गेहूं का बढ़ता दाम अब सरकार के लिए मुसीबत बनता जा रहा है, पिछले लम्बे समय से दाम कम करने की सरकार की लाख कोशिशों का कुछ खास असर गेहूं की कीमत पर नहीं पड़ा है. पहले तो सरकर ने गेहूं के एक्सपोर्ट पर रोक लगाई उसके बाद पिछले एक साल में दो बार ओपन मार्केट सेल स्कीम के जरिये रियायती दामों में गेहूं की बिक्री की, लेकिन फिर भी दाम कम नहीं हुआ. अब ऐसे में यह अनुमान लगाया जा रहा है कि सरकार अब इंपोर्ट ड्यूटी कम करके दूसरे देशों से गेहूं मंगाने का रास्ता खोज रही है.
उपभोक्ताओं को नहीं मिला सस्ता आटा तो फिर किसको हुआ फायदा?
पिछले साल भर में केंद्र सरकार अपने सरकारी पूल से दूसरी बार ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS) के तहत रियायती दर पर गेहूं बेच रही है. लेकिन इससे भी गेहूं का दाम कम नहीं हो रहा है, ताज्जुब की बात ये है कि सरकार खुद इस साल रिकॉर्ड उत्पादन का दावा कर रही है. लेकिन फिर भी गेहूं के बढ़ते दामों पर रोक लगाने में असफ़ल रही है.
दरअसल, ओपन मार्केट सेल के तहत सस्ते दामों में गेहूं मिलने के इंतज़ार में बैठे आम लोगों तक तो यह गेहूं पहुंचा ही नहीं. इसका पूरा फायदा तो बड़े मिलर्स और कुछ सरकारी एजेंसियों ने उठाया है. इस योजना से अब तक कितने लोगों को सस्ता आटा मिला हैं इसका भी कोई आधिकारिक आकड़ा सरकार ने जारी नहीं किया है. असल में तो इस योजना का कोई खास फायदा उपभोक्ताओं को मिला ही नहीं।
किसानों को उठाना पड़ा नुकसान,
इस साल अप्रैल के महीने में जब किसानों कि गेहूं की फसल काटने को तैयार थी, उससे ठीक पहले सरकार ने सस्ता गेहूं बेचकर दाम गिरा दिया. स्टॉक की सुविधा न होने और ख़राब मौसम के डर से किसानों को मजबूरन अपनी फसल 1000 से 1500 रुपये प्रति क्विंटल तक के घाटे पर बेचनी पड़ी. किसानों को हुए घाटे की कोई तो भरपाई नहीं हुई बल्कि आम लोगों को भी कुछ खास फयदा नहीं पहुंचा और थोड़े ही दिनों बाद दाम फिर से जस के तस हो गए.
गेहूं का दाम कम करने के लिए सरकार कोई और दांव लगाएगी?
बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार बढ़ते दामों को कम करने के लिए दूसरे देशों से गेहूं माँगा सकती है,और साथ ही इंपोर्ट ड्यूटी कम करने का फैसला ले सकती है. ताकि निजी क्षेत्र सस्ते दर पर गेहूं का आयात कर सके और लोगों को महंगाई से राहत मिले. इस वक्त गेहूं पर 40 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी है. फिलहाल, इस बारे में कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है. उधर, उपभोक्ता मामले विभाग के प्राइस मॉनिटरिंग डिवीजन के अनुसार बृहस्पतिवार 13 जुलाई को भारत में गेहूं का औसत दाम 29.65 रुपये प्रति किलो तक की ऊंचाई पर पहुंच गया है. ऐसे में अब गेहूं के दाम सरकार की चिंता बढ़ा रहे है.
सरकार ने OMSS के तहत कितने गेहूं की बिक्री की
सरकार ने OMSS के तहत 2150 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से 26 जनवरी से 15 मार्च 2023 के बीच बड़े मिलर्स और कुछ सरकारी एजेंसियों को 33 लाख टन गेहूं बेचा. जिसके कुछ समय बाद दोबारा 15 लाख टन गेहूं इसी योजना के तहत बेचा गया है. किसान नेता पुष्पेंद्र सिंंह का कहना है कि इस स्कीम से उपभोक्ताओं को फायदा हुआ या नहीं लेकिन किसानों को भारी नुकसान जरूर पहुंचा है. जब किसानों को अच्छा दाम मिलने की बारी थी उसी वक्त रेट कम कर दिया गया था.