तोमर समेत 15 मंत्रियों पर गांव-किसान के कल्याण का जिम्मा

भारी बहुमत से दोबारा सत्ता में आई नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्रालयों का बंटवारा हो गया है। अमित शाह को गृह मंत्रालय, राजनाथ सिंह को रक्षा, निर्मला सीतारमण को वित्त, नितिन गडकरी को परिवहन, एस. जयशंकर को विदेश और नरेंद्र तोमर को कृषि, ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली है।

मोदी मंत्रिमंडल में सदानंद गौड़ा को रसायन एवं उर्वरक, पीयूष गोयल को रेल, धर्मेंद्र प्रधान को पेट्रोलियम व इस्पात, रविशंकर प्रसाद को कानून, संचार व आईटी, स्मृति ईरानी को कपड़ा, महिला एवं बाल विकास, डॉ. हर्षवर्धन को स्वास्थ्य, विज्ञान व तकनीक और रमेश पोखरियाल निशंक को मानव संसाधन विकास मंत्रालय मिला है।

मंत्रियों के बीच कामकाज के विभाजन के साथ-साथ कई मंत्रालयों के स्वरूप में भी फेरबदल किया गया है। गांव-किसान और खेती से जुड़े मंत्रालयों का जिम्मा अब एक-दो नहीं बल्कि कुल 15 मंत्रियों के पास रहेगा। अभी तक कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के तहत आने वाले पशुपालन, डेयरी और मत्स्यपालन विभाग को अलग मंत्रालय का दर्जा मिल गया है।

कृषि मंत्रालय के साथ-साथ ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्रालय की जिम्मेदारी नरेंद्र सिंह तोमर को दी गई है। इन तीनों मंत्रालय का संबंध गांंव-किसान से है इसलिए तीनों का जिम्मा एक ही कैबिनेट मंत्री के पास होना सही फैसला है। यह तोमर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बढ़ते भरोसे का भी सबूत है। उनके साथ कैलाश चौधरी और पुरुषोत्तम रूपाला को कृषि मंत्रालय में राज्यमंत्री बनाया गया है जबकि साध्वी निरंजन ज्योति ग्रामीण विकास मंत्रालय में राज्यमंत्री रहेेंगी।

मध्यप्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेता नरेंद्र सिंह तोमर इस बार मुरैना से सांसद हैं। वे पिछली मोदी सरकार में भी ग्रामीण विकास मंत्रालय का कार्यभार संभाल चुके हैं। इस बार राधा मोहन सिंह की जगह उन्हें कृषि मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है।

पहली बार बने पशुपालन, डेयरी और मत्स्यपालन मंत्रालय में बिहार के अनुभवी सांसद गिरिराज सिंह कैबिनेट मंत्री होंगे। मुजफ्फरनगर से अजित सिंह जैसे दिग्गज को हराकर दूसरी बार संसद पहुंचे डॉ. संजीव कुमार बालियान और उड़ीसा में झोपड़ी वाले सांसद के तौर पर मशहूर प्रताप चंद्र सारंगी पशुपालन मंत्रालय में राज्यमंत्री बनाए गए हैं। बालियान खुद पशु चिकत्सक हैं और हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में पढ़ा चुके हैं। उन्हें पिछली बार कृषि मंत्रालय और जल संसाधन मंत्रालय में राज्यमंत्री बनाया गया था लेकिन कार्यकाल पूरा होने से पहले ही हटा दिया था। इस बार पश्चिमी यूपी से पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर डॉ. सत्यपाल सिंह की जगह संजीव बालियान को मोदी मंत्रिमंडल में जगह मिली है।

पिछली बार की तरह इस बार भी खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय का जिम्मा एनडीए की घटक लोक जनशक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान के पास रहेगा।  पासवान पिछले 30 साल से ज्यादातर सरकारों में मंत्री रहे हैं। देश में अनाज की सरकारी खरीद, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, महंगाई को काबू में रखने के उपाय और चीनी उद्योग इसी मंत्रालय के तहत आता है। इसलिए किसानों के लिहाज से यह भी कृषि जितना ही महत्वपूर्ण मंत्रालय है। महाराष्ट्र  भाजपा के अध्यक्ष और जालाना से सांसद रावसाहेब दादाराव दानवे को खाद्य एवं उपभोक्ता मंत्रालय में राज्यमंत्री बनाया गया है।

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की जिम्मेदारी इस बार भी अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल के पास है। असम के युवा सांसद रामेश्वर तेली इस मंत्रालय में राज्यमंत्री हैैं।

इस बार एक बड़ा बदलाव जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय में दिख रहा है।  इस मंत्रालय की जगह अब सिर्फ जल शक्ति मंत्रालय रह गया है।

