नियम 134A समाप्त: गरीब छात्रों के हक खत्म, प्राइवेट स्कूल संचालकों के पक्ष में खड़ी हुई सरकार
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हरियाणा सरकार के शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आनंद मोहन शरण ने 28 मार्च को नोटिस जारी करके हरियाणा विद्यालय शिक्षा नियम 2003 के नियम 134ए को खत्म करने की सूचना सार्वजनिक की है।
नियम-134ए को खत्म करने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने हरियाणा विद्यालय शिक्षा नियम, 2003 में संशोधन किया है। संशोधित नियमों को अब हरियाणा विद्यालय शिक्षा नियम, 2022 कहा जाएगा।
क्या था नियम 134ए
इस नियम के तहत प्रदेश के गरीब बच्चों के लिए प्राइवेट स्कूलों में पहली से बारहवीं तक 25% सीट सरकारी स्कूलों के बराबर फीस के हिसाब से आरक्षित होती थी। इसका मतलब है कि प्राइवेट स्कूलों को 25% बच्चे सरकारी स्कूलों की फीस में पढ़ाने होते थे, जिनकी फीस हरियाणा सरकार प्राइवेट स्कूलों को देती थी। हुड्डा सरकार जाते-जाते इसको 10% कर गयी थी, जो अब बिल्कुल खत्म कर दिया गया है।
कैसे होता था दाखिला
इस स्कीम के तहत दाखिला लेने के लिया शिक्षा विभाग छात्र-छात्राओं की एक प्रवेश परीक्षा लेता था। इस प्रवेश परीक्षा में रैंक के हिसाब से छात्र छात्राओं को स्कूल अलाॅट किए जाते थे।
अब क्या होगा
इस नियम के खत्म होने के बावजूद केन्द्र सरकार द्वारा बनाया शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009, (RTE Act) की धारा 12(1)(सी) लागू है। इसके तहत निजी स्कूलों में ईडब्ल्यूएस छात्रों के लिए 25% सीटों का आरक्षण अनिवार्य है। लेकिन यह सिर्फ आठवीं कक्षा तक है जबकि प्रदेश सरकार का नियम 134ए बारहवीं तक के छात्र-छात्राओं के लिए था।
छात्र अभिभावक संघ (सोनीपत) के संयोजक विमल किशोर ने बताया, “आरटीई कहता है कि आपके आसपास कोई सरकारी स्कूल नहीं होगा तभी प्राइवेट स्कूल में दाखिला मिलेगा, इसी वजह से आरटीई 2009 ढकोसला मात्र है। यदि हरियाणा सरकार ने 134 ए को समाप्त करना ही था तो पहले सरकारी स्कूलों की हालत में सुधार करना चाहिए था ताकि गरीब बच्चे अच्छी शिक्षा ग्रहण कर सकें।”
उन्होंने आगे बताया कि 134 ए नियमावली 2003 के तहत निजी स्कूलों में गरीब बच्चों का कोटा 25% था जिसे 2013 में तत्कालीन कांग्रेस की हुड्डा सरकार ने निजी स्कूल संचालकों के दबाव में 10% कर दिया था, जिसे अब हरियाणा की बीजेपी सरकार ने बिल्कुल समाप्त कर दिया है। यह दर्शाता है कि हरियाणा की अब तक की सभी सरकारें निजी स्कूल संचालकों के दबाव में रही हैं।
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प्राइवेट स्कूल संचालक शुरू से ही इस नियम का लागू करने में आनाकानी कर रहे थे, जिसको लेकर माननीय पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में भी केस चला हुआ था। हरियाणा भर में अभिभावकों ने लम्बे संघर्ष के बाद इस नियम को लागू करवाने में सफलता हासिल की थी। अभिभावक इसको लागू करवाने के संघर्ष के दौरान जेलों में भी रहे हैं। आमरण अनशन किया, लाठीचार्ज झेला और अंत में परिणाम यह मिला।
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