खामोश हो गई किसान आंदोलनों में हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की बुलंद आवाज
![](https://www.gaonsavera.com/wp-content/uploads/2022/05/jayant.jpg)
देश के किसान आंदोलनों में हमेशा मुख्य भूमिका निभाने वाले गुलाम मोहम्मद जौला 16 मई की सुबह करीब साढ़े छह बजे हृदयगति रुकने के कारण अपनी जिंदगी के 86 साल पूरे कर दुनिया को अलविदा कह गए.
वह किसान नेता बाबा महेंद्र सिंह टिकैत का दाहिना हाथ थे, और 20वीं सदी के 80 और 90 के दशक में हुए लगभग सभी किसान आंदोलनों के मंच संचालक रहे. आंदोलन के मंचों पर अपने मजाकिया अंदाज के कारण लोग उन्हें बहुत प्यार करते थे. जब वह मंच संचालन के लिए एक वाक्य भर बोलते थे, तो पंडाल में शांति छा जाती थी और सबका ध्यान मंच की और हो जाता था.
वह मंच संचालन करते वक्त हिंदू-मुस्लिम एकता के अनेकों किस्से किसानों को बड़े मजाकिया ढंग में सुनाया करते थे. मेरी उनसे आखरी मुलाकात में ऐसा ही एक किस्सा याद कर बताया, जिसके कारण उन्हें तत्कालीन शंकराचार्य ने तलब कर लिया था. 4 सिंतबर 2021 को उनके घर उनसे हुई मेरी आखरी मुलाकात के दौरान उन्होंने वह किस्सा याद कर बताया, “पहले इलाहाबाद के त्रिवेणी संगम पर हमारी किसान यूनियन की सालाना पंचायत हुआ करती थी. यह उस साल की बात है, जब मंदिर मस्जिद का झगड़ा चल रहा था. तो वहां मंच से मैंने कहा कि मंदिर और मसजिद की एक राशि है, जहां जिसका दांव लगता है वह एक-दूसरे के धार्मिक स्थल तोड़ देता है. इसके कारण आदमी मरते हैं वो अलग.”
उस दौर के साम्प्रदायिक माहौल में ऐसी बात कहने के बाद पंडाल में सन्नाटा छा गया. गहराए सन्नाटे को देख उन्होंने अपनी बात को फिर एक चुटकुले के तौर पर समझाने की कोशिश की. उन्होंने मंच से कहा, “मंदिर-मसजिद के झगड़ों में आपस में लड़-मरकर कुछ हिंदू और कुछ मुसलमान ऊपर अल्लाह और भगवान के पास चले गए. वहां पहुंचकर मुसलमानों ने अल्लाह से कहा कि हमें जन्नत का रास्ता बताओ और हिंदुओं ने भगवान से कहा कि हमें स्वर्ग का रास्ता बताओ. अल्लाह और भगवान ने उन लोगों से पूछा कि वे क्या नेक काम करके आए हैं, जिसके कारण उन्हें स्वर्ग या जन्नत में भेजा जाए. मुसलमानों ने बताया कि वे दस मंदिर तोड़कर आए हैं और 100 हिंदू मारकर आए हैं, इसलिए उन्हें जन्नत मिलनी चाहिए. हिंदुओं ने बताया कि वह दस मस्जिद तोड़कर आए हैं और 100 मुसलमान मारकर आए हैं. भगवान और अल्लाह ने उनसे पूछा कि ये मंदिर और मस्जिद किसके हैं, तो उन लोगों ने जवाब दिया कि अल्लाह और भगवान के. फिर उनसे पूछा कि ये लोग-बाग किसके हैं, तो उन लोगों ने कहा कि ये भी अल्लाह और भगवान के. इन दो सवालों के जवाब सुन अल्लाह और भगवान ने कहा कि हमारे ही मंदिर-मसजिद तोड़कर आए हो और हमारे ही लोगों को मारकर आए हो. अब तुम्हें जन्नत और स्वर्ग भी चाहिए. झगड़ा करने वाले उन हिंदू और मुसलमानों को बड़ी सख्ताई से नरक में भेज दिया गया.”
उनका यह किस्सा सुन सभी किसान हंसने लगे और बड़े सहज भाव से मंदिर-मसजिद झगड़े का मूल समझ गए. जौला ऐसे चुटकुले अकसर किसान आंदोलनों के मंचों से सुनाया करते थे. किसान आंदोलनों की कवरेज करते हुए ही मेरी उनसे कई मुलाकाते रहीं. पहली मुलाकात के बाद ही वह मुझे पहचानने लगे थे और जब भी मिलता तो कहते, “आजा भाई पूनिया, सुना हरियाणा के किसानों का क्या हाल है?”
