सरकार का चौंकाने वाला जवाब कहा पिछले 5 साल में एक भी सीवर सफाईकर्मी की मौत नहीं!

 

28 जुलाई को राज्यसभा में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री रामदास आठवले ने सफाईकर्मियों की मौत से जुड़े सवाल के जवाब में कहा कि देश में पिछले 5 साल में हाथ से नाला साफ करने वाले एक भी सफाईकर्मी की मौत नहीं हुई है.

राज्यसभा सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे और डॉ एल हनुमनथप्पा ने सफाईकर्मियों से संबंधित पांच सवाल पूछे जिसका सामाजिक न्याय मंत्रालय की ओर से लिखित जवाब दिया गया.

सामाजिक न्याय मंत्रालय से सवाल किया गया कि पिछले पांच साल में सीवर सफाई का काम करने वाले कितने लोगों की मौत हुई है?

सामाजिक न्याय मंत्रालय की ओर से आया जवाब चौंकाने वाला रहा. मंत्रालय ने लिखित जवाब दिया कि पिछले 5 साल में हाथ से नाला साफ करने के काम में लगे किसी भी सफाईकर्मी की मौत नहीं हुई है.

दरअसल सरकार ने सीवर साफ करने वाले और सेप्टिक टैंक में उतरकर काम करने वाले कर्मचारियों को हाथ से नाला साफ करने वाले कर्मचारियों की श्रेणी में नहीं रखा है.

वहीं सरकार की ओर से लोकसभा में फरवरी, 2021 में पेश किए गये आंकड़ों के अनुसार पिछले 5 साल में सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई करते हुए 340 सफाईकर्मियों की मौत हुई है. ये 340 मौतें 31 दिसंबर 2020 तक की हैं.  

मैनुअल स्कैवेंजिंग (हाथ से नाला साफ करना) एक्ट, 2013 के अनुसार केवल उसी सफाईकर्मी को इस श्रेणी में रखा जाएगा जो स्थाई कर्मचारी होगा लेकिन वहीं दूसरी ओर सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के लिए अधिकतर सफाई कर्मचारी ठेके पर रखे जाते हैं. इसलिए जिन सफाई कर्मियों की सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई करते हुए मौत होई है उनकों सरकारी आंकड़ों से बाहर रखा गया हैं. ठेके पर काम करने वाले सफाईकर्मियों को सरकार की ओर से किसी तरह की सरकारी सहायता नहीं दी जाती है.   

एक्ट के अनुसार अगर कोई सफाईकर्मी सभी सुरक्षा यंत्रों के साथ सेप्टिक टैंक में सफाई के लिए उतरता है तो उसको भी हाथ से नाला साफ करने वाले सफाईकर्मियों की श्रेणी में नहीं रखा जाएगा.

वहीं सरकार के ही सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग ने भी 2020 में अपनी रिपोर्ट जारी की थी. राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग की रिपोर्ट के अनुसार 2010 से लेकर 2020 तक यानी दस साल में सेप्टिक टैंक और सीवर की सफाई के दौरान 631 सफाईकर्मियों की मौत हुई है.

वहीं जब इस मामले पर राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग की सदस्य अंजना पंवार से बात की तो उनको मामले की जानकारी ही नहीं थी जिसके बाद उनकी ओर से किसी अन्य सदस्य का फोन आया. उन्होंने कहा, “किसी भी स्थाई कर्मचारी से सीवर की सफाई नहीं करवाई जाती है. सभी नालों की सफाई मशीनों से होती है. हां, लॉकल स्तर पर कुछ ठेकेदार लोगों को पैसे का लालच देकर सीवर साफ करवाने का काम करते हैं. आयोग ऐसे ठेकेदारों के खिलाफ सख्ती से पेश आता है. इस तरह आधिकारिक तौर पर देखा जाए तो सफाईकर्मियों की मौत नहीं हुई है.”

सामाजिक कार्यकर्ता विक्की चिनालिया ने सरकार के इस रुख पर आपत्ति जताते हुए कहा, “सरकार की ओर से यह कहना कि पिछले 5 साल में किसी भी सफाईकर्मी की मौत नहीं हुई, बहुत दुखद है. सरकार के इस बयान से पता चलता है कि सरकार सफाईकर्मियों को लेकर संवेदनशील नहीं है.