जबकि 1,93,756 पंजीकरण** फर्जी थे.
श्रम मंत्री ने कहा है कि कई स्थानों पर पूरे गांवों का सामूहिक रूप से पंजीकरण कर वर्कस्लिप बनाई गई, ताकि योजनाओं का लाभ अपात्र लोगों द्वारा प्राप्त किया जा सके. ऐसे मामलों में “सीधे-सीधे लूट” कर सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुँचाया गया है.
घोटाले की गंभीरता को देखते हुए अनिल विज ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से उच्चस्तरीय, प्रतिष्ठित जांच एजेंसी से पूरे मामले की गहन जांच कराने की सिफारिश की है. उन्होंने यह भी कहा कि भ्रष्टाचार पर किसी भी स्तर पर समझौता नहीं किया जाएगा और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
जांच के दौरान सत्यापन समितियों को यह निर्देश दिया गया है कि वे वर्कस्लिप और पंजीकरण की भौतिक सत्यता समेत सभी पहलुओं की जांच करें और नई पंजीकरण प्रक्रिया को अस्थायी रूप से रोका गया है, ताकि और अनियमितताओं को रोका जा सके. यह मामला हरियाणा में मजदूर कल्याण योजनाओं पर विश्वास और सरकारी निधियों के सही उपयोग के सवाल उठा रहा है.
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