नूंह के 5 वकीलों का दावा: ‘पेशे या धर्म’ के कारण पुलिस बना रही है ‘निशाना’

हरियाणा के नूंह जिले के कम से कम पांच वकीलों ने पुलिस अधिकारियों पर आरोप लगाया है कि उन्हें राज्य में हाल ही में हुई सांप्रदायिक हिंसा की जांच के बहाने प्रताड़ित किया गया. इन पांच वकीलों में से केवल दो ही हिंसा से संबंधित मामलों से जुड़े हैं, इनका आरोप है कि उन्हें या तो उनके धर्म या उनके पेशे के कारण निशाना बनाया गया.

पांच वकीलों में से एक को हत्या के प्रयास के मामले में गिरफ्तार किया गया था. दो सप्ताह बाद उन्हें जमानत दे दी गई, जब अदालत ने पाया कि हिंसा में उनकी संलिप्तता सिद्ध करने के कोई सबूत नहीं है. चार अन्य वकीलों को पुलिस ने हिरासत में लिया, लेकिन उन्होंने दावा किया कि जब पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने आई तो उन्हें उन पर दर्ज मामलों के बारे में बताया भी नहीं गया. हिरासत में लिए गए चार में से दो वकीलों ने आरोप लगाया है कि उनके साथ मारपीट की गई.

मेवात जिला बार एसोसिएशन के लगभग 30 वकीलों ने एक शांति समिति गठित कर इनमें से तीन मामलों में नूंह के एसपी से संपर्क किया है और पुलिस से “वकीलों को परेशान न करने” का अनुरोध किया है. इन चार मामलों में से एक को लेकर हरियाणा के डीजीपी को औपचारिक शिकायत सौंपी गई है.

यह साफ नहीं है कि क्या समिति उस पांचवें मामले में कार्रवाई की मांग करेगी जिससे जुड़े वकील न समिति के सदस्य हैं न जिला बार एसोसिएशन के.

समिति ने कहा है कि पुलिस की कार्रवाई अल्पसंख्यक समुदाय से आने वाले वकीलों के बीच “डर पैदा करने का तरीका” है. नूंह की एडिशनल एसपी उषा कुंडू ने पुलिस द्वारा वकीलों को निशाना बनाने के आरोपों से इंकार किया है. न्यूज़लॉन्ड्री ने नूंह एसपी नरेंद्र बिजारणिया को एक प्रश्नावली भेजी है. उनकी प्रतिक्रिया मिलने पर यह रिपोर्ट अपडेट कर दी जाएगी.

न्यूज़लॉन्ड्री ने हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर से भी संपर्क किया. उनकी प्रतिक्रिया मिलने पर यह रिपोर्ट अपडेट कर दी जाएगी. 

गिरफ़्तारी और जमानत

38 वर्षीय वकील शाहिद हुसैन को 13 अगस्त को पलवल स्पेशल टास्क फोर्स ने गिरफ्तार किया था. उन पर कथित रूप से हत्या के प्रयास और आर्म्स एक्ट की धारा 25 के तहत बिछोर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था. पुलिस ने जांच में आरोप लगाया कि 31 जुलाई को जब हिंसा भड़की तो हुसैन नूंह के सिंगार गांव में थे और “उन्होंने एक व्यक्ति को 100 कॉल किए थे.”

2 सितंबर को नूंह के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संदीप कुमार दुग्गल ने उन्हें जमानत दे दी. आदेश में कहा गया है, ”किसी भी हिंसा में कोई सक्रिय भागीदारी नहीं है और न ही उनके सार्वजनिक भाषण या मौके पर या मोबाइल के माध्यम से किसी उकसावे के बारे में कोई ऑडियो है.”

हुसैन ने कहा कि उन्होंने पुलिस को बताया था कि वह “केवल सिंगार गांव से गुजर रहे थे” और उन्होंने ही बिछोर पुलिस को कार्रवाई के लिए हिंसा के बारे में सूचित किया था. “हममें डर पैदा करने के लिए वकीलों को निशाना बनाकर हमला किया गया है,” उन्होंने कहा. 

