किसानों की युवा पीढ़ी ने ट्विटर पर दिखाई अपनी ताकत

2019 के लोकसभा चुनावों में विपक्ष जहां ‘चौकीदार चोर है’ के नाम से अभियान चला रहा तो इसके जवाब में केंद्र की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी ने ‘मैं भी चौकीदार’ अभियान चला रखा है। इसके तहत सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत उनके तमाम मंत्रियों, भाजपा नेताओं और पार्टी के समर्थकों ने ट्विटर पर अपने नाम से पहले चौकीदार शब्द जोड़ लिया है। भाजपा के लोग मिलकर इसे ट्विटर पर ट्रेंड भी करा रहे हैं।

अब सरकार की नाकामियों के लिए देश के आम लोग भी इसी तरीके को अपना रहे हैं। बीते दिनों किसानों की समस्याओं को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश में कुछ युवा किसानों के एक समूह ने ट्विटर पर ‘कर्जदार किसान’ हैशटैग करा दिया।

जिस ट्विटर का इस्तेमाल राजनीतिक दल के लोग अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए करते आए हैं, उसका बहुत अच्छा इस्तेमाल कुछ युवा किसानों ने किया। इनकी कोशिशों का नतीजा यह हुआ कि ट्विटर पर दो-तीन दिनों तक ‘कर्जदार किसान’ सबसे अधिक ट्रेंड में रहे हैशटैग में से एक रहा।

इसके जरिए इन युवा किसानों ने ट्विटर के माध्यम से लोगों का ध्यान किसान और किसानी की समस्याओं की ओर खींचने की कोशिश की। इसके जरिए इन लोगों बताया कि कैसे मौजूदा केंद्र सरकार खेती-किसानी की समस्याओं के समाधान में नाकाम रही है।

इस दौरान कर्जदार किसान हैशटैग के साथ हुए हजारों ट्विट के जरिए देश में किसानों द्वारा की जा रही खुदुकुशी, सूखे की मार झेल रहे किसानों की समस्या और उपज का पर्याप्त नहीं मिलने जैसी समस्याओं को भी लोगों के सामने लाने में इन्हें सफलता हासिल हुई। इससे वैसे लोगों को भी किसानों की समस्याओं के बारे में पता चला जिन्हें इस बारे में कुछ खास मालूम नहीं था।

कर्जदार किसान हैशटैग के साथ बड़ी संख्या में ऐसे ट्विट हुए जिनमें यह बताया गया कि किसानों की कर्ज की समस्या कितनी विकराल है। यह बात सामने आई कि किसानों को संस्थागत कर्ज देने के दावे कितने खोखले हैं और किसानों को अब भी अपनी छोटी-मोटी जरूरतों को पूरा करने के लिए स्थानीय साहूकारों से अधिक ब्याज दर पर कर्ज लेने के लिए बाध्य होना पड़ता है। यह मांग भी उठी कि स्वामिनाथन आयोग की रिपोर्ट को ठीक से लागू किया जाए।

कर्जदार किसान हैशटैग ट्रेंड करने के बाद ट्विटर पर कई युवा किसानों और किसानों की समस्याओं से हमदर्दी रखने वाले कई लोगों ने अपने नाम के आगे ‘कर्जदार किसान’ उसी तरह जोड़ लिया जिस तरह भाजपा के नेताओं ने अपने नाम के आगे ‘चौकीदार’ शब्द जोड़ लिया है। अपने नाम के आगे कर्जदार किसान जोड़ने वाले लोग किसानों से यह अपील करते हुए नजर आए कि किसी राजनीतिक दल के पक्ष में खड़ा होने के बजाए किसान खुद को जागरूक करने पर अधिक ध्यान दें।

किसानों के हक और हित में काम करने वाले आम किसान यूनियन के सामाजिक कार्यकर्ता राम इनानिया ने ट्विट किया कि अब किसान के एक हाथ में ट्रैक्टर का स्टीयरिंग है तो दूसरे हाथ में ट्विटर हैंडल। उन्होंने यह भी बताया कि 22 मार्च, 2019 को शाम पांच बचे ट्विटर पर कई जगहों से किसान एक साथ ट्विटर पर सक्रिय हुए और हमने कर्जदार किसान हैशटैग ट्रेंड कराया। किसानों ने अपने खेतों में बैठकर, ट्रैक्टर पर बैठकर और बाजार की मंडियों में अपना उत्पाद बेचने के इंतजार में बैठे हुए ट्विट करना शुरू कर दिया।

