हरियाणा: राज्य सूचना आयोग में 7200 केस पेंडिंग,निबटाने में लगेंगे करीब 8 साल!

आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने राज्य सूचना आयोग से आरटीआई में मिली जानकारी से खुलासा किया है कि सूचना आयोग में आरटीआई के अंतर्गत विभिन्न अपीलों व शिकायतों के कुल 7216 केस लंबित हैं. आयोग में सूचना आयुक्तों व स्टाफ के वेतन पर पिछले बीस साल में 92 करोड़ रुपये व कैपिटल हेड पर 36.39 करोड़ समेत कुल 128.39 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं.
जबकि पिछले बीस साल में आरटीआई एक्ट बारे जनता को जागरूक करने पर मात्र 2.50 लाख रुपये खर्च किये गये और पिछले 14 साल में इस पर एक रुपया भी खर्च नहीं किया गया. समय से सूचना न देने के डिफाल्टर सूचना अधिकारियों पर आयोग ने कुल 5.86 करोड़ का जुर्माना लगाया है लेकिन इन सूचना अधिकारियों ने सिर्फ 2.84 करोड़ रुपये जुर्माना जमा कराया, जबकि 3.02 करोड़ की जुर्माना राशि इनसे वसूल करनी बाकी है.
आयोग ने आरटीआई एक्ट की उल्लंघना व समय से सूचना न देने के कुल 1974 सूचना अधिकारियों के खिलाफ़ विभागीय कारवाई करने के लिये सरकार को अनुशंसा भेजी है.
सूचना आयोग के पास प्रदेश के जन सूचना अधिकारियों व प्रथम अपीलीय अधिकरियों की सूची तक नहीं है. ऐसे में सूचना लेने के लिये आम जनता की हालत क्या होगी, आवेदक किसको आरटीआई लगाएं ,किसे प्रथम अपील करें? आयोग के पास इतनी भी सूचना नहीं है कि प्रदेशभर में नियुक्त सभी राज्य जन सूचना अधिकारियों व प्रथम अपीलीय अधिकारियों को आरटीआई एक्ट -2005 की कोई ट्रेनिंग मिली है या नहीं.
1 जनवरी 2024 में आयोग में लंबित विभिन्न केसों की कुल संख्या 8340 थी जो 31 दिसंबर 2024 मे घट कर 7216 रह गई यानी पूरे साल में सिर्फ 1124 लंबित केसों का निबटान किया गया. यही गति रही तो लंबित केसों का निबटान होने में करीब आठ साल लग सकते हैं.
आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार आरटीआई एक्ट को पिछले दरवाजे से खत्म कर रही है. सूचना अधिकारी समय से सूचना नहीं देते और फिर सूचना आयोग में अपील करने पर कोर्ट से भी लम्बी तारीखें लग कर अपील कर्ताओं को धक्के कटाए जा रहे हैं. इसी कारण प्रदेश में आरटीआई एक्ट मजाक बन कर रह गया है.
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