परेशानियों का बोझ हद से गुजरा तो पंजाब के किसानों ने अपनी बात राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी तक पहुंचाने के लिए अनूठा तरीका निकाला। बुधवार को दो बैलगांड़ियों में लादकर किसानों ने अपने ज्ञापन राष्ट्रपति को भेजे। इन ज्ञापनों पर करीब डेढ़ लाख किसानों के हस्ताक्षर हैं। भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) की ओर से किसानों के इन ज्ञापनों को पंजाब राज भवन पहुंचाया गया। इस मौके पर चंडीगढ़ के पास किसानों की एक सभा भी बुलाई गई जिसे कई किसान नेताओं ने संबोधित किया।
प्रदर्शनकारी किसानों को संबोधित करते हुए कृषि नीति के विशेषज्ञ देविंदर शर्मा ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों की तर्ज पर किसानों को भी आमदनी की मांग करनी चाहिए। सातवें वेतन आयोग को पूरी तरह लागू करने पर 4.8 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त सालाना खर्च आ सकता है। इनता पैसा कहां से आएगा इस पर कोई सवाल खड़ा नहीं हो रहा है, इससे देश का घाटा कितना बढ़ेगा इस पर कोई बात नहीं हो रही है। लेकिन जैसे ही किसान की धान और गेहूं जैसी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 50 रुपये प्रति कुंंतल भी बढ़ेगा तो महंगाई को लेकर हाय-तौबा मचनी शुरू हो जाएगी। इस तरह किसानों को खाद्यान्न उगाने और देश का पेट भरने का खामियाजा उठाना पड़ रहा है।