जोधपुर से अशोक गहलोत के बेटे को मात देने वाले गजेंद्र सिंह शेखावत को जल शक्ति मंत्रालय में कैबिनेट मंत्री जबकि हरियाणा के रतन लाल कटारिया को राज्यमंत्री बनाया गया है। उमा भारती और नितिन गडकरी को मौका दिए जाने के बावजूद मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में गंगा की सफाई का काम बहुत प्रभावी ढंग से नहीं हो पाया था। शायद मंत्रालय का नाम बदलने के पीछे इस नाकामी से पीछा छुड़ाने की मंशा है।

खेती-किसानी और ग्रामीण विकास से जुड़े काम कई अलग-अलग मंत्रालयों और विभागों में बंटे होने को लेकर विशेषज्ञ सवाल उठाते रहे हैं। पिछली मोदी सरकार में “न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन” का नारा खूब गूंजा था। तब मिलते-जुलते कामकाज वाले मंत्रालयों को मिलाने या उनका कलस्टर बनाने  की काफी बातें हुई थीं, लेकिन यह काम आगे नहीं बढ़ा।

कृषि अर्थशास्त्री पीके जोशी ने हाल ही में कृषि और ग्रामीण विकास मंत्रालयों को मिलाने का सुझाव दिया है। इस बार प्रधानमंत्री मोदी ने ग्रामीण विकास, पंचायती राज के साथ कृषि मंंत्रालय का जिम्मा नरेंद्र सिंह तोमर को देकर इस दिशा में कदम भी बढ़ाया लेकिन कृषि मंत्रालय से पशुपालन को अलग कर दिया। खाद्य और खाद्य प्रसंस्करण पहले ही अलग-अलग हैं। उर्वरक कृषि के बजाय रसायन मंत्रालय के साथ है। इस तरह केंद्र सरकार में खेती-किसानी और गांव से जुड़े पहले से ज्यादा मंत्रालय और मंत्री हो गए हैं। देखना है कि एक दर्जन से ज्यादा मंत्री गांव-किसान का कितना भला कर पाते हैं।

 

कभी कृषि मंत्रालय का हिस्सा रहा उर्वरक अब रसायन मंत्रालय का हिस्सा है, जिसमें सदानंद गौड़ा कैबिनेट मंत्री और मनसुख मंडाविया राज्यमंत्री  हैं।

इससे पहले गुरुवार शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्रिमंडल के 57 सहयोगियों के साथ पद और गोपनीयता की शपथ ली थी। मोदी सरकार का पूरा मंत्रिमंडल इस प्रकार है:

 1. नरेंद्र मोदी (प्रधानमंत्री)

प्रधानमंत्री के पद के साथ कार्मिक, जन शिकायत और पेंशन, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष मंत्रालय. इसके अलाव वो सभी मंत्रालय जो किसी भी मंत्री को अलॉट न हुए हो

 2. राजनाथ सिंह (कैबिनेट मंत्री)

रक्षा मंत्रालय

 3. अमित शाह (कैबिनेट मंत्री)

गृह मंत्रालय

 4. नितिन गडकरी (कैबिनेट मंत्री)

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय

 5. सदानंद गौड़ा (कैबिनेट मंत्री)

रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय

 6. निर्मला सीतारमण (कैबिनेट मंत्री)

वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय

 7. राम विलास पासवान (कैबिनेट मंत्री)

उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय

 8. नरेंद्र सिंह तोमर (कैबिनेट मंत्री)

कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्रालय

 9. रविशंकर प्रसाद (कैबिनेट मंत्री)

कानून एवं न्याय, संचार और इलेक्ट्रानिक एवं सूचना मंत्रालय

 10. हरसिमरत कौर बादल (कैबिनेट मंत्री)

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय

 11. एस. जयशंकर (कैबिनेट मंत्री)

विदेश मंत्रालय

 12. रमेश पोखरियाल निशंक (कैबिनेट मंत्री)

मानव संसाधन विकास मंत्रालय

 13. थावर चंद गहलोत (कैबिनेट मंत्री)

सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण मंत्रालय

 14. अर्जुन मुंडा (कैबिनेट मंत्री)

आदिवासी मामलों का मंत्रालय

 15. स्मृति ईरानी (कैबिनेट मंत्री)

महिला एवं बाल विकास और कपड़ा मंत्रालय

 16. हर्षवर्धन (कैबिनेट मंत्री)

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, विज्ञान और प्रोद्योगिकी, भूविज्ञान मंत्रालय

 17. प्रकाश जावड़ेकर (कैबिनेट मंत्री)

