बास्केटबॉल खिलाड़ियों की मौत पर खेल विभाग ने दी खुद को क्लीनचिट, परिजनों ने रिपोर्ट ठुकराई, FIR की मांग!

 

हरियाणा के दो किशोर बास्केटबॉल खिलाड़ियों—अमन और हार्दिक राठी—की मौत पर खेल विभाग ने अपनी जांच रिपोर्टों में खुद को किसी भी प्रकार की जिम्मेदारी से पूरी तरह अलग बताते हुए “क्लीन चिट” दे दी है. दोनों खिलाड़ी पिछले सप्ताह झज्जर के बहादुरगढ़ और रोहतक के लखनमाजरा में अलग-अलग हादसों में तब जान गंवा बैठे थे, जब जर्जर पोल उनके ऊपर गिर पड़ा.

सस्पेंडेड अधिकारी ने ही तैयार की रिपोर्ट

एक अंग्रेजी अखबार में छपी पत्रकार सत सिंह की रिपोर्ट के अनुसार सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि रोहतक में 16 वर्षीय हार्दिक की मौत वाली घटना की जांच रिपोर्ट उसी जिला खेल अधिकारी (DSO) अनूप सिंह ने तैयार की, जिन्हें हादसे के अगले ही दिन निलंबित कर दिया गया था. रिपोर्ट की तारीख 26 नवंबर है, यानी निलंबन के बाद भी उन्होंने दस्तावेज जमा किया. इसी तरह, झज्जर में 15 वर्षीय अमन की मौत की रिपोर्ट झज्जर की DSO सुनीता खत्री ने तैयार की, जबकि वह भी निलंबन अवधि में थीं। विभागीय स्तर पर इतनी जल्दी जांच पूरी कर लिए जाने पर भी सवाल उठ रहे हैं.

खेल विभाग ने कहा—“हमारी कोई भूमिका नहीं”

खेल विभाग की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दोनों स्थान खेल विभाग के नियंत्रण में नहीं आते थे. रिपोर्ट के अनुसार लखनमाजरा में जिस जगह हार्दिक प्रैक्टिस कर रहा था, वह “लखनमाजरा ब्लॉक समिति” की जमीन है, न कि खेल विभाग की. विभाग ने कहा कि वहां कोई बास्केटबॉल नर्सरी संचालित नहीं है और न ही कोई विभागीय कोच तैनात है, इसलिए हादसे से विभाग का कोई लेना-देना नहीं.झज्जर हादसे पर विभाग ने कहा कि शहीद ब्रिगेडियर होशियार सिंह स्टेडियम खेल विभाग के अधिकार क्षेत्र में नहीं है और विभाग ने सिर्फ एक रेसलिंग हॉल बनवाया था.

परिवारों का गुस्सा—“हमें मुआवज़ा नहीं, FIR चाहिए”

मृतक हार्दिक के पिता ने सरकार की ओर से दी गई 5 लाख रुपये की सहायता राशि को ठुकरा दिया है. उनका कहना है:
“हमें पैसे नहीं, जिम्मेदार लोगों पर FIR चाहिए। सुरक्षा इंतज़ामों पर किसी ने ध्यान क्यों नहीं दिया? विभाग कागजों में कह दे कि उसका संबंध नहीं, इससे हमारा दर्द कम नहीं होता.”

अमन के परिवार में भी यही रोष है. परिजन कहते हैं कि विभाग जांच के नाम पर सिर्फ खुद को बचा रहा है, जबकि मैदानों में सुरक्षा की वास्तविक जिम्मेदारी किसकी है, यह कोई नहीं बता रहा.

कोचों और खिलाड़ियों ने भी उठाए सवाल स्थानीय कोचों ने बताया कि लखनमाजरा का सरकारी स्टेडियम सुविधाओं के अभाव में उपयोग नहीं किया जाता. खिलाड़ी मजबूरी में गोहाना रोड स्थित निजी मैदान में अभ्यास करते हैं, जहां ही हादसा हुआ. कोच मोहित राठी ने यह भी आरोप लगाया कि सांसद दिपेंद्र सिंह हुड्डा की MPLAD योजना के तहत स्वीकृत खेल फंड का सही उपयोग नहीं हुआ.

सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने सवाल उठाया कि अगर मैदान खेल विभाग के अधिकार में नहीं था, तो DSO को सस्पेंड क्यों किया गया? उन्होंने कहा—“सरकार खेल विभाग को सिर्फ फोटो खिंचवाने का विभाग बनाकर छोड़ देती है. सुविधा, सुरक्षा और सिस्टम की जिम्मेदारी कौन लेगा?”