‘उन्होंने मेरी दाढ़ी खींची’

एक अन्य मामले में, वकील शाबुद्दीन को सदर तावड़ू पुलिस ने 8 अगस्त को हिरासत में लिया था और अगले दिन उन्हें रिहा कर दिया गया. उन्होंने हरियाणा के डीजीपी को सौंपी शिकायत में आरोप लगाया है कि पुलिस हिरासत में उनके साथ मारपीट और दुर्व्यवहार किया गया.

41 वर्षीय शाबुद्दीन ने कहा कि उनके भाई जाकिर को सांप्रदायिक दंगों के आरोपी के रूप में गिरफ्तार करने के लिए पुलिस 2 अगस्त को बुरहानपुर गांव में उनके घर आई थी. 

वे बताते हैं, “अगले दिन नूंह बार के कुछ सदस्य और मैं नूंह के डीएसपी को मिले और बताया कि मेरा भाई पिछले एक महीने से मेवात नहीं गया है, क्योंकि वह राजस्थान में काम करता है. हालांकि, हमने यह भी कहा कि अगर पुलिस के पास कोई सबूत है तो हम उनका पूरा सहयोग करेंगे. हमें आश्वासन दिया गया कि हमारे साथ कोई अन्याय नहीं होगा. लेकिन इसके एक हफ्ते बाद 30 से अधिक पुलिसकर्मी मेरे घर पर आ धमके.” 

शाबुद्दीन पूरा वाकया बताते हुए कहते हैं, “पुलिसवाले नशे में थे. उन्होंने मेरे घर का दरवाज़ा तोड़ दिया और ऐसे अंदर घुस आए जैसे वह किसी आतंकवादी को पकड़ने आए हों. मैंने उन्हें बताया कि मैं एक वकील हूं और मैंने डीएसपी से मुलाकात की है और उन्हें आश्वासन दिया है कि अगर मेरे परिवार के खिलाफ कोई सबूत मिलेगा तो मैं पूरा सहयोग करूंगा. लेकिन उन्होंने मेरी बात नहीं सुनी. उन्होंने मेरे पेशे को लेकर अपशब्दों का इस्तेमाल किया और कहा कि ‘बहुत वकील बन रहा है, हम बनाते हैं तुझे वकील.’ फिर उन्होंने मेरी दाढ़ी खींची, मुझे थप्पड़ मारा और मुझे मेरे अंतर्वस्त्रों में ही गिरफ्तार कर लिया. उन्होंने मुझे कपड़े तक नहीं पहनने दिए. पुलिस स्टेशन में वे पूरी रात मेरे पेशे और धर्म को लेकर मुझे गालियां देते रहे.मुझे अगली दोपहर रिहा कर दिया गया.”

शाबुद्दीन ने कहा कि वह बहुत सदमे में हैं और अदालत नहीं जा पा रहे.

‘उन्होंने मेरी बात नहीं सुनी’

तीन अन्य वकीलों- शफीक, रहीस अहमद और आदिल खान ने भी इसी तरह के आरोप लगाए.

एक अगस्त को नूंह की हिदायत कॉलोनी में छापेमारी के दौरान शफीक को एसटीएफ ने हिरासत में लिया था. अगले दिन उन्हें रिहा कर दिया गया. “मैंने पुलिस को बताया था कि मैं एक वकील हूं, लेकिन उन्होंने मेरी बात भी नहीं सुनी. हालांकि, मुझे लगता है कि उन्होंने पेशे की वजह से मुझे मारा-पीटा नहीं.”

25 अगस्त को जब रहीस अहमद पुन्हाना में अपने कार्यालय में थे तो उन्हें हरियाणा पुलिस की अपराध जांच एजेंसी ने हिरासत में ले लिया. 

वे बताते हैं, “एक दर्जन से अधिक पुलिसकर्मी मुझे हिरासत में लेने आए. मैंने उनसे कहा कि मैं एक वकील हूं लेकिन उन्होंने मेरी नहीं सुनी. मुझे यह भी नहीं बताया गया कि वे मुझे क्यों हिरासत में ले रहे हैं. पहले वे मुझे सीआईए पुलिस स्टेशन और फिर बिछोर पुलिस स्टेशन ले गए. वहां उन्होंने हिंसा में मेरी संलिप्तता के बारे में पूछताछ की.”

रहीस कहते हैं कि इसके कुछ घंटों बाद उन्हें रिहा कर दिया गया.

