तोशाम के डाडम में फिर हुए दो हादसे, दो दिन में दो मौत और प्रशासन मौन

 

बीती 24 अप्रैल, इतवार के दिन भिवानी के डाडम खनन क्षेत्र में पहाड़ गिरने के कारण दो मजदूरों की मौत हो गई और एक मजदूर गंभीर रूप से घायल हो गया. पीड़ितों की पहचान ड्रिल मशीन ऑपरेटर का काम करने वाले गांव के ही निवासी सोनू कुमार (35) और खनन क्षेत्र में ड्राइवर का काम करने वाले भिवानी जिले के दुल्हेड़ी गांव के भीम सिंह के रूप में हुई है.

इतवार को काम के दौरान पहाड़ के नीचे दब गए सोनू की सात महीने पहले शादी हुई थी और वह अपने परिवार में अकेला ही कमाने वाला था. पत्थरों के नीचे दबे सोनू को हिसार के एक निजी अस्पताल में ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. उससे एक दिन पहले शनिवार को भीम सिंह की भी पत्थरों के तले दबने की इसी तरह की घटना के कारण खदान में मौत हो गई थी.

इस मामले में डाडम निवासी जयपाल कुमार, जिनके खेत खनन क्षेत्र के पास हैं, ने तोशाम पुलिस स्टेशन में ठेकेदारों के खिलाफ औपचारिक शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें उन्होंने अंधाधुंध अवैध खनन के कारण हुई मौतों का आरोप लगाया. जयपाल ने पत्रकारों को बताया, “1 जनवरी की घटना के बाद, डाडम खनन क्षेत्र के एक हिस्से को खतरनाक घोषित कर बंद कर दिया गया था, लेकिन कंपनी ने प्रतिबंधित गड्ढे संख्या 12 पर अवैध रूप से खनन कार्य जारी रखा.

ठेका कंपनी गोवर्धन माइंस के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि ताजा घटनाएं उनके खेतों के काफी नजदीक हुईं हैं और कंपनी मजदूरों से बिना सुरक्षा उपकरण के काम करवा रही है. सभी कानूनों का पालन करने का दावा करने वाली कंपनी के झूठ को पकड़ने के लिए उनकी सही से जांच होनी चाहिए.

खनन में ही काम करने वाले एक मजदूर ने बताया,  “खनन कंपनी ने दो मृतकों के परिवारों को उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं करने के बदले में मोटी रकम देने की बात कर रही है. सोनू, पिछली बार, जब नए साल पर पहाड़ गिरा तो बच गया था. उस दौरान पांच मजदूरों की मौत हुई थी. लेकिन इस बार मौत ने उसे लील लिया. हम हर वक्त मौत के मुंह में खड़े होकर काम कर रहे हैं.”

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार हरियाणा के खनन मंत्री मूलचंद शर्मा ने बताया है कि ठेका कंपनी ने एक जनवरी की घटना में मारे गए लोगों के परिजनों को 10 लाख रुपये से 15 लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की थी.

इस साल एक जनवरी को हुई घटना के बाद भिवानी के तोशाम क्षेत्र में खनन क्षेत्र के उस हिस्से में खान एवं सुरक्षा महानिदेशालय द्वारा सभी कार्य गतिविधियों पर रोक लगा दी गई थी, जिसकी भरपाई के लिए ठेकेदार खुले क्षेत्रों में सुरक्षा नियमों की अनदेखी कर आक्रामक रूप से पहाड़ी की खुदाई कर रहे हैं. गांव वालों ने यह भी बताया कि 19 अप्रैल को एक पोपलैन मशीन पर एक पत्थर गिर गया था और उसे कुचल दिया था, लेकिन गनीमत रही कि घटना के वक्त चालक वाहन के अंदर नहीं था.

पत्रकारों ने भिवानी के उपायुक्त आरएस ढिल्लों से बार बार संपर्क करने के प्रयास किए, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया.

गौरतलब है कि तोशाम खनन क्षेत्र में बीती 1 जनवरी को डाडम पहाड़ के पिट नंबर 37-38 में भारी हादसा हुआ था, जिसमें पहाड़ के दरकने की वजह से 10 से अधिक मजदूर दब गए थे, जिनमें पांच की मौत हो गई थी, जबकि कई अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए थे. उस समय डाडम पहाड़ के माइनिंग माफिया 4 पोकलेन, 2 ड्रिल, अनेकों डंपर और बहुत सारे माइनिंग के कर्मचारियों से 40 मीटर के खतरनाक बेंच के नीचे गैरकाननूनी ढंग से जबरदस्ती काम करवा रहे थे.

भिवानी जिला के खानक और डाडम के डाडम पहाड़ में अवैध तरीके से माइनिंग काफी समय से जारी है. डाडम में अवैध खनन के विरोध में काम कर रहे एक एक्टिविस्ट ने पत्रकार राजेश कुंडु से बातचीत करते हुए बताया,” जिस प्रकार अनसाइंटिफिक तरीके से डाडम में खनन हो रहा था इसकी लिखित में शिकायत वहां के तत्कालिक जिला उपायुक्त, पुलिस अधीक्षक, माइनिंग इंजीनियर और डायरेक्टर माइन्स को कई बार दे चुका हूं, लेकिन कार्यवाही के नाम पर मात्र लीपापोती की गई. मैंने उन्हें लिखित में आगाह किया था कि जिस तरीके से खनन हो रहा है कभी भी पहाड़ दरक कर कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है लेकिन इस पर कोई भी कार्यवाही नहीं की गई जिसका अंजाम इस साल हुए अनेकों हादसों के रूप में बहुत सारे परिवारों को भुगतना पड़ रहा है. इस माइनिंग के खेल में लगभग दस से ज्यादा बड़े खिलाड़ी शामिल है जिनमें माफिया के अलावा सत्ता पक्ष, विपक्ष के नेता एवं दिल्ली में बैठे कुछ बहुत ही शक्तिशाली लोग भी है.”