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय

 18. पीयूष गोयल (कैबिनेट मंत्री)

रेलवे और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय

 19. धर्मेंद्र प्रधान (कैबिनेट मंत्री)

पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और इस्पात मंत्रालय

 20. मुख्तार अब्बास नकवी (कैबिनेट मंत्री)

अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय

 21. प्रह्लाद जोशी (कैबिनेट मंत्री)

संसदीय मामले, कोयला और खान मंत्रालय

 22. महेंद्र नाथ पांडेय (कैबिनेट मंत्री)

कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय

 23. अरविंद सावंत (कैबिनेट मंत्री)

भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उद्यम मंत्रालय

 24. गिरिराज सिंह (कैबिनेट मंत्री)

पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन मंत्रालय

 25. गजेंद्र सिंह शेखावत (कैबिनेट मंत्री)

जल शक्ति मंत्रालय

 26. संतोष गंगवार (राज्य मंत्री-स्वतंत्र प्रभार)

श्रम एवं रोजगार मंत्रालय

 27. राव इंद्रजीत सिंह (राज्य मंत्री-स्वतंत्र प्रभार)

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन और नियोजन मंत्रालय

 28. श्रीपद नाईक (राज्य मंत्री-स्वतंत्र प्रभार)

आयुष मंत्रालय (स्वतंत्र प्रभार), रक्षा मंत्रालय (राज्य मंत्री)

 29. जितेंद्र सिंह (राज्य मंत्री-स्वतंत्र प्रभार)

पूर्वोत्तर विकास (स्वतंत्र प्रभार), पीएमओ, कार्मिक, जनशिकायत और पेंशन, परमाणु उर्जा, अंतरिक्ष मंत्रालय (राज्य मंत्री)

 30. किरण रिजिजू (राज्य मंत्री-स्वतंत्र प्रभार)

युवा मामले एवं खेल (स्वतंत्र प्रभार), अल्पसंख्यक मामले (राज्य मंत्री)

 31. प्रह्लाद सिंह पटेल (राज्य मंत्री-स्वतंत्र प्रभार)

संस्कृति और पर्यटन (स्वतंत्र प्रभार)

 32. आरके सिंह (राज्य मंत्री-स्वतंत्र प्रभार)

बिजली, नवीन एवं नवीकरणीय उर्जा (स्वतंत्र प्रभार), कौशल विकास एवं उद्यमिता (राज्य मंत्री)

 33. हरदीप सिंह पुरी (राज्य मंत्री-स्वतंत्र प्रभार)

शहरी विकास और नागरिक उड्डयन मंत्रालय (स्वतंत्र प्रभार), वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय (राज्य मंत्री)

 34. मनसुख मंडाविया (राज्य मंत्री-स्वतंत्र प्रभार)

जहाजरानी (स्वतंत्र प्रभार), रसायन एवं उर्वरक (राज्य मंत्री)

 35. फग्गन सिंह कुलस्ते (राज्य मंत्री)

इस्पात राज्य मंत्री

 36. अश्विनी चौबे (राज्य मंत्री)

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री

 37. जनरल (रिटायर) वीके सिंह (राज्य मंत्री)

सड़क, परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री

 38. कृष्ण पाल गुज्जर (राज्य मंत्री)

सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण राज्य मंत्री

 39. दानवे रावसाहेब दादाराव (राज्य मंत्री)

उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री

 40. जी. किशन रेड्डी (राज्य मंत्री)

गृह राज्य मंत्री

 41. पुरुषोत्तम रुपाला (राज्य मंत्री)

कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री

 42. रामदास अठावले (राज्य मंत्री)

सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण राज्य मंत्री

 43. साध्वी निरंजन ज्योति (राज्य मंत्री)

ग्रामीण विकास राज्य मंत्री

 44. बाबुल सुप्रियो (राज्य मंत्री)

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री

 45. संजीव कुमार बलियान (राज्य मंत्री)

पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन राज्य मंत्री

 46. धोत्रे संजय शमराव (राज्य मंत्री)

मानव संसाधन विकास, संचार और इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री

 47. अनुराग सिंह ठाकुर (राज्य मंत्री)

वित्त और कॉरपोरेट मामलों के राज्य मंत्री

 48. सुरेश अंगादि (राज्य मंत्री)

रेल राज्य मंत्री

 49. नित्यानंद राय (राज्य मंत्री)

गृह राज्य मंत्री

 50. वी मुरलीधरन (राज्य मंत्री)

विदेश, संसदीय कार्य राज्य मंत्री

 51. रेणुका सिंह (राज्य मंत्री)