रहीस ने बताया कि वह नूंह में सांप्रदायिक हिंसा से संबंधित मामलों की पैरवी में वरिष्ठ वकील ताहिर हुसैन की मदद कर रहे हैं. 

वे कहते हैं, “इस पूरी घटना को पुलिस द्वारा अधिवक्ताओं के बीच डर पैदा करने के तरीके के रूप में देखा जा सकता है क्योंकि उन्होंने पहले कभी हमारे साथ ऐसा नहीं किया.”

आदिल खान को उसी दिन पुन्हाना से हिरासत में लिया गया था. “मेरी मुवक्किल खातूनी अपने गांव नीम खेड़ा में पुलिस के छापे में घायल हो गई थीं. इसलिए, मैं उनके साथ सीएचसी पुन्हाना में उनकी मेडिको-लीगल रिपोर्ट लेने गया था. दोपहर में जब हम स्वास्थ्य केंद्र के अंदर थे, सीआईए अधिकारी आए और हमें हिरासत में ले लिया. मैंने उन्हें बताया कि मैं एक वकील हूं और सिर्फ अपना काम कर रहा हूं. लेकिन उन्होंने कहा ‘हमने तुम्हारे जैसे कई वकील देखे हैं.’ उन्होंने मुझ पर हत्या का मामला दर्ज करने की धमकी भी दी.”

खान ने कहा कि उन्हें रात में रिहा कर दिया गया.

समिति के अनुरोध

उपरोक्त समिति, जिसने शाबुद्दीन को डीजीपी के पास शिकायत दर्ज करने में मदद की थी, इस पर विचार कर रही है कि क्या उसे शाहिद हुसैन के मामले में भी शिकायत दर्ज करनी चाहिए, जो जिला बार एसोसिएशन का हिस्सा नहीं हैं.

शफीक, रहीस अहमद और शाहिद हुसैन से जुड़े मामलों में समिति और बार के सदस्यों ने कहा कि उन्होंने औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं की है लेकिन कार्रवाई की मांग के लिए बार-बार नूंह एसपी से मुलाकात की है.

समिति के सदस्य और बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष ताहिर हुसैन ने कहा, “जब भी हमारे वकीलों को हिरासत में लिया गया, बार के लगभग 100 सदस्य एसपी से मिले. हमने उन्हें आश्वासन दिया कि अगर पुलिस के पास सबूत हैं तो हम पुलिस के साथ खड़े रहेंगे. लेकिन, क्योंकि इन मामलों में कोई सबूत नहीं है, यह स्पष्ट रूप से वकीलों का उत्पीड़न है. हर बार, उन्होंने हमें आश्वासन दिया कि ऐसा दोबारा नहीं होगा, लेकिन उन्होंने अपना वादा पूरा नहीं किया. यह पहली बार है जब मेवात में वकीलों को पुलिस का उत्पीड़न झेलना पड़ रहा है.”

 साभार: न्यूज़लॉन्ड्री

किसी ने सिख, ईसाई और मुस्लिम के खिलाफ उंगली उठाई तो उंगली गायब कर दी जाएगी: सुरेश कौथ

अगस्त के शुरुआती हफ्ते में नूंह में हुई हिंसा के बाद किसान संगठन और खाप लगातार मेवातियों के समर्थन में बयान देते रहे हैं. इस बीच हरियाणा के कईं इलाकों में मेव समुदाय के समर्थन में पंचायतें बुलाई गईं हैं. आज फिर से मेवात के बड़ौदा मेव में संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से भाईचारा पंचायत का आयोजन किया गया. किसान संगठनों ने SKM की भाईचारा पंचायत में मेव समुदाय का साथ देने का फैसला लिया है. इस पंचायत में किसान नेता सुरेश कौथ, गुरनाम। सिंह चढूनी और पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक भी शामिल हुए.

पंचायत की खास बात है कि यह पंचायत उस वक्त हो रही है जब विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल 28 अगस्त को मेवात में “शोभा यात्रा” निकालने पर अड़े हैं.

