मणिपुर हिंसा के बीच घर वापस लौटने को मजबूर हुए प्रवासी मजदूर!

 

बिहार के रहने वाले गुलशन पिछले सात साल से मणिपुर में इंफाल के एक ग्रॉसरी स्टोर में काम कर रहे हैं. इंफाल में रहकर पढ़ाई कर चुके 25 साल के गुलशन ने बताया मणिपुर में अशांति का माहौल है. पिछले तीन महीने से मणिपुर में कभी कर्फ्यू लग जाता है तो कभी तीज त्योहार के मौके पर कर्फ्यू में ढील दे दी जाती है. छोटी मोटी घटना होने पर फिर से मार्किट बंद कर दी जाती हैं. बंद और कर्फ्यू की वजह से बहुत सारे मजदूर वापस अपने घर लौट चुके हैं.

बीटी रोड पर कांगला फोर्ट के पास एक फुटओवर ब्रिज पर खड़े गुलशन पोलो ग्राउंड में बिहारी मजदूरों को क्रिकेट खेलते देख रहे थे. उन्होंने कहा, “व्यापारी हो या मजदूर सब समस्याओं से गुजर रहे हैं.अगर बाजार बंद
है और व्यापारी कुछ नहीं कमा पा रहा है तो वह अपने कर्मचारियों को तनख्वाह कहां से देगा? काम न होने कि वजह से कईं बार मालिक समय पर मजदूरी नहीं देते हैं” पोलो ग्राउंड में क्रिकेट खेल रहे युवाओं की ओर इशारा करते हुए गुलशन ने कहा, “ये सभी नौजवान या तो अपना खुद का कारोबार करते हैं या फिर कोई किसी के यहां काम करता है, अब काम नहीं है तो ये लोग यहां खेलने आते हैं ये सभी प्रवासी लोग हैं इनमें से अधिकतर बिहार से हैं.”

5 अगस्त को कोर्डिनेशन कमेटी ऑन मणिपुर इंटीग्रिटी की ओर से विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए जाने की मांग नहीं मानने पर भी बंद बुलाया गया था. वहीं इंफाल के थांगल बाजार में कूली का काम करने वाले करीबन 45 साल के सुलेंद्र ने बताया, “बाजार बंद रहने की वजह से हमारे काम पर भी बुरा असर पड़ा है, ऐसे हालात में हम मजदूर भला क्या कर सकते हैं. मेन रोड पर जाकर देख लीजिए लोग प्रदर्शन कर रहे हैं अपने कमरे पर जाकर सोने के सिवाए हमारे पास कोई भी विकल्प नहीं है.” बिहार के बेगुसराय के रहने वाले सुलेंद्र ने बताया कि वो यहां पिछले 25 साल से इंफाल में काम कर रहे हैं. लेकिन यह पहली बार हुआ है जब पिछले तीन महीने से कोई आशा नजर नहीं आ रही है. यहां करीब 5 हजार बिहारी मजदूर काम करते थे लेकिन हिंसा के बाद बंद की वजह से काम न मिलने के कारण अधिकतर मजदूर घर वापस लौट चुके हैं. अब इन्होंने बंद में कुछ राहत देना शुरू किया है तो कुछ मजदूर वापस भी आए है, अब भला हम बंद के खिलाफ क्या कर सकते हैं?”

वहीं एक टाइल्स की दुकान पर काम कर रहे संजीव कुमार ने बताया, “मैं पिछले 11 साल से यहां काम कर रहा हूं लेकिन आज से पहले मैंने ऐसे हालात कभी नहीं देखे. हम अपनी टाइल की दुकान नहीं खोल सकते, दुकान खोलने पर पुलिस हमें निशाना बनाती है. कब वो कर्फ्यू लगा देते हैं और कब हटा देते हैं हमें कोई जानकारी नहीं दी जाती.” संजीव ने पत्रकार को बताया अधिकतर समय कारोबार बंद होने की वजह से मेरी भी सैलरी नहीं मिली है. हालात इतने बुरे हो चुके हैं कि घर पैसे भेजना तो दूर यहां मेरा अकेले का भी गुजारा नहीं हो पा रहा है.

बिहार में रह रहे संजीव के परिवार में 7 सदस्य हैं. काम न होने की वजह से संजीव, खेती पर निर्भर परिवार की आर्थिक मदद करने के लिए पैसे नहीं भेज पा रहे हैं. संजीव ने आगे बताया, “कर्फ्यू और बंद के बीच दुकान मालिक का हर महीने 2 लाख रुपए किराया जा रहा है ऐसे में वो मुझे सैलरी कैसे देगा? संजीव ने बताया कर्फ्यू के कारण कुछ मजदूरों के पास खाना खाने के पैसे तक नहीं थे ऐसे हालात में वो बिहार वापस लौट गए हैं.”

बिहार में वैशाली के रहने वाले चंदन पुजारी इंफाल से 60 किलोमीटर दूर चूराचांदपुर की एक सड़क किनारे बैठे हैं. चंदन के पीछे पुलिस स्टेशन की दीवार पर लिखा है, “हमारी जमीन, हमारी है, मणिपुर सरकार की नहीं” चंदन ने बताया पिछले तीन महीने से मैतई और कुकी समुदाय के लोगों में दंगा फसाद हो रहा है. हम बाजार में गाड़ी से समान उतारने और लादने का काम करते थे अभी तो रास्ता बंद है, हम लोग ऐसे ही खाली बैठकर दिन गुजार रहे हैं, हमारे कईं साथी वापस घर जा चुके हैं. बाजार खुलता था तो हम एक दिन में 500 से एक हजार रुपए तक कमा लेते थे. यहां हम 27-28 लोग थे लेकिन अब मुश्किल से 7-8 लोग रह गए हैं. बिहार अपने घर हैं तो सुरक्षित है यहां तो रिस्क ही है. तीन महीने गुजर गए हफ्ते में मुश्किल से तीन दिन बाजार खुलता है.”

केवल मजदूर ही नहीं व्यापारियों ने भी उनके काम पर पड़े असर को लेकर चिंता जाहिर की. होटल चलाने वाले और मणिपुर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री से जुड़े रहे व्यापारी प्रदीप पाटनी ने बताया, “हमारे व्यापार पर भी
मणिपुर हिंसा का बुरा प्रभाव पड़ा है ग्राहक नहीं होने के कारण मुझे मेरे स्टाफ को छुट्टी पर भेजना पड़ा है.”

उन्होंने बताया, “हमारा व्यापार नहीं चल रहा है ऐसे में हम अपने कर्मचारियों का वेतन कहां से देंगे. मेरा होटल चलाने का खर्च करीबन 6 लाख रुपए ऐसे में अगर सरकार शान्ति बहाली करने में कामयाब नहीं होती है तो यहां सब बर्बाद हो जाएगा और बहुत लोगों के व्यापार बंद हो जाएंगे. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुप हैं लेकिन उनको इस समस्या का हल निकालना चाहिए.”