जिम, बार, क्लब हाउल, रेस्टोरेंट्स, मॉल्स तो खोल दिए, लेकिन शिक्षण संस्थानों से ऐसा क्या बैर!

 

कोरोना महामारी के चलते हरियाणा सरकार ने प्रदेश में जारी लॉकडाउन को 28 जून तक बढ़ा दिया है. कोरोना की नई गाइडलाइन को लेकर छात्रों को उम्मीद थी कि इस बार शिक्षण संस्थानों को खोला जाएगा लेकिन सरकार द्वारा जारी नई गाइडलाइन में भी शिक्षण संस्थानों को खोलने की कोई छूट नहीं दी गई है. शिक्षण संस्थानों को खोले जोने की मांग को लेकर कईं छात्र संगठनों ने विरोध-प्रदर्शन किया. 

बता दें कि लॉकडाऊन के नये नियमों को अनुसार जिम, बार, क्लब हाउल, रेस्टोरेंट्स, मॉल्स, कॉरपोरेट ऑफिस आदि को खोलने की छूट दी गई है. वहीं साथ ही शादियों, अंतिम संस्कार, व धार्मिक स्थानों में भी भीड़ की संख्या को बढा़या दिया गया है. ऐसे में छात्र सरकार पर सवाल उठा रहे हैं कि जब बारी-बारी से सभी संस्थानों को खोला जा रहा है तो फिर शिक्षण संस्थानों को बंद क्यो रखा जा रहा है. 

छात्र एकता मंच (हरियाणा) ने सरकार के इस फैसले का विरोध जताते हुए बयान में कहा, “ हम सरकार के शिक्षा विरोधी फरमान का विरोध करते हैं और जल्द-से-जल्द सभी शिक्षण संस्थानों को पूर्ण रूप से खोलने की मांग करते हैं. सभी संस्थानों को खोला जा रहा है जबकि कॉलेज, यूनिवर्सिटी, आईटीआई, कोचिंग सेंटर व प्रशिक्षण केंद्रो को बंद रखा गया है. पिछले डेढ़ साल से बंद पड़े कॉलेज, यूनिवर्सिटी व अन्य शिक्षण संस्थानों के कारण छात्र-छात्राओं को भारी नुकसान हुआ है. इस तालाबंदी से शिक्षा के स्तर में भी भारी गिरावट आई है.”

प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स फ्रंट ने भी शिक्षण संस्थानों को खोले जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया. प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स फ्रंट की उपाध्यक्ष चाहना ने बताया, “जब से कोरोना महामारी आई है कॉलेज-यूनिवर्सिटी समेत सभी शिक्षण संस्थान को बन्द कर दिया गया है. ऑनलाइन शिक्षा के नाम पर छात्र-छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. ऑनलाइन क्लास के द्वारा पाठ्यक्रम पूरा करने की लीपापोती ही की गई है.

वहीं एमडीयू के दिशा छात्र संगठन ने भी शिक्षण संस्थान खोले जाने को लेकर सरकार और प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन किया. दिशा छात्र संगठन ने कहा, “मोदी और खट्टर सरकार छात्रों के हितों को नजरन्दाज कर रही हैं. सरकार और शिक्षण संस्थान छात्रों के हितों को धत्ता बताकर कॉलेज-विश्वविद्यालयों को लठतन्त्र से चला रहे हैं.”

छात्रों ने सरकार पर ऑनलाइन शिक्षा एजेंडे को थोपने का आरोप लगाते हुए कहा, “शिक्षण संस्थानों की तालाबंदी कर सरकार ने अपने ऑनलाइन शिक्षा के एजेंडे का एक्सपेरिमेंट किया है जो पूरी तरह से विफल रहा है. इस विफलता के बावजूद भी सरकार इसे छात्र-छात्राओं पर थोपना चाहती है. सरकार सभी शिक्षण संस्थानों को बंद कर देना चाहती। ऐसा करने से सरकार को न ही संस्थानों को बजट देना पड़ेगा और न ही शिक्षकों की भर्ती करनी पड़ेगी.”

छात्रों ने शिक्षण संस्थानों को खोले जाने के साथ इस साल निशुल्क दाखिला दिया जाने और कोरोना महामारी के दौरान बढ़ाई गयी सभी कोर्सों की फीस बढ़ोतरी को वापस लिया जाने की भी मांग की. शिक्षण संस्थानों को खोलने की मांग न माने जाने पर छात्र संगठनों ने आंदोनल की चेतावनी दी.