पंचायत का समापन भाषण देते हुए सुरेश कोथ ने किसानों की तरफ़ से मेव समुदाय को अपना समर्थन देने की बात कही है. किसान नेता सुरेश कौथ ने कहा, “अगर इस देश के अंदर किसी ने सिख के ख़िलाफ़ उँगली की, मुसलमान के ख़िलाफ़ उँगली की, ईसाई के ख़िलाफ़ उँगली की, भाईचारे के ख़िलाफ़ उँगली की, वह उँगली ग़ायब कर दी जाएगी”

BKU शहीद भगत सिंह अध्यक्ष अमरजीत सिंह मोहड़ी ने कहा, “धर्म जाती की बेड़ीयाँ तोड़ कर अपने किसान भाईयों का हाथ थामे. संप्रदायिक नफरत व विभाजनकारी ताकतों को अपने सदभाव से हराकर अपनी किसान असमिता की रक्षा करें, ढोंग और पाखण्ड से अपनी आने वाली पीढ़ी का बचाव करने का निश्चय कर जीत की ओर बढें.” उन्होंने कहा आगे कहा, “ना भाई चारा टूटने देंगे,ना झण्डा बदलने देंगे,ना संविधान बदलने देंगे”

वहीं एक और किसान नेता ने मंच से कहां, किसानों को धर्म के नाम पर आपस में लड़ाकर कमजोर करने की साजिश है. किसान नेता ने सभी किसानों से भाईचारे की अपील करते हुए एक होकर रहने को कहा. वहीं नौजवान किसान नेता गुरमनीत ने मंच से कहां,”देश भारत के संविधान से चलेगा, मनुस्मृति से नहीं”

नूंह बुलडोजर एक्शन में 70 फीसदी मुसलमान, 30 फीसदी हिंदू प्रभावित: सरकार

31 जुलाई की नूंह हिंसा के बाद हरियाणा सरकार द्वारा चलाए गए विध्वंस अभियान को लेकर सरकार ने शुक्रवार को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में जवाब दाखिल किया है. मकान गिराए जाने के अभियान के खिलाफ एक याचिका के जवाब में सरकार ने बताया कि गुरुग्राम में अधिकारियों द्वारा ढहाए गए ज्यादातर मकान मुस्लिम समुदाय के लोगों के थे. इस कार्रवाई से 70 प्रतिशत मुसलमान प्रभावित हुए. सरकार ने न्यायमूर्ति रविशंकर झा और न्यायमूर्ति अरुण पल्ली की पीठ के समक्ष यह ये दलील दी. बता दें कि हाई कोर्ट की यह पीठ स्वत: संज्ञान से शुरू की गई जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

इससे पहले बुलडोजर एक्शन पर सवाल उठाते हुए, हाई कोर्ट ने इस सप्ताह की शुरुआत में पूछा था कि क्या “कानून और व्यवस्था की समस्या की आड़ में” एक “विशेष समुदाय” की संपत्तियों को निशाना बनाया गया था और क्या “जातीय सफाया का अभ्यास” किया जा रहा था.

अतिरिक्त महाधिवक्ता दीपक सभरवाल ने मीडिया में बयान देते हुए कहा कि सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा है कि “ऐसा बिल्कुल भी नहीं कहा जा सकता कि यह जातीय नरसंहार का मामला है. यह कोर्ट की केवल एक आशंका थी” उन्होंने कहा कि सरकार ने अपने जवाब में बताया कि उचित प्रक्रिया का पालन किया गया था और किसी भी विभाग ने “धर्म के आधार पर डेटा एकत्र नहीं किया है”

हरियाणा सरकार ने दावा किया कि जिले में हाल ही में किए गए विध्वंस अभियान से 283 मुस्लिम और 71 हिंदू परिवार प्रभावित हुए हैं. राज्य ने यह दावा करके संख्या को उचित ठहराया कि नूंह मूलतः मुस्लिम बहुल क्षेत्र है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 443 मकान ध्वस्त किए गए, जिनमें से 162 स्थायी थे और शेष 281 अस्थायी थे. विध्वंस अभियान से प्रभावित व्यक्तियों की संख्या 354 थी, जिनमें से 71 हिंदू और 283 मुस्लिम थे.

हलफनामे में कहा गया है कि मकानों को ध्वस्त करने से पहले कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किया गया था. कानून की प्रक्रिया का पालन किए बिना कोई भी विध्वंस नहीं किया गया.जवाब में कहा गया, “सरकार ने अतिक्रमण/अनधिकृत निर्माणों को हटाते समय कभी भी जाति, पंथ या धर्म के आधार पर ‘उठाओ और चुनो’ की नीति नहीं अपनाई.”