आदिवासी मामलों की राज्य मंत्री

 52. सोम प्रकाश (राज्य मंत्री)

वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री

 53. रामेश्वर तेली (राज्य मंत्री)

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री

 54. प्रताप चंद्र सारंगी (राज्य मंत्री)

सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम और पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन राज्य मंत्री

 55. कैलाश चौधरी (राज्य मंत्री)

कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री

 56. देबाश्री चौधरी (राज्य मंत्री)

महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री

57. अर्जुन राम मेघवाल (राज्य मंत्री)

संसदीय कार्य, भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उद्यम राज्य मंत्री

58. रतन लाल कटारिया (राज्य मंत्री)

जलशक्ति और सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण राज्य मंत्री

 

वेटनरी कॉलेज खोलना होगा आसान, एक्‍ट में संशोधन की तैयारी 

देश में पशु चिकित्‍सकों की कमी दूर करने के लिए केंद्र सरकार वेटनरी कॉलेज खोलने की प्रक्रिया को आसान बनाने जा रही है।

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नई दिल्‍ली। देश में पशु चिकित्‍सकों कमी को दूर करने के लिए केंद्र सरकार वेटनरी कॉलेज खोलने की राह आसान बनाने जा रही है। नए काॅलेज खाेलने के‍ लिए जमीन जैसे मानदंडों में छूट दी जाएगी। इसके लिए तीन दशक से ज्‍यादा पुराने भारतीय पशु चिकित्‍सा परिषद अधिनियम में संशोधन होगा। इस समय देश में पशु चिकित्‍सों की काफी कमी है और विश्‍व में मवेशियों की स
र्वाधिक आबादी होने के बावजूद पूरे भारत में सिर्फ 52 वेटनरी कॉलेज हैं। इनमें से भी 16 कॉलेज पिछले दो साल में खुले हैं।

कृषि एवं किसान कल्‍याण राज्‍य मंत्री डॉ. संजीव कुमार बालियान ने मंगलवार को ऑल इंडिया प्री-वेटेेनरी टेस्‍ट (एआईपीवीटी)- 2016 के परिणामों की घोषणा करते हुए बताया कि भारतीय पशुचिकित्‍सा परिषद अधिनियम, 1984 में संशोधन का प्रस्‍ताव रखा गया है ताकि नए काॅलेज खोलने की प्रक्रिया को सरल बनाया जा सके। बालियान का मानना है कि देश में पशु चिकित्‍सकों की कमी को दूर करने के लिए सरकारी और प्राईवेट कॉलेजों की संख्‍या बढ़ानी जरूरी है।

जमीन सहित कई मानकों में मिलेगी छूट 

फिलहाल वेटनरी कॉलेज खोलने के लिए संस्‍थान के पास 45 एकड़ कृषि भूमि होनी जरूरी है। संजीव बालियान का कहना है कि आजकल शहरों में इतनी जमीन मिलना मुश्किल है। इतने सख्‍त मानदंडों के चलते निजी क्षेत्र के लोग वेटनरी कॉलेज खोलने के लिए आगे नहीं आ पाते हैं। उम्‍मीद है कि आईवीसी एक्‍ट में संशोधन के बाद नए कॉलेज खोलने की राह आसान हो जाएगी।

दो साल में खुले 16 नए कॉलेज

वर्ष 2014 तक देश में कुल 36 वेटनरी कॉलेज थे। जबकि पिछले दो वर्षो के दौरान 16 नए वेटनरी कॉलेज खोले गए हैं। इनमें निजी क्षेत्र के दो और 14 सरकारी कॉलेज हैं। पिछले दो साल में वेटनरी कॉलेजों में सीटों की संख्‍या 2311 से बढ़ाकर 3427 कर दी गई है।

 

 

कृषि मंत्रालय से बालियान की छुट्टी, अब 4 मंत्री करेंगे किसान कल्‍याण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रियों को ताश के पत्‍तों की तरह फेट दिया है। 19 नए चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है जबकि स्‍मृति ईरानी जैसे कई दिग्गजों के विभाग बदले गए। लेकिन जैसी उम्‍मीद जताई जा रही थी कृषि राज्‍य मंत्री संजीव बालियान को न तो कैबिनेट मंत्री बनाया गया है और न ही स्‍वतंत्र प्रभार मिला है। अलबत्‍ता, उन्‍हें कृषि मंत्रालय से हटाकर जल संसाधन जैसे लो-प्रोफाइल मंत्रालय में जरूर भेज दिया गया है। इसका सीधा मलतब यह निकाला जा रहा है कि पीएम मोदी कृषि मंत्रालय में संजीव बालियान के कामकाज से खुश नहीं थे। बालियान के अलावा एक अन्‍य राज्‍य मंत्री गुजरात के मोहनभाई कल्याणजी भाई कुंंदारिया की भी कृषि मंत्रालय से छुट्टी हो गई है। कुंदारिया भी दिल्‍ली या गुजरात में कुछ खास नहीं कर पाए थे। बालियान और कुंदारिया की जगह कृषि मंत्रालय में 3 नए राज्‍य मंत्री बनाए गए हैं। इस तरह किसान कल्‍याण का जिम्‍मा एक-दो नहीं बल्कि चार-चार मंत्रियों पर रहेगा।

