इस साल तिलहन की कम बुवाई और भारी बारिश से फसलों को नुकसान के चलते देश में सोयाबीन का उत्पादन 18-20 फीसदी गिरने की आशंका है। सरसों और मूंगफली की बुवाई भी पिछले साल से कम है। यही वजह है कि इस साल आयातित खाद्य तेलों पर देश की निर्भरता बढ़ गई है और महंगे आयात की वजह से खाद्य तेलों के दाम बढ़ रहे हैं। चालू सीजन में सोयाबीन का आयात बढ़कर तीन लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले फसल सीजन में 1.80 लाख टन का आयात हुआ था।
अभी तक रबी तिलहन की बुआई 71.79 लाख हेक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 73.08 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (सोपा) के अनुसार चालू फसल सीजन में सोयाबीन का उत्पादन घटकर 89.84 लाख टन रहने का अनुमान है जो पिछले साल 109.33 लाख टन था। उत्पादन में कमी और आयात महंगा होने की वजह से खाद्य तेलों के दाम आने वाले दिनों में और बढ़ सकते हैं।
देश में घरेलू खपत के मुकाबले तिलहन का उत्पादन कम होता है, जिसकी भरपाई के लिए इंडोनेशिया, मलेशिया और दक्षिण अमेरिकी देशों से खाद्य तेलों खासकर पाम ऑयल का आयात किया जाता है। भारत दुनिया में खाद्य तेलों का सबसे बड़ा इंपोर्टर है। सरकार तिलहन फसलों को बढ़ावा और उचित दाम दे तो खाद्य तेलों के आयात पर खर्च होने वाले हजारों करोड़ रुपये किसानों की जेब में जा सकते हैं।