वहीं गुरुग्राम के उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने कहा कि राज्य सरकार ने अतिक्रमण के संबंध में विवरण एकत्र करते समय जाति, पंथ और धर्म के संबंध में कोई जानकारी एकत्र नहीं की। बल्कि सभी अतिक्रमणकारियों से एक ही तरीके से निपटा गया.

नूंह हिंसा: खाप पंचायतों ने खोला मोर्चा,मुस्लिम समुदाय को दिया समर्थन का भरोसा!

नूंह में हुई हिंसा को लेकर दो समुदायों के बीच विश्वास कायम करने का प्रयास करने और शांति बहाली को लेकर फोगाट और सांगवान खाप ने 17 अगस्त को हरियाणा में नफरत फैलाने की कोशिश करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की. खाप पंचायत ने बजरंग दल से जुड़े नासिर-जुनैद हत्याकांड के आरोपी गोरक्षक मोनू मानेसर की गिरफ्तारी की मांग की.

चरखी दादरी में हुई खाप पंचायत के सदस्यों ने कहा हरियाणा में विभिन्न खापें राज्य में सांप्रदायिक एजेंडा बढ़ाने की कोशिश करने वाले तत्वों पर लगाम लगाने के मुद्दे पर एकजुट हैं. फोगट खाप पंचायत प्रमुख बलवंत नंबरदार ने कहा, “दो मुस्लिम युवकों की हत्या के लिए मोनू मानेसर को गिरफ्तार किया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा कि नूंह में बृज मंडल यात्रा का आयोजन, जिसके कारण पिछले महीने हिंसा हुई थी, हिंदुओं और मुसलमानों के बीच दरार पैदा करने की साजिश लगती है, जिसकी निंदा की जानी चाहिए” उन्होंने आगे कहा, “हम अल्पसंख्यकों के साथ खड़े हैं और उनके साथ कुछ भी गलत नहीं होने देंगे.”

वहीं सांगवान खाप पंचायत की अध्यक्षता कर रहे सचिव नर सिंह ने हिंसा पर गुस्सा जताया और कहा कि किसी को भी सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए. उन्होंने कहा, “सरकार को सांप्रदायिक तनाव पैदा करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए, अगर सरकार ऐसे तत्वों पर लगाम लगाने में विफल रही, तो खाप इसका विरोध करेगी”

बता दें कि किसान संगठन पहले से ही नूंह हिंसा की निंदा करते हुए अल्पसंख्यक समुदाय का समर्थन कर चुके हैं. सभी किसान संगठनों ने एक सुर में हिंसा की निंदा करते हुए सरकार की विफलता बताया है.

इससे पहले धनखड़ खाप के प्रधान ओम प्रकाश धनकड़ भी कड़ी शब्दों में मेवात हिंसा की निंदा करते हुए मेवातियों के समर्थन की बात कह चुके हैं.

हिसार: बास सम्मेलन में जुटे किसान, नूंह हिंसा के दंगाइयों की गिरफ्तारी की मांग!

किसान संगठनों की ओर से हिसार के बास गांव में किसान सम्मेलन का आयोजन किया गया. सम्मेलन में किसानी मुद्दों के साथ साथ मुख्य तौर पर नूंह दंगों के खिलाफ भी किसान बड़ी संख्या में जुटे.

सम्मेलन में किसान संगठनों ने नूंह हिंसा के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पास किया. साथ ही हिंदू संगठन बजरंग दल द्वारा हरियाणा के अलग-अलग शहरों में मुस्लिमों के खिलाफ निकाली गई भड़काऊ रैलियों की भी निंदा की. किसान नेता सुरेश कौथ ने मंच संगठनों द्वारा लिए गए फैसलों को पढ़कर सुनाया.

किसान सगठनों और खाप पंचायतों ने नूंह दंगों की साजिश करने वालों को गिरफ़्तार करने की मांग को लेकर प्रस्ताव पास किया गया. इसके साथ ही मेव मुस्लिमों को तंग करने वाले बजरंग दल से जुड़े शरारती तत्वों को भी कड़ी चेतावनी दी.

