भारत में अभिव्यक्ति की आजादी पर बढ़ता संकट: 2025 में 14,800 से अधिक उल्लंघन, 8 पत्रकारों की हत्या!

 

भारत में वर्ष 2025 के दौरान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर गंभीर हमले सामने आए हैं. एक ताज़ा अध्ययन के अनुसार, इस साल देशभर में 14,800 से अधिक मामलों में फ्री स्पीच का उल्लंघन दर्ज किया गया. रिपोर्ट बताती है कि इन मामलों में 117 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जबकि आठ पत्रकारों की हत्या हुई, जिससे प्रेस की सुरक्षा और लोकतांत्रिक अधिकारों पर गहरी चिंता पैदा हुई है.

रिपोर्ट के मुताबिक, पत्रकारों को निशाना बनाए जाने की घटनाएं लगातार बढ़ी हैं. दर्ज हमलों में से बड़ी संख्या सीधे तौर पर पत्रकारों से जुड़ी हुई थी. कई मामलों में पत्रकारों को उनके काम के कारण धमकियाँ, उत्पीड़न और कानूनी कार्रवाइयों का सामना करना पड़ा.

अध्ययन में यह भी सामने आया है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के लिए कानूनी प्रावधानों का दुरुपयोग, सेंसरशिप, कंटेंट हटाने के आदेश, गाग ऑर्डर, शैक्षणिक संस्थानों में प्रतिबंध और इंटरनेट नियंत्रण जैसे कदमों का व्यापक इस्तेमाल किया गया. केवल इंटरनेट से जुड़े नियंत्रण के ही 3,000 से अधिक मामले दर्ज हुए

राज्यों के स्तर पर देखें तो कुछ राज्यों में उल्लंघनों की संख्या अपेक्षाकृत अधिक पाई गई. रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात, उत्तर प्रदेश और केरल जैसे राज्यों में अभिव्यक्ति की आजादी से जुड़े मामलों की संख्या चिंताजनक रही.

विशेषज्ञों और प्रेस संगठनों का कहना है कि ये आंकड़े लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी हैं. उनका मानना है कि पत्रकारों और आम नागरिकों को बिना डर के अपनी बात कहने का अधिकार मिलना चाहिए, और इसके लिए सरकार तथा संस्थानों को ठोस कदम उठाने होंगे.