पूर्वी उत्तर प्रदेश का यह प्रयोग पूरे देश के किसानों के लिए एक सबक है

  गृहस्थ ट्विटर पेज

पूर्वी उत्तर प्रदेश के भदोही जिले में एक गांव के किसानों ने ऐसा प्रयोग किया है जो देश के दूसरे हिस्सों के किसानों के लिए एक सबक है। भदोही जिला बनारस से सटा हुआ है। भदोही जिले के बड़गांव के किसानों ने ‘गृहस्थ’ के नाम से एक ऐसा स्टार्ट अप शुरू किया है कि जो न सिर्फ किसानों से उनके उत्पाद खरीदता है बल्कि इसकी पैकिंग से लेकर आपूर्ति का काम करता है।

दरअसल, इस बदलाव के बारे में कुछ दिनों पहले हिंदुस्तान टाइम्स में एक खबर प्रकाशित हुई। इसमें यह बताया गया कि इस प्रयोग की शुरुआत कुछ महीने पहले तब हुई जब गांव की एक महिला किसान जूही सिंह ने इस दिशा में काम करना शुरू किया। उन्हें लगा कि अगर यहां के किसानों की स्थिति सुधारनी है और आसपास के ग्राहकों को खाने के लिए शुद्ध और बेहतर गुणवत्ता वाला अनाज उपलब्ध कराना है तो इसके लिए कुछ किया जाना चाहिए।

उन्होंने गांव के कुछ किसानों से इस बारे में बात की। शुरुआत में उनके साथ गांव के कुछ किसान जुड़े। शुरुआत में इनकी संख्या 50 के आसपास थी। इसके बाद इन लोगों ने ‘गृहस्थ’ के नाम से एक कृषि स्टार्ट अप रजिस्टर कराया। धीरे-धीरे इनकी यह कोशिश रंग लाने लगी और आज स्थिति यह है कि इनके साथ आसपास के क्षेत्रों के तकरीबन 200 किसान जुड़ गए हैं। इसमें अधिकांश छोटे और सीमांत किसान हैं।

अब सवाल उठता है कि इस स्टार्ट अप के जरिए किसानों का सशक्तिकरण कैसे किया जा रहा है। इस समूह के साथ जो किसान जुड़े हैं, वे कई तरह के अनाज और मसालों का उत्पादन करते हैं। इनमें गेहूं, चावल, मक्का, जौ, दाल, धनिया, लहसन, प्याज आदि शामिल हैं। किसान जो उत्पाद पैदा करते हैं, उसे गृहस्थ स्टार्ट अप खरीद लेता है।

इसने एक केंद्र बनाया है। इस केंद्र पर इन उत्पादों की छंटाई होती है। इसके बाद इसे पैक किया जाता है। इस केंद्र पर यह काम भी गांव की महिलाएं ही करती हैं। इसके लिए बाकायदा यहां कुछ मशीन लगाए गए हैं और इन महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया है। इससे गांव की महिला किसानों को रोजगार भी मिल रहा है और उनकी अतिरिक्त आमदनी भी होती है।

इन सबके साथ आसपास के चार जिलों में इन उत्पादों की आपूर्ति के लिए एक आॅनलाइन पोर्टल के जरिए ऑर्डर लिया जाता है। आॅर्डर मिलने के बाद ग्राहकों को इन उत्पादों की डिलिवरी की जाती है। इस काम में गांव के पुरुष लगते हैं। इस तरह से उन्हें भी कृषि के अतिरिक्त रोजगार मिला है और इससे उन्हें अतिरिक्त आमदनी भी हो रही है।

सबसे अच्छी बात इस प्रयोग की यह है कि किसानों को उनके उत्पाद का अच्छा दाम मिल रहा है। आम तौर पर ‘गृहस्थ’ उनके उत्पाद उस दर पर खरीदता है जो न्यूनतम समर्थन मूल्य और बाजार भाव से अधिक होती है। इससे भी किसानों की आमदनी बढ़ रही है। फिर महिला किसानों को पैकिंग में रोजगार मिल रहा है और पुरुषों को डिलिवरी में। इसके अलावा गृहस्थ को अंत में जितना मुनाफा होता है, उसमें भी किसानों को हिस्सेदारी दी जाती है।

इस तरह से इन किसान परिवारों के लिए कृषि एक फायदे का काम हो गया है। इससे ग्राहकों को भी ये लाभ हो रहा है कि उन्हें शुद्ध और बेहतर गुणवत्ता वाले उत्पाद खाने के लिए मिल जा रहे हैं। ग्राहकों तक अपनी पहुंच बनाने के लिए गृहस्थ ने वेबसाइट बनाने के अलावा फेसबुक पेज और ट्विटर पेज भी बनाया है। गृहस्थ के उत्पादों की आपूर्ति भदोही के अलावा बनारस, मिर्जापुर और चंदौली में की जा रही है।

इस प्रयोग ने यह दिखाया है कि अगर किसानों की थोड़ी मदद कर दी जाए और उन्हें एक दिशा दे दी जाए तो वे खुद ही खुद को मजबूत करते हुए कृषि को एक लाभकारी कार्य बना सकते हैं। यहां के किसानों को यह मदद मुहैया कराने का काम स्काॅटलैंड के क्वीन माग्र्रेट यूनिवर्सिटी काॅलेज में पढ़ी डाॅ. दीप्ति ने किया। उन्होंने इसके रजिस्ट्रेशन से लेकर जरूरी उपकरण लगाने और प्रशिक्षण तक में यहां के किसानों की मदद की।