किसान नेता सुरेश कौथ ने बजरंग दल से जुड़े लोगों को चेतावनी देते हुए कहा, “ये खड़े हैं मुसलमान किसी की मां ने दूध पिलाया हो तो हाथ लगाकर दिखाओ”

इस बीच सभी धर्मों के लोगों ने शपथ ली कि हम सभी धार्मिक दंगों से दूर रहेंगे ,किस भी धर्म के नाम पर दंगे भड़काने वालों का साथ नहीं देंगे ,और मेवात में हुये दंगों में शांति बहाल करने के लिये साथ मिलकर काम करेंगे. और जिस किसी ने भी दंगे भड़काने का काम किया लोगों को वीडियो के जरिए भड़काया भीड़ को उकसाया उन सब को प्रशासन जल्द से जल्द गिरफ्तार करे.

किसान सम्मेलन का आयोजन भारतीय किसान मज़दूर यूनियन ने किया था ,जिसमें सभी खापों के प्रधान शामिल हुए. साथ में मेवात से मुस्लिम समुदाय का एक प्रतिनिधि मंडल और सिख समुदाय के लोगों ने सांझे रूप से इस सर्व धर्म सम्मेलन में नूह घटनाक्रम पर एकता का संदेश दिया.

मेवात हिंसा के बाद अहीरवाल के गांवों में मुस्लिम व्यापारियों के बहिष्कार का एलान!

मेवात के नूंह और गुरुग्राम में हुई दंगों के बाद बहुसंख्यक समुदाय द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय को सामाजिक तौर पर निशाना बनाया जा रहा है. गुरुग्राम के तिगरा गांव में हुई हिंदू समुदाय की महापंचायत में भी मुस्लिमों के बहिष्कार की अपील की गई. मंच से एलान किया गया कि मुस्लिमों को किराए पर मकान न दें साथ ही मुस्लिमों के साथ किसी भी तरह का व्यापार न करें.

वहीं इस पंचायत में शामिल होने पहुंचे सोहना विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक संजय सिंह ने मंच से भड़काऊ भाषण देते हुए 1992 का रिएक्शन दोहराने की धमकी दी. बीजेपी विधायक संजय सिंह ने आगे कहा “ये तो कुछ नहीं हुआ हालात ऐसे ही रहे तो पीछे नहीं हटेंगे”

ग्राम पंचायत नांगल,ग्राम पंचायत पृथ्वीपुरा,ग्राम पंचायत सैदपुरा,ग्राम पंचायत महासर,ग्राम पंचायत बजाड़,ग्राम पंचायत मोहलड़ा, ग्राम पंचायत रामपुरा,ग्राम पंचायत ताजपुर,ग्राम पंचायत नावदी और ग्राम पंचायत सिलारपुर के सरपंचों की ओर से स्थानीय थाने में शिकायत दी गई है जिसमें शिकायत में मुस्लिम समुदाय के लोगों पर पशु चोरी का भी आरोप लगाया गया है इसके साथ ही मुस्लिमों के गांव में प्रवेश पर रोक लगाने की बात कही है.

वहीं हरियाणा में मेवात दंगों के बाद नफरत को फिर से हवा दी जा रही है. महेंद्रगढ़ की कुछ ग्राम पंचायतों की ओर से कईं गांवों के सरपंचों ने अपने थानों में लिखकर दी शिकायत में मुस्लिम पशु व्यापारियों और सभी तरह के मुस्लिम फेरीवालों के गांव में प्रवेश पर रोक लगाए जाने और मुस्लिमों का बहिष्कार किए जाने की बात कही है.

नूंह हिंसा पर BJP नेता राव इंद्रजीत सिंह ने अपनी ही सरकार पर उठाए सवाल!

पिछले दो दिनों से हरियाणा के मेवात और गुरुग्राम में जारी हिंसा को लेकर सरकार विपक्ष के बाद अब अपने ही नेताओं के निशाने पर है. अहिरवाल क्षेत्र के बीजेपी नेता और केंद्र सरकार में राज्य मंत्री राव इन्द्रजीत सिंह ने सरकार पर सवाल उठाए हैं.