मान तो यह भी जा रहा है कि ऐसा करके युवा किसानों ने राजनीतिक दलों को अपनी ताकत का अहसास कराया है और उन्हें यह संदेश देने की कोशिश की है कि अगर किसान और किसानी की समस्याओं के समाधान की बात उन्होंने नहीं की तो इसका खामियाजा उन्हें लोकसभा चुनावों में भुगतना पड़ सकता है।

किसान ऋण मुक्ति: नितिन गडकरी ऐसे दूर करना चाहते हैं कृषि संकट

गडकरी का कहना है कि सिर्फ गेहूं और धान से किसान का भला होने वाला नहीं है। किसानों को नई तकनीक और नए उद्यमों की राह पकड़नी होगी। सिर्फ खेती से गांव की इकनॉमी नहीं चलेगी।

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कृषि संकट और कर्ज के जंजाल से जूझ रहे किसानों को केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कई बिजनेस मंत्र सुझाएंं हैं। गडकरी का कहना है कि सिर्फ गेहूं और धान जैसे परंपरागत फसलों से किसान का भला होने वाला नहीं है। बाजार की नब्‍ज पहचानते हुए किसानों को नई तकनीक और नए उद्यमों की राह पकड़नी होगी। सिर्फ खेती से गांव की इकनॉमी नहीं चलेगी।

काउंसिल फॉर सोशल डेवलपमेंट, सेंटर फॉर एग्रीकल्‍चरल पॉलिसी डायलॉग और स्‍वाभिमानी शेतकारी संगठन की ओर से किसानों को कर्ज से मुक्ति दिलाने के मुद्दे पर मंगलवार को नई दिल्‍ली में आयोजित परिचर्चा में गडकरी ने जोर दिया कि देश के कई इलाकों में किसान इनोवेशन और उद्यमिता के जरिये अपनी तकदीर बदल रहे हैं। केंद्र सरकार भी कृषि उत्‍पादकता दोगुना करने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। लेकिन इसके लिए सबसे जरुरी है पानी की समस्‍या को हल करना। इसलिए सरकार 80 हजार करोड़ रुपये की त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीपी) समेत विभिन्न योजनाओं के जरिए 2 हेक्‍टेयर भूमि को सिंचाई के दायरे में लाने का प्रयास कर रही है। इसके अलावा प्रधानमंत्री सिंचाई योजना के तहत भी 20 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। गौरतलब है कि फिलहाल देश की करीब 46 फीसदी कृषि योग्य भूमि ही सिंचित है।

किसानों के कर्ज के जाल में फंसे होने और आत्‍महत्‍याओं पर अफसोस जताते हुए गडकरी ने कहा कि कहा, वह दिल्ली में किसानों के लॉबिस्ट हैं। किसानों की आवाज़ दिल्ली, मुम्बई तक पहुँच नहीं पाती। कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए उन्‍होंने कई आइडिया दिए हैं।

विदर्भ में होगी अमूल की एंट्री 

वरिष्‍ठ केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि देश की प्रमुख डेयरी कॉपरेटिव अमूल महाराष्ट्र् के सूखाग्रस्त विदर्भ क्षेत्र में 400 करोड़ रुपये की परियोजना स्थापित करना चाहती है। उन्‍होंने अमूल से विदर्भ में डेयरी शुरू करने का अनुरोध किया था। जिसके बाद इस दिशा में काम चल रहा है। गडकरी का कहना है कि अमूल के सहयोग से विदर्भ में दुग्ध उत्‍पादन चार से पांच गुना बढ़ सकता है।

सड़क किनारे वृक्षरोपण से मिलेगा रोजगार 

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि सड़क निर्माण में भी किसानों के लिए रोजगार के मौके आएंगे। करीब 1500 किमी. राजमार्गों के किनारे वृक्षारोपण की योजना है। इसके जरिये स्‍थानीय लोगों को आय के अवसर मुहैया कराए जाएंगे।