एक मुलाकात में उन्होंने मुझे किसान आंदोलनों के मंचों से लगाए जाने वाले “अल्लाह हू अकबर, हर-हर महादेव” के नारे का किस्सा भी सुनाया, “सन 87 में हमारा शामली में किसान आंदोलन चल रहा था बिजली का. वहां पुलिस ने गोली चला दी और एक हिंदू और एक मुसलमान की मौत हो गई. वहीं पर दोनों की लाश को रखकर हम प्रदर्शन करने लगे तो वहां पर लोग अल्लाह हू अकबर और हर-हर महादेव का नारा लगाने लगे. ये दोनों नारे एक साथ सुन ऐसा लग रहा था कि मुसलमान की मौत के लिए हिंदुओं में ज्यादा दुख है और हिंदू की मौत पर मुसलमान ज्यादा दुखी हैं. बस वहीं से ही हमने ये नारा उठा लिया और हर किसान आंदोलन में मैं मंच से कई बार यह नारा लगवाने लगा.”
पिछले 50 सालों में हुए किसान आंदोलनों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है. जब तक बाबा महेन्द्र टिकैत जिंदा रहे, गुलाम जौला बीकेयू में नंबर दो की हैसियत से काम करते रहे. लेकिन साल 2011 में हुए बाबा टिकैत के इंतकाल के ठीक दो साल बाद ही बाबा जौला ने बीकेयू से उस समय अलविदा कह दिया, जब राकेश टिकैत और नरेश टिकैत, बीजेपी नेता संजीव बाल्यान द्वारा करवाई जा रहीं साम्प्रदायिक पंचायतों के मंचों पर दिखाई देने लगे. बीकेयू से अलग होकर भी उन्होंने किसान आंदोलन में सक्रियता जारी रखी और राष्ट्रीय किसान मजदूर मंच नाम से अपना संगठन भी बनाया.
लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार जब तीन कृषि कानून लाई, तो उसके खिलाफ गाजीपुर बार्डर पर विरोध कर रहे किसानों को कुचलने के लिए जब गाजीपुर धरने पर पुलिस और लोनी के विधायक नंद किशोर गुर्जर ने किसानों को डराना शुरू किया तो उनसे रहा न गया. अगले ही दिन उन्होंने टिकैत बंधुओं का साथ देकर उनका पलड़ा भारी कर दिया.
29 जनवरी को मुजफ्फरनगर में हुई महापंचायत में टिकैत बंधुओं का साथ देते हुए, बाबा जौला ने नरेश टिकैत और उनके भाई द्वारा की गई “दो गलतियों” का अहसास करवाया. 4 सितंबर को बाबा जौला ने मुझे इंटरव्यू देते हुए बताया, “मैंने उन्हें (नरेश) कहा कि उनकी पहली गलती चौधरी अजीत सिंह (2019 के लोकसभा चुनाव में) को हराने की थी और दूसरी गलती 2013 में भाजपा के जाल में फंसकर दंगों में भाग लेने की थी. उस दिन ये दोनों गलतियां नरेश टिकैत ने स्वीकार कर लीं. इसके बाद हमने भी 2013 को अतीत मान लिया.”
गुलाम मोहम्मद जौला अपने इलाके के “24 गांव” के चौधरी थे और मुज़फ़्फ़रनगर दंगों के दौरान उन्होंने हज़ारों दंगा पीड़ित परिवारों को अपने गाँव में लाकर बसाया और उनकी हर संभव मदद की. उस भंयकर सांप्रदायिक माहौल में वो रत्तीभर भी नहीं डरे और अपनी आखरी सांस तक दोनों समुदायों में अमन-चैन कायम करने में लगे रहे. आज उनके जाने पर उनकी अनेकों यादें रह रहकर याद आ रही हैं. उनकी कमी अब शायद ही कोई भर पाए.
- Tags :
- गुलाम मोहम्मद जौला
Top Videos
![](https://www.gaonsavera.com/wp-content/uploads/2023/12/tractor-rally-pti.jpg)
किसानों ने 27 राज्यों में निकाला ट्रैक्टर मार्च, अपनी लंबित माँगों के लिए ग़ुस्से में दिखे किसान
![](https://www.gaonsavera.com/wp-content/uploads/2023/07/1200-675-18883514-thumbnail-16x9-bhiwani.jpg)
उत्तर प्रदेश के नोएडा के किसानों को शहरीकरण और विकास क्यों चुभ रहा है
![](https://www.gaonsavera.com/wp-content/uploads/2023/10/Capture.jpg)
Gig Economy के चंगुल में फंसे Gig Workers के हालात क्या बयां करते हैं?
![](https://www.gaonsavera.com/wp-content/uploads/2023/07/Screenshot_2023-07-17-07-34-18-09_0b2fce7a16bf2b728d6ffa28c8d60efb.jpg)
Haryana में बाढ़ क्यों आयी? घग्गर नदी | मारकंडा नदी | टांगरी नदी
![](https://www.gaonsavera.com/wp-content/uploads/2024/02/maxresdefault-11-1200x675.jpg)