उन्होंने कहा कि, “शोभायात्रा के दौरान उनको हथियार किसने दिए. कोई तलवार लेकर जाता है क्या जुलूस में? लाठी डंडे लेकर जाता है कोई?” वह आगे कहते हैं “यह ग़लत था प्रोवोकेशन अपनी तरफ़ से हुआ हालाँकि मैं ये नहीं कहता की दूसरे पक्ष की गलती नहीं है.”

उन्होंने मोनू मानेसर पर सवाल उठाते हुए पूछा कि वह कौन लोग हैं जो सोशल मीडिया पर वीडियो डाल रहे थे कि “मैं शोभा यात्रा में आऊँगा तुम्हारा दामाद बनकर? तुम हमे रोक नहीं सकते.” वे आगे कहते हैं कि उन्होंने मुख्यमंत्री खट्टर से ज़्यादा फोर्स लेने का आग्रह किया जब उन्हें लगा कि पुलिस बल पर्याप्त नहीं. वे अपनी बात रखते हुए यह भी बताते हैं कि “आज़ादी के बाद 75 साल में कभी भी नूँह में ऐसा नहीं हुआ जो आज हुआ है.”

नूहं: अवैध खनन रोकने गए डीएसपी को डंपर से कुचला, मौके पर मौत!

नूंह जिले के ताबड़ू में खनन माफियाओं ने डीेएसपी सुरेंद्र सिंह पर डंपर चढ़ा दिया. डीएसपी सुरेंद्र सिंह अवैध खनन की सूचना मिलने के बाद ताबड़ू की पहाड़ी पर छापा मारने पहुंचे थे. पहाड़ी पर उन्हें पत्थर ले जाते वाहन मिले, जिसे उन्होंने रोकना शुरू कर दिया. इसी बीच माफियाओं ने डीेएसपी सुरेंद्र सिंह पर पत्थरों से भरा डंपर चढ़ा दिया और उन्की मौके पर ही मौत हो गई.

दरअसल तावड़ू पुलिस को पंचगांव की पहाड़ी में बड़े स्तर पर अवैध खनन की सूचना मिली थी. डीेएसपी सुरेंद्र सिंह अपनी टीम के साथ पहाड़ी पर अवैध खनन को रोकने के लिए पहुंचे थे जिसके बाद खनन माफियाओं ने डीएसपी पर डंपर चढ़ा कर उन्की हत्या कर दी.

मीडिया में छपी खबरों के अनुसार डीएसपी सुरेंद्र सिंह अपनी सरकारी गाड़ी के पास खड़े थे. डंपर की टक्कर से वह नीचे गिर गए और डंपर उनको रौंदता हुआ ऊपर से निकल गया और डीएसपी सुरेंद्र सिंह ने मौके पर ही दम तोड़ दिया. वारदात के बाद आरोपी मौके से फरार हो गए. घटना की जानकारी के बाद बड़ी संख्या में अफसर और पुलिस टीम मौके पर पहुंची और सर्च अभियान शुरू किया गया.

नूहं के तावड़ू क्षेत्र में अरावली की पहाड़ियों पर लंबे समय से बड़े स्तर पर अवैध खनन किया जा रहा है. प्रशासन ने इस पर रोक लगाने के लिए पिछले महीने ही उपमंडल स्तर पर एक स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया था. इसमें कई विभागों के अधिकारी शामिल किये गए थे. डीएसपी सुरेंद्र सिंह को भी तावड़ू क्षेत्र में स्थित अरावली की पहाड़ियों पर अवैध खनन रोकने की कमान दी गई थी.

वहीं इस घटना पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने डीएसपी को शहीद का दर्जा देने और परिजनों को एक करोड़ की आर्थिक सहायता देने की बात कही.

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने ट्वीट करते हुए लिखा, “DSP तावडू (नूंह) सुरेंद्र सिंह जी की हत्या के मामले में कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने के आदेश दे दिए गए हैं, एक भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा. शोकाकुल परिजनों के साथ मेरी गहरी संवेदनाएं हैं. ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें.

डीएसपी सुरेंद्र सिंह हिसार जिले के आदमपुर क्षेत्र के गांव सारंगपुर के रहने वाले थे. 12 अप्रैल 1994 को हरियाणा पुलिस में ASI के पद पर भर्ती हुए सुरेंद्र सिंह की 31 अक्टूबर को सेवानिवृत्ति होनी थी.