मंत्रिमंडल में हुए व्‍यापक फेरबदल के बावजूद कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह इस बार भी बच गए हैं। न उनका मंत्रालय बदला और रुतबा कम हुआ है।

ग्रामीण विकास से बीरेंद्र सिहं की विदाई, घटा जाट नेताओं का कद 

5ZkwjoKzहरियाणा के जाट नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह की ग्रामीण विकास मंत्रालय से विदाई हो गई है। भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर सरकार की नाकामी के बाद से ही उन पर तलवार लटक रही थी। मोदी सरकार में ग्रामीण विकास जैसे अहम मंत्रालय के बजाय बीरेंद्र सिंह को इस्‍पात मंत्रालय की जिम्‍मेदारी दी गई है। इस तरह देखा जाए तो मोदी मंत्रिमंडल में दोनों जाट नेताओं का रुतबा घटा है। किसान और ग्रामीण पृष्‍ठभूमि वाले बीरेंद्र सिंंह और संजीव बालियान को ग्रामीण विकास और कृषि जैसे मंत्रालय वापस ले लिए हैं।

मोदी मंत्रिमंडल में बीरेंद्र सिंह और संजीव बालियान के रुतबे में आई कमी को हरियाणा और पश्चिमी यूपी की राजनीति से जोड़कर भी देखा जा सकता है। हरियाणा में जाट आंदोलन से निपटने में बीरेंद्र सिंह की भूमिका से पार्टी को कोई खास मदद नहीं मिली पाई थी। राज्‍य के राजनैतिक समीकरण भी उनके खिलाफ गए।

पश्चिमी यूपी की राजनीति में संजीव बालियान की सक्रियता और विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मंत्रिमंडल में उनका कद बढ़ने की अटकलें लगाई जा रही थी। बालियान की कृषि मंत्रालय से विदाई और स्‍वतंत्र प्रभार भी न नहीं मिलना काफी अप्रत्‍याशित रहा है। संवारलाल जाट के इस्‍तीफे के बाद जातीय संतुलन बनाए रखने के लिए राजस्‍थान के जाट नेता सीआर चौधरी को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है।

बच गए राधा मोहन, अब कृषि मंत्रालय में 4 मंत्री 

22-ss-ahluwalia-300कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह अपनी कुर्सी बचाने में कामयाब रहे हैं। उन्‍हें कृषि मंत्रालय से हटाए जाने की काफी अटकलें लगाई जा रही थींं। लेकिन अपनी किसान विरोधी छवि से चिंतित मोदी सरकार ने कृषि मंत्रालय में 3 नए राज्‍य मंत्री बनाए हैं। ये नए कृषि राज्‍य मंत्री हैं – एसएस अहलूवालिया, पुरुषोत्‍तम रूपाला और  सुदर्शन भगत।
6E3-k9W9सुरेंद्रजीत सिंह (एसएस) अहूलवालिया पश्‍चिम बंगाल की दार्जिलिंग सीट से भाजपा सांसद हैं। वह पीवी नरसिम्‍हाराव की कांग्रेस सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं।कांग्रेस से मोहभंग हाने के बाद उन्‍होंने भाजपा का दामन थामा था। फिलहाल वह भाजपा के राष्‍ट्रीय उपाध्‍यक्ष हैं।
imagesपुरुषोत्‍तम रूपाला गुजरात के कडवा पाटीदार समुदाय से ताल्‍लुक रखते हैं और पीएम मोदी के करीब माने जाते हैं। संगठन में रहते हुए रूपाला ने पाटीदार आरक्षण आंदोलन से सीधी टक्‍कर ली थी। वह गुजरात में कृषि मंत्री रह चुके हैं और उन्‍हें हाल ही में राज्‍य सभा में लाया गया था।

सुदर्शन भगत झारखंड से नक्‍सल प्रभावित लोहरदगा से सांसद हैं। वे साफ छवि और विवादों से दूर रहने वाले नेता माने जाते हैं। इससे पहले वह ग्रामीण विकास मंत्रालय में राज्‍य मंत्री थे।